Varun Gandhi: हिंदुत्व की सियासत में Congress के लिए रामबाण साबित हो सकते हैं वरुण गांधी, जानिए कैसे?

Varun Gandhi Politics: बीजेपी सांसद वरुण गांधी अपनी पार्टी के खिलाफ लगातार बयानबाजी से सुर्खियों में रहे हैं. अब जब आम चुनाव 2024 नजदीक आ रहा है तो कयास लगाए जा रहे हैं कि वरुण गांधी की बीजेपी से दूरी हो सकती है. ऐसे में ये भी अटकलें हैं कि वो कांग्रेस का दामन थाम सकते हैं. हालांकि राहुल गांधी ने इसको लेकर जो बयान दिया है, उससे कुछ भी पॉजिटिव नहीं दिख रहा है. लेकिन सियासत में कब क्या हो जाए, कोई नहीं जानता.

बीजेपी सांसद वरुण गांधी (Photo/Twitter)
शशिकांत सिंह
  • नई दिल्ली,
  • 19 जनवरी 2023,
  • अपडेटेड 11:43 AM IST

देश की सियासत में हिंदुत्व एक बड़ा मुद्दा बन गया है. हर सियासी दल खुद को इसमें ढालना चाहता है. हर सियासी दल हिंदुओं के वोटों को अपने पक्ष में मोड़ने की कोशिश में हैं. हिंदुत्व की पिच पर बीजेपी को टक्कर देने के लिए कांग्रेस भी खुद को सॉफ्ट हिंदुत्ववादी दिखाने की कोशिश कर रही है. इसको लेकर पार्टी और उनके नेताओं की तरफ से लगातार कोशिश भी हो रही है. इस बीच एक बड़े और युवा नेता के बीजेपी से कांग्रेस में शिफ्ट होने की अटकलें लगाई जा रही हैं. गांधी परिवार से आने वाले इस लीडर का नाम वरुण गांधी है. वैसे तो अभी ये सिर्फ अटकलें हैं, लेकिन अगर वरुण की कांग्रेस में इंट्री होती है तो हिंदुत्व की पिच पर उतरने की कोशिश में पार्टी के लिए वो रामबाण साबित हो सकते हैं. चलिए आपको बताते हैं कि आज की सियासत में कांग्रेस को क्यों वरुण गांधी की जरूरत है और कैसे गांधी परिवार का ये चिराग कांग्रेस को रौशन कर सकता है.

वरुण गांधी कांग्रेस की जरूरत क्यों-
देश की सियासत में कांग्रेस अब तक की सबसे खराब स्थिति में है. बड़े-बड़े नेता पार्टी छोड़कर जा रहे हैं. पार्टी का जनाधार लगातार घट रहा है. अभी हाल ही में हुए गुजरात चुनाव में पार्टी की पोजिशन पिछले चुनाव के मुकाबले बहुत ही खराब रही है. भले ही हिमाचल प्रदेश में कांग्रेस ने सरकार बनी ली है, लेकिन उनका वोट प्रतिशत बीजेपी से सिर्फ 0.9 फीसदी ज्यादा है. उत्तर प्रदेश में तो कांग्रेस की हालत चुनाव-दर-चुनाव बदतर होती जा रही है. प्रदेश में जितिन प्रसाद, आरपीएन सिंह और अदिति सिंह जैसे नेता पार्टी छोड़कर जा चुके हैं. पूरी जिम्मेदारी प्रियंका गांधी पर है. लेकिन पिछले चुनाव में पार्टी का प्रदर्शन देखें तो प्रियंका का जादू भी नहीं चल पाया है. ऐसे पार्टी को एक ऐसे लीडर की है, जिसकी विश्वसनीयता जनता में हो और युवा जिसको पसंद करते हों. ऐसे में वरूण गांधी अगर पार्टी का दामन थामते हैं तो एक उम्मीद की किरण हो सकते हैं.

हिंदुत्व की सियासत में कमजोर कांग्रेस-
जब से बीजेपी हिंदुत्व के मुद्दे को उठाकर सत्ता में आई है, तब से कांग्रेस भी हिंदुत्व के पिच पर उतरने को उतावली दिख रही है. इसकी झलक कांग्रेस के सबसे बड़े लीडर राहुल गांधी के कामकाम में दिख रहा है. कभी राहुल गांधी जनेऊ पहने नजर आते हैं तो कभी मंदिर में दिखाई देते हैं. इन दिनों राहुल गांधी धार्मिक कार्यक्रमों में कुछ ज्यादा ही दिखाई दे रहे हैं. कई जगह आरती करते उनकी तस्वीरें सोशल मीडिया पर वायरल हो रही हैं. ऐसे में अगर वरूण गांधी कांग्रेस में आते हैं तो पार्टी को नई ऊर्जा मिलेगी. पार्टी से दूर हो रहे हिंदुत्व पसंद करने वाले कार्यकर्ताओं में जोश भरेगा.

