Uttarkashi: 17 दिन बाद जिंदगी की जंग जीत बाहर आएंगे 41 मजदूर, किस राज्य के कितने और सुरंग के बाहर क्या-क्या है तैयारी? यहां जानिए 

Uttarkashi Tunnel Rescue: उत्तराखंड के उत्तरकाशी स्थित सिलक्यारा टनल में पिछले 17 दिनों से फंसे मजदूर अब किसी भी वक्त बाहर निकाले जा सकते हैं. यहां मलबे के बीच से रास्ता बनाने में जुटे रैट माइनर्स इन मजदूरों के बेहद करीब पहुंच चुके हैं. पूरा देश मजदूरों की सलामती के लिए दुआ कर रहा है.

सिलक्यारा टनल
gnttv.com
  • नई दिल्ली,
  • 28 नवंबर 2023,
  • अपडेटेड 4:22 PM IST
  • पूरा देश मजदूरों की सलामती के लिए कर रहा दुआ
  • 12 नवंबर 2023 को सुरंग में फंस गए थे मजदूर

उत्तरकाशी की सिलक्यारा टनल में बीते 17 दिनों से चल रही खुदाई पूरी हो चुकी है. बस कुछ देर में मजदूरों को बाहर निकालने की प्रक्रिया शुरू कर दी जाएगी. ऐसे में आइए जानते हैं वो कैसे यहां फंस गए थे, किस राज्य के कितने हैं और सुरंग के बाहर क्या-क्या तैयारी है. 

कैसे फंस गए थे यहां मजदूर
12 नवंबर 2023 को रोजाना की तरह मजदूर सिलक्यारा टनल में खुदाई का काम कर रहे थे. सुबह 5:30 बजे अचानक भूस्खलन होने लगा. इस दौरान कई मजदूर बाहर निकल गए. फिर अचानक निर्माणाधीन टनल का 60 मीटर हिस्सा धंस गया और 41 मजदूर सुरंग के अंदर फंसे रह गए.  

इन राज्यों के रहने वाले हैं मजदूर
सुरंग में फंसे मजदूर उत्तराखंड, हिमाचल प्रदेश, उत्तर प्रदेश, बिहार, पश्चिम बंगाल, असम, झारखंड और ओडिशा के रहने वाले हैं. गब्बर सिह नेगी (उत्तराखंड), सबाह अहमद (बिहार), सोनु शाह (बिहार), मनिर तालुकदार (पश्चिम बंगाल), सेविक पखेरा (पश्चिम बंगाल), अखिलेष कुमार (यूपी), जयदेव परमानिक (पश्चिम बंगाल), वीरेन्द्र किसकू (बिहार), सपन मंडल (ओडिशा), सुशील कुमार (बिहार), विश्वजीत कुमार (झारखंड), सुबोध कुमार (झारखंड), भगवान बत्रा (ओडिशा), अंकित (यूपी), राम मिलन  (यूपी), सत्यदेव (यूपी), संतोष (यूपी), जय प्रकाश (यूपी), राम सुन्दर (उत्तराखंड), मंजीत (यूपी), अनिल बेदिया (झारखंड), श्राजेद्र बेदिया (झारखंड), सुकराम (झारखंड), टिकू सरदार (झारखंड), गुनोधर (झारखंड), रनजीत (झारखंड), रविन्द्र (झारखंड), समीर (झारखंड), विशेषर नायक (ओडिशा), राजू नायक (ओडिशा), महादेव (झारखंड), मुदतू मुर्म (झारखंड), धीरेन (ओडिशा), चमरा उरॉव (झारखंड), विजय होरो (झारखंड), गणपति (झारखंड), संजय (असम), राम प्रसाद (असम), विशाल (हिमाचल प्रदेश), पु्ष्कर (उत्तराखंड), दीपक कुमार (बिहार). 

पाइपलाइन बनी लाइफलाइन
सुरंग से पानी निकासी के लिए लगाई गई एक पौने चार इंच की पाइप लाइफलाइन साबित हुई. हादसे के बाद इसी पाइप के जरिए मजदूरों को ऑक्सीजन, पानी और खाने के लिए कुछ हल्के-फुल्के सामान भेजे गए. इसी पाइप के जरिए उन्हें जरूरी दवाएं भी दी गईं. हादसे के बाद 10वें दिन एक छह इंच की पाइप मजदूरों तक पहुंचाने में सफलता मिली, जिसके बाद उन्हें गरम खाना दिया जाने लगा. इसी पाइप के जरिए अंदर कैमरा भेजा गया और पहली बार अंदर का दृश्य दिखा.

