पंजाब में पराली जलाने की घटनाएं कम होने के बजाय बढ़ गईं हैं. सख्ती और जुर्माने के बावजूद लोग मानने को तैयार नहीं है. लिहाजा दिल्ली और एनसीआर के इलाकों में धुएं का गुबार देखने को मिल रहा है. वायु प्रदूषण की मार से लोग हांफ रहे हैं. लेकिन इन सबके बीच लुधियाना का ये गांव आंखों को सुकून और फेफड़ों को दम दे रहा है. दरअसल यहां पराली जलाने के एक भी मामले सामने नहीं आए हैं.
इन तकनीक से पराली जलाते हैं किसान
दरअसल लुधियाना का चकमाफी गांव पंजाब का जीरो स्टबल बर्निंग गांव बन गया है. यहां के 40 प्रतिशत किसान इन-सीटू तकनीक के जरिए पराली से छुटकारा पा रहे हैं. वहीं 60 प्रतिशत किसान एक्स-सीटू तकनीक के जरिए पराली का निपटारा कर रहे हैं. दरअसल किसान कंबाइन मशीन, मल्चर, अंबी हल, रोटावेटर का उपयोग कर पराली को निपटा रहे हैं. जिले का कृषि विभाग भी पराली को लेकर लगातार जागरूकता अभियान चला रहा है. साथ ही किसानों को ऐसी फसलें चुनने की सलाह दे रहे हैं जिनमें कम अवधि की उपज हो.
इस तरह जीरो बर्निंग सीख सकते हैं किसान
वहीं यहां के कृषि विकास अधिकारी संदीप सिंह का कहना है कि यहां नो बर्निंग है, जीरो बर्निंग है. किसान आस-पास से इस तकनीक को सीख सकते हैं. या फिर इसे सीखने के लिए किसी ऐप का इस्तेमाल कर सकते हैं.
मिसाल बन गया चकमाफी गांव
दिवाली के बाद से प्रदूषण के स्तर में तेजी से इजाफा हुआ है. प्रदूषण के बढ़ने के पीछे पराली जलाए जाने का बड़ा हाथ है. इन सबके बीच लुधियाना का ये चकमाफी गांव एक नजीर पेश कर रहा है क्योंकि सवाल सेहत का है.