Water Crisis : 58 साल के इस शख्स ने पानी के लिए लगाए 50 हजार पेड़, आज 300 परिवारों की मिट रही है प्यास

जिंदगी जीने के लिए बहुत सारी चीजों की जरूरत पड़ती है लेकिन कोई एक चीज जिसके बगैर जिंदगी जीना मुमकिन ही नहीं वो पानी है. ऐसे ना जाने कितने ही गांव है जहां के लोग पानी की किल्लत से जूझ रहे हैं, इन हजारों गांवों में से एक था उत्तारखंड का गांव बागेश्वर ,लेकिन आज एक 58 साल के शख्स ने गांव के 300 परिवारों की प्यास बुझा दी है

Waterman of Uttrakhand
तेजश्री पुरंदरे
  • देहरादून,
  • 20 अगस्त 2022,
  • अपडेटेड 10:24 PM IST
  • 18 साल की उम्र से जगदीश ने पौधे लगाने शुरू किए थे
  • अब तक करीब 40 से 50 हज़ार पौधे लगा चुके हैं

पानी के लिए जद्दोजहद कर रहे भारत के कई गांव आज भी प्राकृतिक संसाधनों पर निर्भर करते हैं. कई गांव ऐसे हैं जहां पर गांव के पहले छोर से लेकर आखिरी छोर पर बसे घरों की माएं और बहनें एक बाल्टी पानी भरने के लिए कोने में लगे सूखे नल की तरफ सालों से देख रही हैं. ऐसा ही एक गांव है उत्तराखंड बागेश्वर का सिरकोट गांव. जहां पर कई साल पहले पानी का एकमात्र जरिया सूख गया, और एक बूंद पानी के लिए क्या मर्द और क्या औरत सबको जद्दोजहद करनी पड़ रही थी. लेकिन 58 साल के जगदीश कुनियाल ने इस मसले का हल निकाला. 58 साल के जगदीश कुनियाल ने पानी की किल्लत और इससे होने वाली दिक्कतों को समझा और महज 18 साल की उम्र से ही गांव में पेड़ लगाना शुरू कर दिया. आज जगदीश के हाथों लगाए गए ये पौधे  पानी का जरिया बन गए हैं. 

18 साल की उम्र से जगदीश ने पौधे लगाने शुरू किए थे, और अब तक करीब 40 से 50 हज़ार पौधे लगा चुके हैं. और आज इन पेड़ों की बदौलत से सूखे झरनों से भी पानी आने लगा है. इसके अलावा जगदीश ने पानी के की स्त्रोत का निर्माण भी किया है. इन स्त्रोतों की बदौलत आज गांव के करीब 300 परिवार तक पानी पहुंच रहा है. 

आसपास के लोगों का कहना है कि जो काम सरकार करोड़ों रुपए खर्च करके भी नहीं कर पाती वो काम जगदीश ने अकेले अपनी हिम्मत और जुनून से कर दिखाया है. 

जगदीश बताते हैं कि 1978 में ही उनके पिता को मौत हो गई थी.  इसके बाद परिवार की जिम्मेदारी को देखते हुए उन्होंने पढ़ाई छोड़ दी लेकिन शौक नहीं छूट पाया. उस दौर में चिपको आंदोलन बहुत चर्चाओं में था. एक दिन  जगदीश चिपको आंदोलन के बारे में पढ़ रहे थे,  इसी आंदोलन  से प्रेरणा लेकरजगदीश ने  इस मुहिम की शुरुआत करने की ठानी. 

जगदीश ने 1980 में दस एकड़ ज़मीन पर पेड़ लगाने शुरू किए.  बस उसके बाद कारवां चलता गया और आज वे लगभग 50 हजार पेड़ अकेले लगा चुके हैं और कई पानी के स्त्रोत जिंदा कर चुके हैं. 

बता दें कि प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी भी मन की बात में जगदीश के काम की सराहना कर चुके हैं.  जगदीश बताते हैं कि प्रधानमंत्री तक उनके काम का जिक्र कैसे पहुंचा वे नहीं जानते लेकिन वे उनका थे दिल से शुक्रिया जरूर करते हैं. 

जगदीश के चार बच्चे हैं जिसमें से एक बेटा बैंक में मैनेजर है, दूसरा आईएमए देहरादून (इंडियन मिलिट्री अकादमी) में है, बेटी गूगल सर्टिफाइड कंपनी में काम कर रहीहै और चौथी बेटी यूपीएससी की तैयारी कर रही है.जगदीश का कहना है कि  वे इसी तरह से काम करते रहेंगे, और कोशिश करेंगे कि ज्यादा से ज्यादा पानी के स्त्रोत बनाए और पौधे लगाते रहें. 

 

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