दिल्ली यूनिवर्सिटी का प्रोफेसर रतनलाल (Ratanlal) को शुक्रवार रात को गिरफ्तार कर लिया गया था. जिसके बाद उनको शनिवार शाम जमानत मिल गई है. बता दें, गिरफ़्तारी के बाद से ही दिल्ली विश्वविद्यालय से लेकर जवाहरलाल नेहरू यूनिवर्सिटी (जेएनयू) के छात्र उनकी गिरफ़्तारी के विरोध में प्रदर्शन कर रहे थे. उनकी मांग थी कि जल्द से जल्द प्रो. रतन लाल को रिहा किया जाए. बता दें, सुप्रीम कोर्ट के वकील विनीत जिंदल ने रतन लाल के खिलाफ दिल्ली पुलिस में शिकायत दर्ज करवाई थी. इसमें कहा गया था कि इस पोस्ट के कारण उनकी धार्मिक भावनाएं आहात हुई हैं. वकील ने अपनी शिकायत में कहा था कि ज्ञानवापी मस्जिद का मामला काफी संवेदनशील प्रकृति का है और मामला अदालत में विचाराधीन है.
पुलिस के मुताबिक एसोसिएट प्रोफेसर रतन लाल को भारतीय दंड संहिता की धारा 153ए और 295ए के तहत साइबर पुलिस ने गिरफ्तार किया था.
क्या है पूरा मामला?
दरअसल, वाराणसी में काशी विश्वनाथ मंदिर से सटे ज्ञानवापी मस्जिद में न्यायालय के आदेश के बाद सर्वे के दौरान एक शिवलिंग जैसे स्ट्रक्चर का पता चला था. जिसको शेयर करते हुए दिल्ली यूनिवर्सिटी का प्रोफेसर रतनलाल (Ratanlal) ने 17 मई को ज्ञानवापी मस्जिद के सर्वे के दौरान मिले शिवलिंग को लेकर आपत्तिजनक टिप्पणी की थी. इसके बाद से ही सोशल मीडिया पर ये पोस्ट जमकर वायरल होने लगा. हालांकि, कुछ लोगों ने इस पोस्ट पर उनकी गिरफ्तारी की मांग भी की. उनके अनुसार, इस पोस्ट के उनकी धार्मिक भावनाएं आहात हुई हैं.
गिरफ्तारी के बाद से ही रतन लाल हैशटैग ट्विटर पर ट्रेंड कर रहा है. अधिकतर लोग उनकी गिरफ्तारी को जायज और जरूरी बता रहे हैं तो वहीं कुछ लोग ऐसे भी हैं जो इसका विरोध कर रहे हैं. हालांकि, अब उन्हें जमानत मिल चुकी है. उन्हें 50 हजार के बॉन्ड के साथ रिहा किया गया है.
क्या है धारा 153ए और 295ए?
रांची कोर्ट में प्रैक्टिस कर रहे प्रीतम मंडल इस कानून के बारे में बताते हैं कि भारतीय दंड संहिता, 1860 की धारा 295A के तहत ऐसा कोई भी एक्शन या शब्द अपराध की श्रेणी में आता है जिससे कोई व्यक्ति, भारत के नागरिकों के किसी वर्ग की धार्मिक भावनाओं को आहत करने की कोशिश या विद्वेषपूर्ण भावना से उस वर्ग के धर्म या धार्मिक विश्वासों का अपमान करता है. ऐसे व्यक्ति के खिलाफ भारतीय संविधान में सजा का प्रावधान है. ये किसी भी विधा जैसे उच्चारित शब्दों (Spoken words) या लिखित शब्दों (written words) या फिर संकेतों (signs) द्वारा या दृश्यरूपणों (visible representations) के माध्यम से किया जा सकता है.
इसके तहत अगर कोई दोषी पाया जाता है तो उसके लिए 3 साल की जेल या जुर्माने या दोनों से दण्डित किया जा सकता है.
एडवोकेट प्रीतम के मुताबिक, अगर धारा 153ए की बात करें, तो किसी धर्म (जाति और समुदाय) या संप्रदाय अथवा धार्मिक भावनाओं को आहत करने वाले कोई ऐसा कार्य किया जाता है, जिससे लोक शांति में बाधा उत्पन्न होती है तो ऐसे में उस शख्स या समूह को आईपीसी की धारा 153A के तहत अपराधी माना जाएगा. इसके तहत आरोपी साबित होने पर 5 साल के लिए कारावास और जुर्माना या फिर दोनों हो सकते हैं.
कौन हैं रतन लाल?
गौरतलब है कि प्रोफेसर रतन लाल दिल्ली यूनिवर्सिटी के अंतर्गत आने वाली नॉर्थ कैंपस के हिंदू कालेज में इतिहास के प्रोफेसर हैं. सोशल मीडिया पर काफी एक्टिव रहने वाले रतन लाल अंबेडकर के समर्थन में लगातार पोस्ट डालते रहते हैं. बता दें, कुछ समय पहले दिल्ली स्थित उनका घर भी सुर्खियों में था. उन्होंने अपने बंगले को इस तरह से रेनोवेट किया है कि उसमें अंबेडकर से जुड़ी कई चीजें मिल जाएंगी. साथ ही साथ उन्होंने अपने घर के आगे बाबा साहब डा आंबेडकर की प्रतिमा को भी स्थापित किया हुआ है.