अब नए Speech Recognition Software से लैस होगी उत्तर प्रदेश विधानसभा...क्या है ये और किन समस्याओं से मिलेगा छुटकारा?

योगी सरकार यूपी विधानसभा को उच्च तकनीक से लैस करने जा रही है. इस तकनीक से न केवल लाइव फीड्स अच्छे होंगे, बल्कि कार्यवाही के दौरान का विडियो आउटपुट भी बेहतर होगा.

UP Assembly
gnttv.com
  • नई दिल्ली,
  • 28 नवंबर 2023,
  • अपडेटेड 10:10 AM IST

योगी सरकार यूपी विधानसभा को अब उच्च तकनीक से लैस करने जा रही है. उत्तर प्रदेश को तकनीकी प्रगति के दायरे में आगे बढ़ाने के लिए, योगी आदित्यनाथ सरकार एडवांस टेक्नोलॉजी को अपनाने के माध्यम से राज्य की विधान सभा की दक्षता बढ़ाने पर अपना ध्यान केंद्रित कर रही है.

इन समस्याओं से मिलेगी निजात
इस पहल के तहत विधानसभा में 'स्पीच रिकग्निशन सॉफ्टवेयर' लाने की तैयारी चल रही है. उत्तर प्रदेश विधान सभा सचिवालय, लखनऊ द्वारा स्पीच रिकग्निशन सॉफ्टवेयर की खरीद के लिए ई-टेंडर के माध्यम से मांगे गए आवेदनों के अनुसार, यह सॉफ्टवेयर कई सुविधाओं से लैस होगा. इसके शुरू होने से कार्यवाही को और ज्यादा व्यवस्थित करने में मदद मिलेगी. इससे विधानसभा के सेशन के लाइव टेलीकास्ट के दौरान आने वाले साउंड डिस्टरबेंस से निपटने में मदद मिलेगी. इससे मीडिया को भी साहूलियत होगी क्योंकि स्पीच रिकग्निशन प्रक्रिया के जरिए जेनरेटेड फीड्स अच्छी वीडियो व वॉइस क्वालिटी से युक्त होंगे. 

पहले सभा की कार्यवाही को डिजिटल किया था
शीतकालीन सत्र के बाद यूपी विधानसभा में विशेष सत्र बुलाया जा सकता है. यह विशेष सत्र पर्यावरण जैसे गंभीर मुद्दे पर हो सकता है. सोमवार को शीतकालीन सत्र को लेकर बुलाई गई सर्वदलीय बैठक में विपक्षी नेताओं ने पर्यावरण जैसे मुद्दे पर विशेष सत्र बुलाने की मांग की.गौरतलब है कि देश भर के विभिन्न राज्यों ने पहले ही राष्ट्रीय ई-विधान एप्लिकेशन के कार्यान्वयन के माध्यम से अपनी विधान सभा की कार्यवाही को डिजिटल कर दिया है. मुख्यमंत्री योगी के नेतृत्व में उत्तर प्रदेश ने मई 2022 में विधान सभा में 'ई-विधान एप्लिकेशन' की शुरुआत करके इस तकनीकी परिवर्तन को अपनाया. तब से, सभी सत्र इस एप्लिकेशन का उपयोग करके आयोजित किए गए हैं, जो अधिक टेक-सेवी और कुशल विधायी प्रक्रिया की दिशा में एक महत्वपूर्ण प्रगति है.

क्या है अंतिम तारीख?
यह स्पीच रिकग्निशन सॉफ्टवेयर उन टेक्नोलॉजी कंपनियों द्वारा विकसित और उपयोग किया जाएगा जिनकी उत्तर प्रदेश में व्यापक उपस्थिति है और इस प्रकार के सॉफ्टवेयर को विकसित करने में विशेषज्ञता है. यह चयनित इकाई विधान सभा की कार्यवाही के दौरान सॉफ्टवेयर के बिना किसी व्यवधान के काम करने पर फोकस करेगी. पोर्टल के माध्यम से ई-टेंडर के लिए आवेदन करने की अंतिम तिथि 4 दिसंबर है, और कार्य आवंटन और सॉफ्टवेयर खरीद की सभी प्रक्रियाएं उत्तर प्रदेश सरकार की नियमावली के अनुसार पूरी की जाएंगी.


 

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