टनल के बाहर डॉक्टर, एंबुलेंस से लेकर हेलीकॉप्टर तक तैनात
टनल के बाहर डॉक्टर, एंबुलेंस तैयार हैं तो वहीं अस्पताल के कर्मचारियों को भी तैयार रहने के लिए कहा गया है. मजदूरों को टनल से बाहर निकालते ही उनहें सीधा एंबुलेंस में सवार कर अस्पताल पहुंचाया जाएगा. वहां पर उनका इलाज चलेगा. पिछले 17 दिनों से टनल के अंदर फंसे रहने के कारण मजदूरों के स्वास्थ्य पर बुरा असर पड़ने की संभावना है. इसे देखते हुए ही सबसे पहले उनका इलाज कराया जाएगा. चिन्यालीसौड़ हवाई अड्डे पर चिनूक हेलीकॉप्टर तैनात कर दिया गया है. टीम का कहना है कि अगर किसी मजदूर की ज्यादा तबीयत खराब लगेगी तो तुरंत एयरलिफ्ट कर अस्पताल भेजा जाएगा.

सुरंग के अंदर ही बनाया गया अस्थाई अस्पताल
रेस्क्यू ऑपरेशन के चलते टनल के अंदर ही अस्थाई मेडिकल सुविधा का विस्तार किया गया है. फंसे श्रमिकों को बाहर निकालने के बाद इसी जगह पर उनका स्वास्थ्य प्रशिक्षण किया जाएगा. कोई भी दिक्कत होने पर स्वास्थ विभाग की ओर से लगाए गए 8 बेड और डॉक्टरों और विशेषज्ञों की टीम तैनात है.

मजदूरों के परिजनों से उनके कपड़े और बैग तैयार रखने को कहा गया
टनल के अंदर 800 मिमी व्यास का पाइप डाला जा चुका है. एनडीआरएफ की टीम पाइप के जरिए मजदूरों तक पहुंच गई है टीम मजदूरों को पाइप के जरिए बाहर निकालने में मदद करेगी. रेस्क्यू टीमों ने मजदूरों के परिजनों से उनके कपड़े और बैग तैयार रखने को कहा है. मजदूरों को निकालने के बाद उन्हें हॉस्पिटल ले जाया जाएगा.

मजदूरों को भेजे गए काले चश्मे
सुरंग में फंसे मजदूरों को पहनने के लिए काले चश्मे भेजे गए हैं. मजदूरों तक चश्मा पहुंचाने का मकसद भी यही है कि वो 16 दिन से अंधेरे में रहे हैं, जहां रोशनी की एक किरण तक नहीं पहुंची है. घुप अंधेरे में लंबे समय तक रहने के बाद तेज रोशनी में आने पर आंखों पर बुरा असर पड़ सकता है. यहां तक कि आंख की रोशनी जाने की नौबत आ सकती है. यही वजह है कि मजदूरों को अंदर ही काला चश्मा पहना दिया जाएग ताकि वो सुरंग से बाहर निकलें तो उनकी आखें तेज रोशनी की असर में नहीं आ सकें.

श्रमिकों के स्वागत के लिए फूल-मालाएं लेकर पहुंचे लोग 
श्रमिकों के इलाज के लिए सामुदायिक स्वास्थ्य केंद्र चिन्यालीसौड़ में तैयारियां पूरी हो गई हैं. वहीं, सुरंग के पास लोग श्रमिकों के स्वागत के लिए फूल-मालाएं लेकर पहुंचे हैं. सभी लोग मजदूरों की सलामती के लिए दुआ कर रहे हैं.

रैट होल माइनर्स का बड़ा योगदान
बता दें कि टनल की ड्रिलिंग के लिए पहले अमेरिकी ऑगर मशीन का इस्तेमाल किया जा रहा था. लेकिन 48 मीटर खुदाई के बाद मशीन के ब्लैड टूट गए और रेस्क्यू ऑपरेशन को रोकना पड़ा. इसके बाद से आगे की खुदाई मैनुअली की गई. इसके लिए 6 'रैट माइनर्स' की एक टीम को सिल्क्यारा बुलाया गया. माइनर्स बारी-बारी से रेस्क्यू के लिए बनाई गई पाइपलाइन के अंदर छोटा सा फावड़ा लेकर गए और छोटी ट्रॉली में एक बार में 6-7 किलो मलबा लादकर बाहर निकाला. इस दौरान रैट माइनार्स के पास ऑक्सीजन मास्क, आंखों की सुरक्षा के लिए विशेष चश्मा और पाइपलाइन के अंदर एयर सर्कुले के लिए ब्लोअर मौजूद था.

सीएम धामी बोले- बाबा बौखनाग की रही असीम कृपा
उत्तरकाशी की सिलक्यारासुरंग में सफलतापूर्वक पाइप डालने पर सीएम धामी ने रेस्क्यू टीमों को बधाई दी. उन्होंने एक्स पर पोस्ट करते हुए लिखा बाबा बौखनाग जी की असीम कृपा रही. करोड़ों देशवासियों की प्रार्थना एवं रेस्क्यू ऑपरेशन में लगे सभी बचाव दलों के अथक परिश्रम के फलस्वरूप श्रमिकों को बाहर निकालने के लिए टनल में पाइप डालने का कार्य पूरा हो चुका है. शीघ्र ही सभी श्रमिक भाइयों को बाहर निकाल लिया जाएगा.


 

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