उत्तरकाशी के सिलक्यारा टनल में फंसे 41 मजदूरों को निकालने के लिए युद्धस्तर पर काम चल रहा है. इस बीच एक पाइप के जरिए मजदूरों को खाना पहुंचाया गया. पाइप के जरिए उनको खाने के लिए खिचड़ी दी गई. इसके साथ ही एंडोस्कोपिक कैमरे के जरिए टनल में मजदूरों की हालत देखने की कोशिश की गई. मजदूरों की पहली तस्वीर सामने आई है. इस वीडियो में मजदूर पीले और सफेद हेलमेट पहने नजर आ रहे हैं. मजदूर एक-दूसरे से खाना शेयर कर रहे हैं. टनल में फंसे मजदूरों का पहला वीडियो एंडोस्कोपिक कैमरे से कैप्चर किया गया. चलिए आपको इस एंडोस्कोपिक कैमरे के बारे में बताते हैं.
टनल में क्यों हुआ एंडोस्कोपिक कैमरे का इस्तेमाल-
उत्तराखंड के टनल में एक फ्लैक्सी कैमरे का इस्तेमाल किया गया है, जिसे छोटी पाइफ लाइन के जरिए मजदूरों तक पहुंचाया गया. इसके बाद मजदूरों का वीडियो बनाया गया. इस टनल में इस कैमरे का इस्तेमाल इसलिए किया गया, क्योंकि इसका साइज छोटा है. यह कैमरा एक छोटे छेद से भी पाइपलाइन में दाखिल हो सकता है.
क्या होता है एंडोस्कोपिक कैमरा-
एंडोस्कोपिक कैमरे का इस्तेमाल मुख्य रूप से इंसान के शरीर में जटिल और सूक्ष्म चिकित्सा के लिए किया जाता है. यह टेक्नोलॉजी के मामले में बहुत एडवांस है और उसकी डिमांड भी बहुत ज्यादा है. एंडोस्कोपिक कैमरा तकनीकी तौर पर सबसे चुनौतीपूर्ण उपकरणों में से एक है.
मेडिकल प्रोफेशनल्स करते हैं इसका इस्तेमाल-
मेडिकल प्रोफेशनल्स एंडोस्कोपिक कैमरे का बहुत इस्तेमाल करते हैं. इलाज करने और आंतरिक अंगों, जोड़ों और कैविटी का निरीक्षण करने के लिए इस डिवाइस का इस्तेमाल किया जाता है. सबसे एडवांस्ड एंडोस्कोपिक कैमरे में चिप-ऑन-टिप टेक्नोलॉजी का इस्तेमाल होता है. तस्वीर लेने के लिए कैमरे का सबसे ऊपरी हिस्से का इस्तेमाल होता है. इस कैमरे के ऊपर एक एलईडी लाइट लगी होती है, जिससे कि उस जगह पर भी कैमरा तस्वीर ले सके, जहां पर अंधेरा हो. इस विजुअल्स को मेडिकल ग्रेड स्क्रीन या स्टीरियोस्कोपिक व्यूइंग कंसोल पर देखा जाता है.
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