कौन कहता है आसमां में सुराख़ नहीं हो सकता,
एक पत्थर तो तबियत से उछालों यारों....
चंडीगढ़ के मनीमाजरा नगर में रहने वाली लता दीयात अनूठी पहल के जरिए विशेष रूप से दिव्यांग लोगों के लिए प्रेरणा बन कर उभरी है. मनीमाजरा नगर की शक्ति नगर निवासी दृष्टिबाधित महिला, लता दीयात नगर निगम के चुनाव में वार्ड नंबर-6 से निर्दलीय उम्मीदवार के रूप में मैदान में उतरी हैं. लता दीयात जो दूसरों की मदद के बिना घर का काम करती हैं, को हर दिन रेडियो में संगीत और समाचार सुनना पसंद है. उनका मानना है कि इससे वो अपडेटेड और तरोताजा रहती हैं.
एमए तक की है पढ़ाई
लता दीयात ने एमए तक की पढ़ाई की हुई है. उन्होंने बीएड भी कर रखा है. लता ग्लूकोमा रोग से पीड़ित हैं, जिसके कारण 30 साल की उम्र में उन्होंने अपनी दृष्टि पूरी तरह से खो दी थी. लेकिन उनका धैर्य और दृढ़ संकल्प उन्हें भीड़ से अलग खड़ा करता है. लता को इन दिनों घर-घर प्रचार करते हुए और अपने लिए समर्थन मांगते हुए देखा जा सकता है. उन्होंने कहा कि पर्यावरण को बचाना उनकी प्राथमिकता सूची में है क्योंकि कुछ दिन पहले जब चंडीगढ़ की रैंक पर्यावरण की स्थिति की रैंकिंग में गिर गई थी तो इससे वह परेशान हो गई थी.
दिव्यांग बच्चों और बुजुर्गों की मदद करना होगी प्राथमिकता
लता ने कहा, अगर वह चुनाव जीतती हैं तो दिव्यांग बच्चों और बुजुर्गों, जिन्हें उनके माता-पिता ने छोड़ दिया है, की मदद करना उनकी प्राथमिकता है. इंडिया टुडे ग्रुप से बात करते हुए उनकी सास दर्शन कौर ने कहा कि उन्हें भी गर्व महसूस होता है कि लता की विशेष दिव्यांगता के बावजूद वह जिस तरह से अकेली खड़ी होती हैं, यह बात उन्हें भीड़ से अलग करती हैं." गुरप्रीत कौर ने कहा, लता का व्यवहार और सामाजिक कार्यों में मदद करना उसे दूसरों के लिए प्रेरणा बनाता है.