CHILD LABOUR LAW: घर में काम करवाने वाले बच्चों से बर्बरता पर क्या कहता है कानून, कैसे चाइल्ड लेबर पर लग सकती है रोक

CHILD LABOUR LAW: दिल्ली जैसे बड़े शहर में अमूमन इस तरह की तस्वीर सामने आती हैं जहां बच्चा बाल श्रम करता नजर आ जाता है. इसको रोकने के लिए जरूरी है कि बच्चों का फुल टाइम ध्यान रखा जाए उन्हें शिक्षा दी जाए.

CHILD LABOUR
नीतू झा
  • नई दिल्ली,
  • 20 जुलाई 2023,
  • अपडेटेड 6:45 PM IST
  • इस तरह की तस्वीरें सामने आती रहती हैं
  • महिला कमीशन ने भी लिया है एक्शन 

दिल्ली के द्वारका इलाके से एक ऐसा मामला सामने आया जिसने लोगों के दिलों को झकझोर कर रख दिया है. यहां एक महिला पायलट ने अपने घर में काम कर रही छोटी बच्ची के साथ न सिर्फ बर्बरता की बल्कि प्रेस से उसके पूरे शरीर हो भी जला दिया. बच्ची की उम्र महज 10 साल थी, जब स्थानीय लोगों ने इस मामले में पड़ताल की तो देखा कि बच्ची बुरी तरह प्रताड़ित किया गया था. पुलिस ने इस मामले में कपल को अरेस्ट कर लिया है, लेकिन इस तरह का ये कोई पहला मामला नहीं है अक्सर बड़े शहरों से ऐसी तस्वीरें सामने आती है जहां छोटे बच्चों से बड़े बड़े घरों में काम करवाया जा रहा होता है. लेकिन इसके खिलाफ कानून बने हुए है. चाइल्ड लेबर लॉ के तहत किसी भी बच्चे से जिसकी उम्र 14 साल से कम है वो किसी भी तरह का लेबर नहीं कर सकते.

कानून क्या कहता है?

बच्चों से घरों में काम करवाए जाने के मामले में दिल्ली हाई कोर्ट के एडवोकेट अशोक अग्रवाल ने बताया कि बच्चों से घरों में काम करवाना गैरकानूनी है. इस मामले में 3 कानून लागू होते हैं पहला आईपीसी का कानून है,जुवेनाइल जस्टिस के तहत मामला दर्ज होता है और तीसरा है चाइल्ड लेबर.

चाइल्ड लेबर एक्ट की बाते करें, तो इसमें साफ लिखा गया है कि किसी भी बच्चे से जिसकी उम्र 14 साल से कम है वो किसी भी काम में नही लगाया जा सकता है. वहीं जिसकी उम्र 14 साल से ज्यादा है उनसे भी महज कुछ घंटों के लिए ही काम करवाया जा सकता है. चाइल्ड लेबर मामले में सुप्रीम कोर्ट के हिसाब से 20 हजार रुपए का जुर्माना लगाया जाता है. वहीं अगर मारपीट की बात करें तो ऐसे मामलों में आईपीसी की भी धाराएं लगाई जाती है साथ ही जुवेनाइल जस्टिस के मामले में भी एक्शन लिया जाता है.

इस तरह की तस्वीरें सामने आती हैं

अशोक अग्रवाल बताते हैं कि दिल्ली जैसे बड़े शहर में अमूमन इस तरह की तस्वीर सामने आती हैं जहां बच्चा बाल श्रम करता नजर आ जाता है. इसको रोकने के लिए जरूरी है कि बच्चों का फुल टाइम ध्यान रखा जाए उन्हें शिक्षा दी जाए. देश के कई राज्य ऐसे हैं जहां बड़ी तादाद में बच्चों को भेजा जाता है वहीं कोरोना काल के बाद बच्चों का श्रम करना और बढ़ गया है.

क्या है सजा का प्रावधान?

अशोक अग्रवाल बताते हैं कि चाइल्ड लेबर के मामले में जो सजा है वो अभी इतनी मजबूत नहीं है. पहली बार इस मामले में वार्निंग दे कर छोड़ दिया जाता है. दोबारा ऐसा करने पर एक्शन लिया जाता है, वहीं कई जगह लोग पकड़े जाने पर मेडिकल में भी गड़बड़ी कर देते हैं.

महिला कमीशन ने भी लिया है एक्शन 

वहीं इस मामले में दिल्ली कमीशन की अध्यक्ष स्वाति मालीवाल ने बताया कि इस मामले में डीसीडब्ल्यू ने एक्शन लिया है क्योंकि बच्ची का शरीर ही इस बात की गवाही दे रहा है कि बच्ची के साथ किस तरह से बर्बरता हुई है. उन बच्चों को बुरी तरह से जलाया गया है. डीसीडब्ल्यू ने दिल्ली पुलिस को नोटिस जारी किया है और पड़ताल की जाएगी कि ये खंगाला जाए कि उस बच्ची से कबसे काम करवाया जा रहा है. अब उसका रिहैबिलेशन कैसे करना है इसपर काम जारी है.

स्वाति मालीवाल ने आगे बताया कि आज जरूरी है कि बाल श्रम रोकने के लिए सब सामने आए अगर वो अपने आसपास ऐसा कुछ होते देखते हैं तो एक हेल्पलाइन नंबर है 181 उसपर कॉल करके जानकारी जरूर दें. ,जानकारी देने वाले की पहचान भी गुप्त रखी जाएगी. इसके साथ ही बाल श्रम करवाने वालों पर सख्त एक्शन लिया जाना चाहिए और लिया भी जा रहा है. अक्सर ये भी देखा जाता है की जो लोग बाल श्रम करवाते है वो अपनी हरकतों को सिद्ध करने की कोशिश में बच्चों की गरीबी का हवाला देते हैं और ऐसे काम पर रोक लगनी चाहिए.


 

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