यूपी में कांग्रेस की खस्ता हालत-
देश की सियासत को प्रभावित करने वाले सबसे बड़े सूबे उत्तर प्रदेश की सियासत पर गौर करें तो कांग्रेस पार्टी का प्रदर्शन लगातार खराब होता जा रहा है. पार्टी लगातार हार का सामना कर रही है. वोट प्रतिशत लगातार घट रहा है. नेता पार्टी छोड़कर भाग रहे हैं. पार्टी राहुल गांधी के बाद प्रियंका गांधी को भी आजमा चुकी है. लेकिन उत्तर प्रदेश में उनका कोई भी पॉजिटिव प्रभाव अब तक दिखाई नहीं दिया है. प्रियंका गांधी भी युवाओं को पार्टी से जोड़ने में नाकाम रही हैं. ऐसे में पार्टी को एक ऐसे लीडर की जरूरत है तो कार्यकर्ताओं को बांधकर रख सके और उनमें उत्साह भर सके. वरुण गांधी में इसकी कुछ झलक दिखती है. अगर वरुण अपनी फैमिली की पार्टी ज्वाइन करते हैं तो वो इस काम को बखूबी कर सकते हैं. उनकी सभाओं में युवाओं की भीड़ देखी गई है. उन्होंने अपने भाषण से तालियां भी बटोरी हैं.

कैसे रामबाण साबित हो सकते हैं वरूण-
आज की सियासत में कांग्रेस पार्टी लीडरशिप से लेकर जनाधार तक में कमजोर नजर आ रही है. फिलहाल पार्टी के पास ऐसा कोई बड़ा चेहरा नहीं है, जो अपने भाषणों से जनता को आकर्षित कर सके. युवाओं में ऊर्जा भर सके. ऐसे में अगर अटकलों के मुताबिक वरूण गांधी कांग्रेस पार्टी में शामिल होते हैं तो पार्टी को बड़ा फायदा हो सकता है. कांग्रेस के लिए वरुण गांधी क्यों फायदे का सौदा साबित हो सकते हैं. चलिए जानते हैं.

वरुण गांधी की फायरब्रांड इमेज-
कांग्रेस पार्टी हिंदुत्व की सियासत में लगातार उतरने की कोशिश कर रही है. ऐसे में वरुण गांधी का चेहरा उनमें जान फूंक सकता है. वरुण गांधी की इमेज एक फायरब्रांड नेता की है. उनके तेवर पिता संजय गांधी की तरफ आक्रामक हैं. वरुण गांधी भीड़ की अपेक्षाओं के मुताबिक बोलते हैं. वो लच्छेदार भाषण देते हैं. उनके शब्द युवाओं में जोश भर देते हैं.

युवाओं में लोकप्रिय हैं वरुण-
गांधी परिवार से आने वाले वरुण गांधी युवाओं में लोकप्रिय हैं. युवा उनको पसंद करते हैं. साल 2017 विधानसभा चुनाव से पहले युवा उनमें मुख्यमंत्री का चेहरा देखते थे. हालांकि समय बीतने के साथ ही उनकी धार कुछ कुंद हुई है. लेकिन मौका मिलने पर वरुण फिर से पुराने अंदाज में जनता के सामने आ सकते हैं.

कांग्रेस में चेहरे की कमी को भर सकते हैं वरुण-
वरुण गांधी युवा भी है और सियासत में एक्टिव भी हैं. उत्तर प्रदेश में कांग्रेस में चेहरे की जो कमी है, उसे वरुण गांधी भर सकते हैं. यूपी में गांधी परिवार से प्रियंका गांधी जरूर एक्टिव हैं, लेकिन चुनाव के बाद उनकी उपस्थिति प्रदेश में कम ही दिखाई देती है. ऐसे में इस कमी को वरुण गांधी दूर कर सकते हैं और कांग्रेस कार्यकर्ताओं की लीडरशिप की सुस्ती की शिकायत को खत्म कर सकते हैं.

योगी, अखिलेश के उम्र के नेता हैं वरुण-
उत्तर प्रदेश के मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ की उम्र 50 साल है. जबकि नेता प्रतिपक्ष अखिलेश यादव 49 साल के हैं. जहां तक वरुण गांधी की उम्र की बात है तो वो अभी 42 साल के है. ऐसे में प्रदेश की युवा सियासत में वरुण गांधी फिट बैठ सकते हैं. इतना ही नहीं, बीजेपी और समाजवादी पार्टी के सामने कांग्रेस की युवाओं में पैठ बनाने में कामयाबी हासिल कर सकते हैं. 

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