सुप्रीम कोर्ट में ज्ञानवापी मामले की सुनवाई हुई. कोर्ट ने मामले को सिविल जज से वाराणसी जिला जज को ट्रांसफर कर दिया है. सुप्रीम कोर्ट में मामले की अगली सुनवाई जुलाई के दूसरे हफ्ते में होगी. सुप्रीम कोर्ट ने अपने आदेश में वजू का वैकल्पिक व्यवस्था करने का आदेश दिया है. इसके अलावा कोर्ट ने शिवलिंग का एरिया सील रखने की भी बात कही है. सुप्रीम कोर्ट ने सर्वे के लिए नियुक्त आयोग की रिपोर्ट लीक होने पर नाराजगी जताई. कोर्ट ने कहा कि रिपोर्ट लीक नहीं होनी चाहिए. उसे सिर्फ जज के सामने पेश किया जाना चाहिए.
कौन हैं वाराणसी जिला जज-
वाराणसी में डॉ अजय कृष्णा विश्वेशा डिस्ट्रिक्ट और सेशन जज हैं. सुप्रीम कोर्ट के आदेश के बाद ज्ञानवापी मस्जिद मामले की सुनवाई करेंगे. अजय कृष्णा उत्तराखंड के हरिद्वार के रहने वाले हैं. लेकिन फिलहाल उनका परिवार हरियाणा के कुरुक्षेत्र में रहता है. साल 1981 में बीएससी किया. उसके बाद कानून की पढ़ाई शुरू की. साल 1984 में कानून की डिग्री हासिल की.
कई पदों पर कर चुके हैं काम-
वाराणसी जिला जज से पहले ये बुलंदशहर जिले के डिस्ट्रिक्ट जज रह चुके हैं स्पेशल ऑफिसर विजिलेंस इलाहाबाद हाईकोर्ट रह चुके हैं. अजय कृष्णा ने साल 1990 में मुंसिफ कोर्ट से अपनी शुरुआत की थी. अजय कृष्णा का जुडिशरी में लंबा अनुभव है. उन्होंने सहारनपुर, देहरादून, मेरठ, आगरा, रामपुर,इलाहाबाद, शाहजहांपुर में न्यायिक सेवा की है. अजय तकरीबन 30 जगह अलग-अलग पदों पर न्यायिक पदों पर रहे हैं और अपनी भूमिका का निर्वाह किया है. अजय कृष्ण 31 जनवरी 2024 को रिटायर हो जाएंगे.
मुस्लिम पक्ष ने आयोग की नियुक्त पर उठाए सवाल-
मुस्लिम पक्ष के वकील अहमदी ने कहा कि हमारी एसएलपी आयोग की नियुक्ति के खिलाफ है. इस तरह की शरारत रोकने के लिए 1991 में कानून बनाया था. अहमदी ने कहा कि अगर मामला निचली अदालत को भेजा जाता है तो ज्ञानवापी मस्जिद पर यथास्थिति को बनाए रखा जाए. सर्वे के लिए कमीशन बनाया गया है, जो असंवैधानिक है. इतना ही नहीं, आयोग की रिपोर्ट को लीक किया जा रहा है. उन्होंने कहा कि परिसर में यथास्थिति 500 साल से है. उन्होंने कहा कि मेरी मांग है कि अगर मामला वाराणसी कोर्ट में जाता है तो भी यथास्थिति बरकरार रखी जाए.
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