रेलवे का नेटवर्क इतना बड़ा है की गलतियों की गुंजाइश ना के बराबर होती है. कहते है इस सिस्टम में हर चीज क्रिया के हिसाब से चलती है. लेकिन एक सवाल अधिकतर यात्रियों के दिमाग में यात्रा करते समय आता होगा कि अगर यात्रा के दौरान ड्राइवर की तबीयत खराब हो जाए या फिर उसको कुछ हो जाए तो ऐसी परिस्थिति में ट्रेन का संचालन कौन करेगा? ऐसे में दुर्घटना रोकने के लिए क्या सिस्टम है?
अगर ड्राइवर को नींद आ जाए
असल में रेलवे ने इस परिस्थिति से निपटने के लिए पहले ही व्यवस्था कर रखी है. अगर ड्राइवर की तबियत खराब होती है या उसको नींद आ जाती है तो ऐसी परिस्थिति में ड्राइवर की जगह एसिटेंट ड्राइवर ट्रेन की कमान संभालता है. ऐसे में दूसरा ड्राइवर ट्रेन को अपने अधिकार में ले लेगा और आपात स्थिति में वो ट्रेन को अगले स्टेशन पर रोक देगा यानी हर ट्रेन में ड्राइवर की मदद के लिए असिटेंट ड्राइवर भी होता है.
अब सवाल उठता है की अगर दोनों ड्राइवर ट्रेन चलाने की स्थिति में नहीं है और दोनो की तबियत खराब हो गई है तो तब भी यात्रियों को परेशान होने की जरूरत नहीं है.
इसके लिए अलग से है एक सिस्टम
रेलवे ने इसके लिए एक सिस्टम तैयार किया है. रेलवे ने हर इंजन में एक डिवाइस लगाई है जिसको विजीलेंस कंट्रोल डिवाइस कहते है. इस डिवाइस में कंट्रोल रूम की तरफ से सिग्नल दिया जाता है. अगर ड्राइवर एक मिनट में कोई प्रतिक्रिया नहीं देता है तो ये एक तरह का अलार्म नोटिफिकेशन भेजता है. ड्राइवर अगर अगले 17 सेकंड में रिस्पॉन्स नहीं करता है तो ऐसे में ट्रेन में ऑटोमेटिक ब्रेक लगने शुरू हो जाते हैं. कंट्रोल रूम को इसकी जानकारी तुरंत मिल जाती है कि ट्रेन ड्राइवर के सही ऑपरेट नहीं होने की वजह से रोकी गई है.
ऐसे में हर हालात में अगर ड्राइवर की तबियत खराब हो जाए , वो सो जाए, असिटेंट ड्राइवर भी ट्रेन चलाने में असमर्थ हो तब भी ट्रेन में परिचालन और किसी हादसे की संभावना नहीं है क्योंकि रेल का ये ऑटोमेटिक सिस्टम हर तरह से तैयार है.