16 दिसंबर, 1971 के दिन ही भारत ने पूर्वी पाकिस्तान को लंबे संघर्ष और पीड़ा से मुक्ति दिलाकर एक नए राष्ट्र बांग्लादेश का निर्माण करने में मदद की थी. भारत और पाकिस्तान की उस लड़ाई लड़ने वाले सैनिक आज भी उसकी वीर गाथाएं हमें सुनाते थे. ऐसे ही भूपेंद्र कुमार बिश्नोई अब एयरफोर्स से रिटायर हो चुके हैं, वे उस वक्त एयरफोर्स में बतौर AVM के पद पर तैनात थे. 1971 के युद्ध के बारे में वो याद करते हुए कई रोचक किस्से बताते हैं. ऐसे ही एक किस्से में बीके बिश्नोई ने बताया कि उनके एक प्लान ने पाकिस्तानी सेना की कमर तोड़ दी थी.
एक प्लान जिसने तोड़ दी पाकिस्तानी सेना की कमर
इस किस्से को याद करते हुए वे बताते हैं, पाकिस्तानी सेना के विमान लगातार जोरदार हमला कर रहे थे… हम उनके एयरक्राफ्ट नहीं मार पा रहे थे. पाकिस्तानी एयरक्राफ्ट अगर हवा में इंडियन एयरक्राफ्ट से मुकाबला करते थे तो उनके तीन चार विमान रोज नष्ट होते थे. ऐसे में पाकिस्तान ने अपने एयरक्राफ्ट को सिर्फ हमला करने के लिए सुरक्षित कर लिया. इसका नतीजा ये हुआ कि जैसे ही हमारे एयरक्राफ्ट उड़ान भरते थे पाकिस्तानी अपने विमानों को छुपा लेते थे. जमीन पर उनके एयरक्राफ्ट दिखाई नहीं पड़ते थे और हवा में मुकाबला करने के लिए वह अपने एयरक्राफ्ट निकालते नहीं थे. ऐसे में बीके बिश्नोई ने अपने चीफ को जाकर यह प्लान बताया कि क्यों ना पाकिस्तान की हवाई पट्टी को ही नष्ट कर दिया जाए.
चीफ ने जब कहा उनके प्लान को ‘सुसाइड’
बिश्नोई साहब बताते हैं कि जब उन्होंने प्लान बताया तो पहले तो चीफ ने इस प्लान को ‘सुसाइड’ कहा, क्योंकि इसके लिए दुश्मन के इलाके में बहुत नीचे उड़ान भरनी थी. लेकिन फिर 24 घंटे बाद चीफ ने परमिशन दे दी. इसके बाद वे अपने साथ तीन और एयरक्राफ्ट लेकर गए. एयरक्राफ्ट में 500-500 किलो के बम रखे और पाकिस्तान की पूरी हवाई पट्टी को नष्ट कर दिया. इस तरह से उन्होंने हवाई पट्टी पर अलग-अलग टाइम पर तीन बार हमला किया. वे कहते हैं, “आखिर में अपने हवाई पट्टी को देखकर पाकिस्तान एयर फोर्स के चीफ की आंखों में आंसू आ गए थे.”
गवर्नर हाउस को किया टारगेट, डर से गवर्नर ने लिख दिया अपना इस्तीफा
बीके बिश्नोई ने एक और रोचक किस्सा सुनाते हुए बताया जब उन्हें खुफिया जानकारी मिली की गवर्नर ढाका के सर्किट हाउस में एक बड़ी मीटिंग करने वाले हैं. वे बताते हैं, “इस मीटिंग में उनकी कैबिनेट और कुछ देशों के एंबेसडर भी हिस्सा लेने वाले थे. इस मीटिंग में युद्ध की आगे की रणनीति पर चर्चा होनी थी. इसकी लोकेशन को ही टारगेट करने का ऑर्डर मिला. तैयारी के लिए सिर्फ 45 मिनट मिले, इन 45 मिनट में विमान को तैयार करना था और प्लान भी बनाना था. पहले उनसे कहा गया कि सर्किट हाउस में यह मीटिंग होनी है लेकिन जैसे ही प्लेन पर बैठ गए टारगेट लोकेशन चेंज हो गई. एक ऑफिसर उनकी तरफ दौड़ता हुआ आया और बोला ‘सर लोकेशन चेंज हो गई है अब आपको सर्किट हाउस में नहीं बल्कि गवर्नर हाउस को टारगेट करना है’. उन्होंने उस अफसर से पूछा, “गवर्नर हाउस कहां है” जिसके बाद उसने जवाब दिया, “सर पता नहीं आप टूरिस्ट मैप पर देख लीजिए”.
वे आगे बताते हैं कि उन्होंने उड़ते जहाज में टूरिस्ट मैप देखना शुरू किया लेकिन मैप में कहीं भी गवर्नर हाउस नहीं लिखा था. बहुत ढूंढने के बाद उन्हें गवर्नमेंट हाउस नाम की एक जगह मिली, उन्होंने उसे ही खोजना शुरू किया. आखिर में उस इमारत के गुंबद को देखकर उन्होंने अंदाजा लगाया कि यही गवर्नर हाउस होगा और हमला कर दिया. इसी हमले में गवर्नर हाउस में पाकिस्तान के गवर्नर भी मौजूद थे. पाकिस्तान का गवर्नर इतना डर गया कि उसने पहले वहीं पर नमाज पढ़ी और फिर एक कागज पर अपना इस्तीफा लिख कर दे दिया. 2 दिन बाद पाकिस्तान की सेना ने सरेंडर कर दिया.
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