देश में ऐसे बहुत से बच्चे हैं जिनके जन्म के साथ ही मां की मौत हो जाती है. इन नवजात शिशुओं को सबसे ज्यादा जरूरत होती है मां के दूध की लेकिन वही उपलब्ध नहीं होता है. इस बात को ध्यान में रखते हुए, उत्तराखंड स्वास्थ्य विभाग ने राज्य में पहला 'मदर मिल्क बैंक' शुरू करने का फैसला किया है.
स्वास्थ्य मंत्री डॉ. धन सिंह रावत ने द न्यू इंडियन एक्सप्रेस को बताया, "इस सुविधा से नवजात शिशु को मां के दूध के पोषक तत्व काफी हद तक मिल सकते हैं. इस योजना के तहत, स्तनपान कराने वाली महिलाएं बैंक को दूध दान कर सकेंगी."
शिशु मृत्यू दर को कम करने का लक्ष्य
साल 2021 में राष्ट्रीय स्वास्थ्य मिशन की नमूना पंजीकरण प्रणाली (एसआरएस) की रिपोर्ट के अनुसार, अरुणाचल प्रदेश और मेघालय के बाद देश के 10 हिमालयी राज्यों में उत्तराखंड में प्रति 1,000 नवजात शिशुओं में से 27 की मौत होती हैं और इस तरह राज्य में तीसरी उच्चतम शिशु मृत्यु दर है.
राज्य में शिशु मृत्यु दर को कम करने के लिए सरकार गर्भवती महिलाओं के संस्थागत प्रसव पर ध्यान दे रही है. सरकारी प्रयासों से राज्य को शिशु मृत्यु दर में बेहतर स्थान मिला है. इसे बेहतर बनाने के प्रयास जारी हैं.
नि:शुल्क अस्पताल पहुंचाने की व्यवस्था
सरकार ने गर्भवती महिलाओं को नि:शुल्क अस्पताल पहुंचाने की व्यवस्था की है. एक योजना के तहत गर्भवती महिलाओं को 2000 रुपये, मां के भोजन के लिए 1500 रुपये और बच्चे के नामकरण समारोह के लिए 500 रुपये दिए जाते हैं.
सरकारी डॉक्टरों के 5 लाख रुपये के सेवा बॉन्ड से बाहर निकलने पर प्रशासन अब सख्त रुख अपनाएगा. हमने अब विशेषज्ञ डॉक्टर के लिए 2.5 करोड़ रुपये और एमबीबीएस डॉक्टर के लिए 1 करोड़ रुपये तक की निकासी बॉन्ड राशि बढ़ा दी है.
सर्जनों की कमी को दूर करना है
साल 2025 तक राज्य में सर्जनों की कमी को दूर करने का लक्ष्य है. हालांकि, यह मुश्किल है क्योंकि दूरदराज के क्षेत्रों में स्वास्थ्य सुविधाएं निराशाजनक हैं और जमीनी स्तर के स्वास्थ्य कर्मियों का उचित प्रशिक्षण सुनिश्चित करना मुश्किल है. सरकारी सूत्रों का कहना है कि अगर अच्छी तरह से भुगतान किया जाता है, तो स्वास्थ्य कार्यकर्ता चाइल्डकेयर में नई माताओं का मार्गदर्शन कर सकते हैं.