उत्तर प्रदेश पुलिस की आपातकालीन सेवा डायल 112 को और हाईटेक और पब्लिक फ्रेंडली बनाया गया है. 112 की सेवा को तकनीक और संसाधनों से लैस कर जनता के प्रति जवाबदेह बनाया गया है. जहां एक तरफ पीआरवी के जवानों को बॉडी वॉर्न कैमरे से लैस किया गया है, वहीं किसी भी कानून व्यवस्था की स्थिति को कंट्रोल रूम में बैठे अफसर मॉनिटर कर सकें, इसके लिए नई PRV गाड़ियों पर PTZ कैमरे लगाए गए हैं.
यूपी पुलिस की सेवा हुई हाईटेक
यूपी पुलिस (UP Police) की 112 सेवा को और अधिक हाईटेक बनाने के लिए एक तरफ पीआरवी की नई गाड़ियों का काफिला शामिल किया गया है. अब प्रदेशभर में 112 सेवा की 6278 गाड़ियां आपातकाल में मदद के लिए दौड़ेंगी, तो वहीं दूसरी तरफ अब इमरजेंसी कॉल भी ज्यादा अटेंड की जाएंगी. अब रोजाना 28000 इमरजेंसी कॉल अटेंड की जा सकेंगी.
पुलिसकर्मी को बॉडी वॉर्न कैमरा
112 को और अधिक हाईटेक बनाने के लिए PRV गाड़ी के पुलिस कर्मियों को बॉडी वॉर्न कैमरा दिया गया है. किसी भी कॉल को अटेंड करने गए पुलिसकर्मी के सामने क्या हालात थे? इसमें यह रिकॉर्ड भी होगा और अधिकारी भी जरूरत पड़ने पर देख सकेंगे. यानी पुलिसकर्मियों के साथ बदसलूकी या फिर पुलिसकर्मियों की आम जनता के साथ बदजुबानी, मारपीट, घूसखोरी दोनों पर ही नकेल कसेगी.
PTZ कैमरा से लैस हाईटेक गाड़ियां
पुलिस की नई हाईटेक गाड़ियों पर PTZ कैमरा यानी Pan Tilt and Zoom कैमरा लगाए गए हैं. इस कैमरे को 360 डिग्री तक Pan कर सकते हैं, 90 डिग्री तक टिल्ट कर सकते हैं और कई गुना ऑप्टिकल जूम कर किसी भी स्थिति की सटीक जानकारी और निगरानी कर सकते हैं.
गोपनीय रहेगा मदद मांगने वाले का नंबर-
आधुनिक तकनीक के तहत अब 112 पर मदद मांगने वाले हर कॉलर का मोबाइल नंबर मास्किंग से छिपा होगा. हर नागरिक की गोपनीयता को बरकरार रखने के लिए नंबर मास्किंग की व्यवस्था लागू की गई है. इस तकनीक के तहत जब भी कोई कॉलर 112 पर कॉल करेगा तो उसके कॉलिंग नंबर की बजाए एक टेंपरेरी नंबर कॉल अटेंड करने वाले तक जाएगा और जैसे ही शिकायत दर्ज कर Responder को जाएगी, कॉल Disconnect होते ही वो Temporary नंबर भी बंद हो जाएगा. इससे पुलिस को सूचना देने वाले का नंबर रिस्पांडर और कंट्रोल रूम में बैठे किसी भी व्यक्ति को पता नहीं चलेगा.
नई तकनीक के सहारे पुलिस की गाड़ियों की ट्रैकिंग भी शुरू होगी. आम आदमी जब इमरजेंसी में 112 को कॉल करेगा तो मोबाइल एप के जरिए पुलिस की गाड़ी कितनी दूरी पर है, कितनी देर में पहुंचेगी, इसकी जानकारी भी दी जाएगी. नई तकनीक से पीआरवी गाड़ी को पुलिस कंट्रोल रूम के अफसर के साथ-साथ आम आदमी भी ट्रैक कर सकेगा कि पीआरवी गाड़ी कितनी दूरी पर थी और कितनी देर बाद मदद के लिए पहुंची?
ELS से मदद मांगने वाले की लोकेशन पता चलेगी-
आपातकाल में पुलिस से मदद मांगने वाले की सही लोकेशन पता करने के लिए ELS यानी इमरजेंसी लोकेशन सर्विस का इस्तेमाल किया जाएगा. ELS के तहत जब भी कोई व्यक्ति पुलिस के 112 नंबर को डायल करेगा, ELS सिस्टम अपने आप शुरू हो जाएगा. जिससे कॉलर के स्मार्टफोन से जीपीएस वाई-फाई और मोबाइल नेटवर्क का प्रयोग कर सटीक लोकेशन कंट्रोल रूम को पता चलेगी.
माना जा रहा है आधुनिक संसाधन और आधुनिक तकनीक से पुलिस का रिस्पांस टाइम भी काम होगा. शहरी इलाकों में पुलिस का जो रिस्पांस टाइम 15 मिनट और ग्रामीण इलाके में 20 मिनट था, वह अब घटकर औसतन 10 मिनट करने की कोशिश की जा रही है.
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