Floor Test: क्या होता है फ्लोर टेस्ट, जिसमें फेल होने पर गिर जाती है सरकार, क्या है इसकी पूरी प्रक्रिया

महाराष्ट्र के राज्यपाल भगत सिंह कोश्यारी ने सरकार के फ्लोर टेस्ट का आदेश दिया है. 30 जून को उद्धव ठाकरे सरकार का सदन में फ्लोर टेस्ट होगा. अगर इसमें सरकार फेल हो गई तो उद्धव ठाकरे की कुर्सी चली जाएगी.

महाराष्ट्र के सीएम उद्धव ठाकरे
gnttv.com
  • नई दिल्ली,
  • 29 जून 2022,
  • अपडेटेड 3:32 PM IST
  • 30 जून को उद्धव ठाकरे सरकार का फ्लोर टेस्ट
  • महाराष्ट्र के इतिहास में अब तक फ्लोर टेस्ट में नहीं गिरी है सरकार

महाराष्ट्र के राज्यपाल भगत सिंह कोश्यारी ने कल विधानसभा सत्र का विशेष सत्र बुलाया है. जिसमें उद्धव ठाकरे सरकार को विश्वास मत हासिल करना होगा.  30 जून को सुबह 11 बजे से विधानसभा का सत्र शुरू होगा और इसका लाइव प्रसारण किया जाएगा. अगर इसमें ठाकरे सरकार विश्वास मत हासिल नहीं कर पाती है तो महाराष्ट्र में महा विकास अघाड़ी की सरकार गिर जाएगी.

फ्लोर टेस्ट क्या है-
फ्लोर टेस्ट विधानसभा में होता है. इसका मकसद ये जानना होता है कि सरकार के पास बहुमत है या नहीं. संविधान में व्यवस्था है कि राज्यपाल राज्य के मुख्यमंत्री को बहुमत साबित करने के लिए कह सकता है. इस प्रोसेस में सदन में मौजूद विधायक वोट डालते हैं और सरकार का भविष्य तय करते हैं. फ्लोर टेस्ट कराने की पूरी जिम्मेदारी सदन के स्पीकर की होती है. 

कैसे होता है फ्लोर टेस्ट-
फ्लोर टेस्ट तब होता है जब विपक्ष की तरफ से अविश्वास प्रस्ताव लाया जाता है. सबसे पहले स्पीकर विधायकों से ध्वनिमत से सरकार के पक्ष और विपक्ष में समर्थन जानने की कोशिश करते हैं. इसके बाद कोरम बेल बजती है और विधायकों को पक्ष और विपक्ष में बंटने के लिए कहा जाता है. इसके बाद पक्ष और विपक्ष के समर्थन विधायकों की संख्या की गिनती है. इसके बाद स्पीकर इसके नतीजे घोषित करते हैं. अगर सरकार के समर्थन में जरूरी विधायकों का समर्थन होता है तो सरकार बच जाती है और अगर विरोध में ज्यादा विधायकों का समर्थन होता है तो सरकार गिर जाती है. कई बार देखा जाता है कि मुख्यमंत्री फ्लोर टेस्ट से पहले ही इस्तीफा दे देते हैं. ऐसा तब होता है जब उनको लगता है कि उनकी सरकार के पक्ष में पर्याप्त विधायकों का समर्थन नहीं हैं. ऐसे में फ्लोर टेस्ट की जरूरत नहीं पड़ती है और सरकार गिर जाती है.

बहुमत के लिए कितना समर्थन चाहिए- 
किसी भी राज्य में सरकार चलाने के लिए मुख्यमंत्री के पास सदन का भरोसा होना चाहिए. इसका मतलब है सरकार के पास सदन में बहुमत हो. सरकार में बने रहने के लिए सत्ताधारी पार्टी के पास सदन में 50 फीसदी से एक ज्यादा विधायकों का समर्थन होना जरूरी है.

महाराष्ट्र में फ्लोर टेस्ट का इतिहास-
महाराष्ट्र में आज तक फ्लोर टेस्ट में कोई सरकार नहीं गिरी है. 1 मई 1960 को महाराष्ट्र राज्य का गठन हुआ था. उसके बाद से 14 बार विधानसभा चुनाव हो चुके हैं और 19 मुख्यमंत्री बन चुके हैं. लेकिन अब तक इस बार भी फ्लोर टेस्ट में बहुमत सरकार के खिलाफ नहीं गया है. साल 2014 में देवेंद्र फडणवीस ने फ्लोर टेस्ट में विश्वास मत हासिल करके सरकार बचाई थी.

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