भारत में जल्द बनेगा 'किताबों का गांव', ब्रिटेन के 'हे-ऑन-वे’ शहर से है प्रेरित

मराठी भाषा विभाग के अनुसार शुरू में महाराष्ट्र के छह प्रशासनिक क्षेत्रों में ‘किताबों का गांव’ शुरू किया जाएगा और बाद में इसे हर जिले में लागू किया जाएगा. “सरकार ने नामित गांवों में बुनियादी ढांचे और अन्य सुविधाओं को विकसित करने के लिए हर संभव मदद देने का फैसला किया है. एक सरकारी अधिकारी के मुताबिक चुने हुए गांवों के कम से कम 10 प्रमुख स्थानों पर छोटे पुस्तकालय और बुकशेल्फ़ स्थापित किए जाएंगे. 

प्रत्येक जगह को फर्नीचर, किताबें आदि खरीदने के लिए 5 लाख रुपये मिलेंगे.
gnttv.com
  • मुंबई,
  • 15 जनवरी 2022,
  • अपडेटेड 12:52 PM IST
  • शुरुआत में छह गांवों में लागू होगी योजना
  • हर गांव को मिलेंगे 5 लाख रुपए 

आपके आसपास कुछ ऐसे लोग जरूर होते होंगें जिनका पूरा जीवन किताबों में ही बसता हो. किताबें पढ़ने के शौकीन लोगों के आस-पास बस किताबें बिखरी होती हैं और किताबों के बिना उनका कहीं मन नहीं लगता. ऐसे लोगों को जल्द ही भारत में ‘किताबों का गांव’ भी देखने को मिल सकता है. किताबों के प्रसिद्ध शहर ब्रिटेन के 'हे-ऑन-वे' की तर्ज पर महाराष्ट्र सरकार हर जिले में 'किताबों का गांव' बनाने की योजना बना रही है. उन्होंने इसे लागू करने के लिए प्रति गांव 50 लाख रुपये आवंटित किए हैं. 

शुरुआत में छह गांवों में लागू होगी योजना 

मराठी भाषा के मंत्री सुभाष देसाई ने कहा कि ऐसे गांवों को बनाने का उद्देश्य लोगों और उनमें खासकर बच्चों में पढ़ने की आदत विकसित करना है. 'हे-ऑन-वे’ शहर अंतरराष्ट्रीय स्तर पर मशहूर है. देसाई ने कहा, "इसी तरह, हम मराठी भाषा और संस्कृति को वैश्विक मंच पर फैलाने के लिए इस सोच पर काम करना चाहते हैं." मराठी भाषा विभाग के अनुसार शुरू में महाराष्ट्र के छह प्रशासनिक क्षेत्रों में ‘किताबों का गांव’ शुरू किया जाएगा और बाद में इसे हर जिले में लागू किया जाएगा. “सरकार ने नामित गांवों में बुनियादी ढांचे और अन्य सुविधाओं को विकसित करने के लिए हर संभव मदद देने का फैसला किया है. एक सरकारी अधिकारी के मुताबिक चुने हुए गांवों के कम से कम 10 प्रमुख स्थानों पर छोटे पुस्तकालय और बुकशेल्फ़ स्थापित किए जाएंगे. 

हर गांव को मिलेंगे 5 लाख रुपए 

परियोजना के लिए गांवों की पहचान करते समय, पारंपरिक विरासतों, प्रसिद्ध पर्यटन स्थल हैं और  सांस्कृतिक/तीर्थ/ऐतिहासिक स्थलों को प्राथमिकता दी जाएगी. “गाँव को स्वच्छता और अन्य राज्य सरकार की प्रतियोगिताओं जैसे कि संघर्ष-मुक्त गांव में पुरस्कार जीता हुआ होना चाहिए. इसमें बहुत हरियाली होनी चाहिए,” उन्होंने कहा. जिला कलेक्टरों से कहा गया है कि वे सुनिश्चित करें कि ग्रामीण इस आंदोलन में सक्रिय रूप से भाग लें. “उन्हें पुस्तकालय स्थापित करने के लिए अपना स्थान देना चाहिए. सरकार इन गांवों को विकसित करने के लिए धन मुहैया कराएगी और प्रत्येक जगह को फर्नीचर, किताबें आदि खरीदने के लिए 5 लाख रुपये मिलेंगे, ”अधिकारी ने जानकारी दी.


 

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