वंदे भारत एक्सप्रेस ट्रेन पहले से ही देश भर में हिट है और अब केंद्र सरकार अपने बजट-अनुकूल विकल्प 'वंदे साधारण' ट्रेनों पर काम कर रही है. इन ट्रेनों का लक्ष्य बजट के प्रति जागरूक यात्रियों को अधिक किफायती यात्रा विकल्प प्रदान करना है. आधिकारिक लॉन्च से पहले ही इन ट्रेनों का फर्स्ट लुक सोशल मीडिया पर लीक हो चुका है. हालांकि नाम की अभी तक आधिकारिक पुष्टि नहीं हुई है, नई वंदे साधारण ट्रेनों को मानक किराए की पेशकश करके आम आदमी की जरूरतों को पूरा करने के लिए डिजाइन किया गया है.
ट्रेन में कितने कोच होंगे
आधिकारिक लॉन्च से पहले इसका फर्स्ट लुक इंटरनेट पर लीक हो गया है. ट्रेन का उत्पादन चेन्नई की इंटीग्रल कोच फैक्ट्री (ICF) में चल रहा है. इसे 65 करोड़ रुपये की अनुमानित लागत से बनाया जा रहा है. इसे इस साल के अंत तक लॉन्च किया जा सकता है लेकिन ऐसी कोई आधिकारिक घोषणा नहीं हुई है. ये ट्रेने किराये के लिहाज से सस्ती होंगी. हालांकि सुविधाएं वंदे भारत की तरह ही होंगी. इन ट्रेनों में कुल 24 कोच होंगे और दो इंजन लगाए जाएंगे. इन ट्रेनों को खासतौर पर गरीब तबके को देखकर लॉन्च किया गया है. तस्वीर में इन ट्रेनों के कोच भगवा और ग्रे कलर के नजर आ रहे हैं. हालांकि रेलवे की तरफ से इसे लेकर कोई आधिकारिक जानकारी नहीं दी गई है.
क्या होंगी सुविधाएं
रिपोर्ट्स की मानें तो इसके दोनों सिरों पर लोकोमोटिव की सुविधा है, जिससे यह दूसरी ट्रेनों की तुलना में तेज ट्रेन बन जाती है जोकि किफायती भी है. इसमें 24 एलएचबी कोच होंगे जो बायो-वैक्यूम शौचालय, यात्री सूचना प्रणाली और चार्जिंग पॉइंट जैसी आधुनिक सुविधाओं से सुसज्जित होंगे. साथ ही सुरक्षा के लिए यह सीसीटीवी कैमरे से लैस होगा और ऑटोमैटिक डोर सिस्टम भी होगा. इन ट्रेनों की सबसे बड़ी खासियत ये रहेगी कि ये ट्रेनें आम मेल और एक्सप्रेस ट्रेनों के मुकाबले इनकी स्पीड ज्यादा होगी और स्टॉप भी कम रखे जाएंगे. इनका किराया भी कम होगा. वंदे भारत की तरह ही इनमें ऑटोमेटिक दरवाजे होंगे, जो ट्रेन के चलने से पहले ही बंद हो जाएंगे.
छोटे राज्यों को करेंगी कनेक्ट
इन कोचों की लागत 65 करोड़ रुपये बताई जा रही है. जानकारी के अनुसार इस साल के अंत तक इन्हें तैयार कर लिया जाएगा. जबकि पूरी तरह से एसी कोचों वाली वंदे भारत एक्सप्रेस ट्रेन की लागत 100 करोड़ रुपये बताई जा रही है. इन ट्रेनों की स्पीड काफी ज्यादा होगी और ये चेन्नई, दिल्ली, बेंगलुरु, मुंबई, कोलकाता और चंडीगढ़ जैसे शहरों से इसका संचालन होगा. ये खासतौर पर यूपी, बिहार, छत्तीसगढ़, झारखंड और ओडिशा जैसे राज्यों से इनकी कनेक्टिविटी बड़े शहरों से की जाएगी. इसका मेन मकसद प्रवासी मजदूरों और अन्य लोगों के आवागमन को आसान बनाना है.सूत्रों का कहना है इसके लिए मार्गों का सर्वे भी कराया जा रहा है जिन रूटों पर प्रवासी मजदूरों की आवाजाही अधिक है और भीड़ ज्यादा रहती है.