Indo-Pak War 1971: आंखों में आंसू लिए General Niazi ने सौंपी थी रिवॉल्वर, 93000 सैनिकों की बचाई थी जान... पाकिस्तानी नियाजी शब्द को मानते हैं मनहूस

Vijay Diwas: 16 दिसंबर 1971 को ढाका में 93000 हजार पाकिस्तान सैनिकों ने भारतीय सेना के सामने सरेंडर किया था. पाकिस्तान के लेफ्टिनेंट जनरल आमीर अब्दुल्ला खान नियाजी ने अपनी रिवॉल्वर लेफ्टिनेंट जनरल जगजीत सिंह अरोड़ा को सौंप दी थी. इस दौरान पाकिस्तानी जनरल की आंखों में आंसू थे. इस सरेंडर के बाद पाकिस्तान ने जनरल नियाजी को सेना से निकाल दिया था.

पाकिस्तान के लेफ्टिनेंट जनरल नियाजी का सरेंडर (Photo/@IAF_MCC)
gnttv.com
  • नई दिल्ली,
  • 16 दिसंबर 2024,
  • अपडेटेड 1:03 PM IST

आज के दिन यानी 16 दिसंबर को विजय दिवस मनाया जाता है. इस दिन ही साल 1971 में पाकिस्तान के 93000 सैनिकों ने भारतीय सेना के सामने सरेंडर किया था और बांग्लादेश का जन्म हुआ था. ये ऐतिहासिक समर्पण ढाका में हुआ था. यह दूसरे विश्व युद्ध के बाद सबसे बड़ा सरेंडर था. यह सरेंडर पाकिस्तान की बड़ी हार का प्रतीक बन गया. चलिए आपको बताते हैं कि पाकिस्तानी जनरल ने कैसे भारत के वीर योद्धाओं के सामने सरेंडर किया था?

...जब जनरल नियाजी ने रिवॉल्वर सौंपी-
1971 के युद्ध में पाकिस्तान की हार तय हो गई थी. उस देश के सैनिक मोर्चे से भाग गए थे. ज्यादातर सैनिकों को भारतीय सेना ने घेर लिया था. इसके बाद 16 दिसंबर का ऐतिहासिक दिन आया. शाम 4 बजकर 30 मिनट पर पाकिस्तान के लेफ्टिनेंट जनरल आमीर अब्दुल्ला खान नियाजी ने अपनी रिवॉल्वर लेफ्टिनेंट जनरल जगजीत सिंह अरोड़ा को सौंप दी. इस दौरान पाकिस्तानी जनरल की आंखों में आंसू थे. उस समय बांग्लादेश के लोग जनरल नियाजी को जान से मार देने के लिए उतावले थे. लेकिन इंडियन आर्मी ने उनकी सुरक्षा सुनिश्चित की.

इस लड़ाई में भारत के 3900 जवान शहीद हुए थे और 9800 से ज्यादा जख्मी हुए थे. इस युद्ध में बांग्लादेश का जन्म हुआ था.

नियाजी ने एयरफोर्स को बताया था हार का कारण-
पाकिस्तान जनरल के पास 93000 हजार सैनिक थे. इसके बावजूद भी पाकिस्तान ने क्यों सरेंडर कर दिया? इस सवाल के जवाब में जनरल नियाजी ने एक भारतीय सैनिक की वर्दी की तरफ इशारा करते हुए कहा था कि इसके कारण, आप इंडियन एयरफोर्स के कारण.

आपको बता दें कि इंडियन एयरफोर्स ने पश्चिमी पाकिस्तान के खिलाफ करीब 2400 मिशन चलाए थे. जबकि पूर्वी पाकिस्तान यानी बांग्लादेश में एयरफोर्स ने 2000 से ज्यादा मिशन चलाए थे. इसकी वजह से पाकिस्तानी सेना की कमर टूट गई और उनको हार स्वीकार करना पड़ा.

पाकिस्तानी नियाजी नाम को मानते हैं मनहूस-
साल 1971 में भारत ने पाकिस्तान को हराकर बांग्लादेश बनाया था. इस युद्ध में पाकिस्तान के लेफ्टिनेंट जनरल एएके नियाजी की अगुवाई में 93000 सैनिकों ने सरेंडर किया था. उसके बाद से पाकिस्तान में नियाजी शब्द मनहूस माना जाता है. पाकिस्तानियों को नियाजी शब्द हार का अहसास कराता है. इसलिए पाकिस्तान इस शब्द से नफरत करते हैं. पाकिस्तान में कोई नियाजी सरनेम इस्तेमाल नहीं करना चाहता है.

पूर्व प्रधानमंत्री इमरान खान का पूरा नाम इमरान अहमद खान नियाजी है. लेकिन वो भी अपने नाम के बाद नियाजी शब्द इस्तेमाल नहीं करते हैं. जब वो प्रधानमंत्री बने थे, तब उन्होंने एक नोटिफिकेशन जारी किया था. इसमें उन्होंने निर्देश दिया था कि आधिकारिक संपर्क में इमरान खान से ही संबोधित किया जाए, उनका पूरा नाम इमरान अहमद खान नियाजी ना बुलाया जाए.

नियाजी को पाकिस्तानी सेना ने निकाल दिया था-
इस सरेंडर के बाद भारत ने जनरल नियाजी को युद्ध बंदी बना लिया था. हालांकि कुछ दिनों बाद उनको रिहा कर दिया गया था. इस युद्ध के बाद पाकिस्तानी सेना ने नियाजी को निकाल दिया था. उनकी पेंशन तक छिन ली गई थी. साल 2004 में जनरल नियाजी का निधन हो गया था. जनरल नियाजी के करीबियों का मानना था कि उन्होंने अपने साथियों की जान बचाने के लिए सरेंडर किया था.

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