भारत सीगार्जियन ड्रोन्स (SeaGuardian drones) वाली डील फाइनल कर सकता है. दिल्ली और वाशिंगटन अरबों डॉलर के ड्रोन डील पर हस्ताक्षर कर सकते हैं. MQ-9B प्रीडेटर आर्म्ड ड्रोन SeaGuardian ड्रोन एक समुद्री-केंद्रित ड्रोन है. जनरल एटॉमिक्स द्वारा बनाया गया ये ड्रोन हर तरह की मौसम की स्थिति में 30 घंटे से ज्यादा समय तक सेटेलाइट के माध्यम से उड़ान भर सकता है.
क्या हैं इस ड्रोन की विशेषता?
जनरल एटॉमिक्स वेबसाइट के अनुसार, ड्रोन सिविल एयरस्पेस में ये सुरक्षित रूप से एकीकृत हो सकता है. जिसकी मदद से जॉइंट फाॅर्स और सिविल अथॉरिटी को समुद्री क्षेत्र में कहीं भी रियल टाइम सिचुएशन मिल सकेगी फिर चाहे दिन हो या रात. इस ड्रोन में एक इन-बिल्ट वाइड-एरिया समुद्री रडार, एक ऑटोमैटिक आइडेंटिफिकेशन सिस्टम, इलेक्ट्रॉनिक सपोर्ट मेजर और एक सेल्फ कॉन्टैनेड एंटी सबमरीन वारफेयर (ASW) किट शामिल है.
किसमें होगा इसका इस्तेमाल?
SeaGuardian का उपयोग अलग-अलग काम के लिए किया जा सकता है-
-किसी आपदा में मदद ली जा सकती है.
-कानून और नियमों का सही से पालन करवाने के लिए.
-एंटी सरफेस वारफेयर
-एयरबोर्न माइन कॉउंटरमेजर.
-एंटी सबमरीन वारफेयर.
-लॉन्ग रेंज स्ट्रेटेजिक आईएसआर.
-ओवर द होराइजन टार्गेटिंग.
किन देशों में हो चुका है इसका इस्तेमाल?
देशों का क्वाड ग्रुपिंग जिसमें अमेरिका, भारत, ऑस्ट्रेलिया और जापान शामिल हैं, सभी MQ-9B SeaGuardian को ऑपरेट कर चुके हैं. भारत वर्तमान में एक खुफिया-एकत्रीकरण अभियान के हिस्से के रूप में MQ-9B को पट्टे पर दे रहा है. यूके डिफेंस जर्नल के मुताबिक, यूएस कस्टम्स एंड बॉर्डर प्रोटेक्शन, इटैलियन एयर फोर्स और रॉयल एयर फोर्स और बेल्जियम ने ड्रोन में दिलचस्पी दिखाई है.
इस डील को लेकर क्या है अपडेट?
यह डील 18 से 30 MQ-9B प्रीडेटर आर्म्ड ड्रोन के लिए हो सकती है. हालांकि, फर्स्ट पोस्ट की रिपोर्ट के अनुसार, रॉयटर्स ने कहा है कि रक्षा मंत्रालय ने पिछले सप्ताह तक यह निर्धारित नहीं किया था कि वह कितने ड्रोन खरीदना चाहता है. जो संख्या शुरू में 30 थी, उसे बदलकर 18 करने से पहले 24 कर दिया गया था. सूत्रों ने रॉयटर्स को बताया कि अभी तक कोई भी संख्या फाइनल नहीं है. यह डील 3 अरब डॉलर तक की हो सकती है.
भारत की बहुत पहले से है ड्रोन खरीदने में रूचि
भारत ने लंबे समय से अमेरिका से बड़े ड्रोन खरीदने में रुचि व्यक्त की है. लेकिन कई सारी बाधाओं की वजह से SeaGuardian ड्रोन की डील नहीं हो सकी. द वायर की रिपोर्ट के अनुसार, भारतीय नौसेना चाहती है कि 60 प्रतिशत हथियार प्रणाली स्थानीय स्तर पर हो बनाई जाए. वाइस चीफ ऑफ स्टाफ वाइस एडमिरल एस.एन. घोरमाडे ने फरवरी में कहा था, “इस डील को आगे बढ़ाया जा रहा है लेकिन हम देख रहे हैं कि इसे कैसे स्वदेशी बनाया जा सकता है और भारत में इसके लिए) क्या सुविधाएं बनाई जा सकती हैं."
भारत को MQ-9B SeaGuardian की जरूरत क्यों है?
MQ-9B प्रीडेटर आर्म्ड ड्रोन को भारत की राष्ट्रीय सुरक्षा और रक्षा जरूरतों के प्रमुख हिस्से के रूप में देखा जाता है. द वायर के मुताबिक, विशेषज्ञ लंबे समय से चीन और पाकिस्तान के यूएवी को दूर रखने के लिए ऐसे ड्रोन की जरूरत बता रहे हैं.
पाकिस्तान को दिया गया चीनी डिजाइन वाला यूएवी 20 घंटे तक हवा में रह सकता है और 370 किमी प्रति घंटे की रफ्तार से उड़ सकता है. उसी को रोकने के लिए ये MQ-9B प्रीडेटर भारत के लिए ये फायदेमंद साबित हो सकता है.