Goa civil code: गोवा में हिंदू पुरुष कर सकता है दूसरी शादी, जानिए गोवा सिविल कोड में क्या-क्या हैं प्रावधान

Goa Civil Code: गोवा सिविल कोड में महिलाओं को कई अधिकार मिले हुए हैं. पिता की संपत्ति में बेटियों को हक है. अथॉरिटी के सामने बिना रजिस्ट्रेशन के शादी मान्य नहीं है. गोवा सिविल कोड में हिंदू पुरुषों को कुछ परिस्थितियों में दूसरी शादी का अधिकार है.

गोवा सिविल कोड के नियम
शशिकांत सिंह
  • नई दिल्ली,
  • 11 दिसंबर 2022,
  • अपडेटेड 5:52 PM IST
  • गोवा में हिंदू पुरुष कर सकता है दूसरी शादी
  • 21 साल की उम्र तक मां नहीं बनी पत्नी तो दूसरी शादी की छूट

देश में यूनिफॉर्म सिविल कोड को लेकर सियासी चर्चा हमेशा से सुर्खियों में रही है. कई दल इसका समर्थन करते हैं तो कई पार्टियां इसके विरोध में है. इस बहस में एआईएमआईएम के सांसद असदुद्दीन ओवैसी ने नया राग छेड़ दिया है. एजेंडा आजतक में यूनिफॉर्म सिविल कोड के सवाल पर ओवैसी ने पूछा कि देश में कौन सा सिविल कोड लागू होगा? क्या गोवा सिविल कोड लागू होगा? उन्होंने कहा कि गोवा सिविल कोड में हिंदू पुरुष को दूसरी शादी करने का अधिकार है. अगर हिंदू महिला 30 साल की उम्र तक मेल चाइल्ड को जन्म नहीं देती है तो पति को दूसरी शादी का अधिकार है. ओवैसी ने इसका जिक्र करके नई बहस छेड़ दी है. चलिए आपको बताते हैं कि गोवा सिविल कोड कैसे अस्तित्व में आया और उसमें क्या-क्या खास बाते हैं.

क्या है गोवा सिविल कोड-
संविधान में गोवा को विशेष राज्य का दर्जा मिला हुआ है. गोवा में आज भी पुर्तगाली सिविल कोड लागू है. संसद ने कानून बनाकर गोवा को पुर्तगाली सिविल कोड लागू करने का अधिकार दिया था. दरअसल पुर्तगाल में 1867 में एक नागरिक संहिता लागू की गई थी. जिसे 1869 में पुर्तगाली अधिकारी वाले गोवा में भी लागू किया गया था. आपको बता दें कि साल 1961 में गोवा भारत में शामिल हुआ था. ये बात अलग है कि पुर्तगाल में अब इस कानून में सुधार हो चुका है. साल 1966 में पुर्तगाल ने अपने देश में यूनिफॉर्म सिविल कोड में सुधार किया था.

बिना रजिस्ट्रेशन शादी मान्य नहीं-
गोवा में सभी धर्मों हिंदू, मुस्लिम और ईसाई समुदाय को अपने रीति-रिवाज से शादी करने का अधिकार है. लेकिन शादी को कानूनी मान्यता तभी मिलती है, जब उसका रजिस्ट्रेशन कराया जाता है. नियम है कि अगर एक बार शादी का रजिस्ट्रेशन हो गया तो तलाक सिर्फ कोर्ट से ही मिलता है. तलाक की स्थिति में पति को विरासत में मिली संपत्ति में पत्नी का आधा हिस्सा होता है.

महिला और पुरुष को संपत्ति पर बराबर अधिकार-
गोवा में संपत्ति पर पति और पत्नी का समान अधिकार है. हिंदू, मुस्लिम और ईसाई के लिए अलग-अलग कानून नहीं हैं. गोवा को छोड़कर देश के बाकी हिस्सों में हिंदू, मुस्लिम और ईसाई धर्म के लिए अलग-अलग नियम हैं. उत्तराधिकार और तलाक को लेकर सभी धर्मों के लिए नियम अलग है. संपत्ति में बेटियों को आधा हिस्सा का प्रावधान है. इसके अलावा वसीयत में पति और पत्नी दोनों की सहमति जरूरी है.
गोवा में अगर विवाह के समय कुछ भी स्पष्ट नहीं है तो इसके लिए नियम साफ है. इस स्थिति में विवाह के बाद जोड़े के पास जो भी संपत्ति है, चाहे वो विरासत में मिली हो या संयुक्त रूप से प्राप्त की हो, उसमें पति और पत्नी दोनों का हक है. ये नियम सभी समुदायों पर समान रूप से लागू है. गोवा में ये भी नियम है कि पैरेंट्स को अपनी कम से कम आधी संपत्ति का मालिक अपने बच्चों को बनाना होगा, जिसमें बेटियां भी शामिल हैं.

हिंदू पुरुष को दो शादी की छूट-
गोवा में मुसलमानों को चार शादी करने का अधिकार नहीं है. लेकिन हिंदू पुरुष को दो शादी करने की छूट है. लेकिन इसके लिए कानून में परिस्थितियों का भी जिक्र है. अगर हिंदू शख्स की पत्नी 21 साल की उम्र तक बच्चे पैदा नहीं कर पाती है या 30 साल की उम्र तक लड़का पैदा नहीं करती है तो उसका पति दूसरी शादी कर सकता है. हालांकि गोवा के सीएम प्रमोद सावंत का कहना है कि साल 1910 के बाद से इस नियम का फायदा किसी भी हिंदू को नहीं मिला है.

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