Digital Arrest: क्या है डिजिटल अरेस्ट, 65 साल की बुजुर्ग महिला से 35 लाख की ठगी, आप भी हो सकते हैं शिकार, यहां इसके बारे में जानिए

Digital Arrest Scam: साइबर ठग डिजिटल अरेस्ट के दौरान नकली पुलिस अधिकारी या अन्य एजेंसी के जांच अफसर बनकर लोगों को धमकाते हैं और अपना शिकार बनाते हैं. ये तकनीक के सहारे बैकग्राउंड में पुलिस स्टेशन या अन्य कोई ऑफिस क्रिएट कर लेते हैं.

Digital Arrest Scam (symbolic photo)
gnttv.com
  • नई दिल्ली,
  • 21 जनवरी 2024,
  • अपडेटेड 4:57 PM IST
  • डिजिटल अरेस्ट के दौरान ठग वीडियो कॉलिंग के जरिए रखते हैं नजर 
  • पीड़ित को बुरी तरह डराकर पैसे देने को कर दते हैं मजबूर

रोज नई-नई टेक्नोलॉजी के इजाद के साथ अपराधी भी हाईटेक होते जा रहे हैं. पिछले कुछ महीनों में ऑनलाइन और साइबर फ्रॉड के बेहद हैरान करने वाले मामले सामने आए हैं. इनमें साइबर क्रिमिनल ने एआई जैसी तकनीक का इस्तेमाल भी किया है. इसी कड़ी में ऑनलाइन फ्रॉड के लिए अपराधियों ने एक नया पैंतरा तैयार किया है, जिसे डिजिटल अरेस्ट कहा जा रहा है. अभी हाल ही में एक बुजुर्ग महिला इन साइबर ठगों के चंगुल में फंस चुकी है. आइए जानते हैं महिला के साथ क्या-क्या हुआ, किसे कहते हैं डिजिटल अरेस्ट और इससे कैसे अपना बचाव करें?

क्या है डिजिटल अरेस्ट
कानून की भाषा मे डिजिटल अरेस्ट नाम की कोई चीज नहीं, लेकिन ठगों की भाषा मे यह बेहद महत्वपूर्ण हो है. डिजिटल अरेस्ट ब्लैकमेल करने का एक एडवांस तरीका है. डिजिटल अरेस्ट का सीधा मतलब है कि कोई आपको ऑनलाइन धमकी देकर वीडियो कॉलिंग के जरिए आप पर नजर रख रहा है. डिजिटल अरेस्ट के दौरान साइबर ठग नकली पुलिस अधिकारी या अन्य एजेंसी के जांच अफसर बनकर लोगों को धमकाते हैं और अपना शिकार बनाते हैं. ये तकनीक के सहारे बैकग्राउंड में पुलिस स्टेशन या अन्य कोई ऑफिस क्रिएट कर लेते हैं. इससे सामने वाले व्यक्ति को लगता है कि मानो कोई पुलिस अधिकारी थाने में बैठकर ही बात कर रहा है.

अपने ही घर में ऑनलाइन कैद होकर रह जाते हैं लोग
पहले साइबर अपराधी लोगों को कॉल करते हैं और उनसे कहते हैं कि आपके आधार कार्ड, सिम कार्ड, बैंक कार्ड या बैंक अकाउंट का उपयोग आपराधिक गतिविधियों के लिए किया गया है. इसे लेकर वे सामने वाले व्यक्ति पर मनगढ़ंत आरोप लगाते हैं और गिरफ्तारी का डर दिखाकर पीड़ितों से पैसे वसूलते हैं. ये शातिर साइबर अपराधी ऐसे हालात बना देते हैं कि कोई भी व्यक्ति घबरा जाता है. ठग वीडियो कॉल करते हैं और सामने बैठे रहने के लिए कहते हैं. इस दौरान किसी से बात करने, मैसेज करने और मिलने की इजाजत नहीं होती. इस दौरान जमानत के नाम पर लोगों से पैसे भी मांगे जाते हैं. डिजिटल अरेस्ट में ये फेक फॉर्म भी भरवाते हैं. इस तरह लोग अपने ही घर में ऑनलाइन कैद होकर रह जाते हैं.

डिजिटल अरेस्ट से कैसे करें बचाव 
1. आमतौर पर पुलिस, सरकारी एजेंसी और अधिकारी किसी को कॉल करके डराते-धमकाते नहीं हैं. इसलिए यदि आपको ऐसी कोई कॉल आती है तो पहले कॉल करने वाले की वेरीफाई करें.
2. इस तरह के फर्जी कॉल आने पर किसी भी परिस्थिति में अपनी गोपनीय जानकारी नहीं दें खासतौर पर बैंक खाते, पैन कार्ड या आधार कार्ड से जुड़ी जानकारी.
3. जब भी कोई आपके ऊपर इस तरह के कानूनी आरोप लगाए तो उसकी पुष्टि के लिए ऑफिशियल चैनलों के माध्यम से सरकारी एजेंसियों या अधिकारियों से संपर्क करने की कोशिश करें.
4. यदि कोई आपको पुलिस या सीबीआइ अधिकारी बनकर डिजिटल तौर पर गिरफ्तार करने की धमकी देता है, तो सबसे पहले आपको अपने परिवार के सदस्यों या दोस्तों को सूचित करना चाहिए.
5. नजदीकी पुलिस स्टेशन में जाकर इसकी शिकायत करें, इस बात से नहीं डरें कि पुलिस आपके खिलाफ कोई एक्शन लेगी.
6. किसी भी अनजान नंबर से आई कॉल की जानकारी पर तुरंत भरोसा नहीं करें. 
7. यदि ऐसा कोई कॉल आए और कोई आपसे पैसे की मांग करे तो आपको पैसे ट्रांसफर नहीं करने हैं और न ही आपको बैंक अकाउंट या कार्ड डिटेल शेयर करनी है.
8. खुद को स्कैम और फ्रॉड जैसी घटनाओं से अपडेट रखें ताकि अगर कोई आपके साथ ऐसा कुछ भी करने का ट्राई करे तो आप पहले से ही अलर्ट हों और कोई आपको नुकसान न पहुंच पाए.
9. यदि आपको साइबर क्राइम से जुड़े हेल्पलाइन का नंबर नहीं पता तो अभी अपने फोन में 1930 नंबर को सेव कर लीजिए. ये नेशनल साइबरक्राइम हेल्पलाइन नंबर है, जिसपर कॉल कर शिकायत दर्ज करा सकते हैं.

बुजुर्ग महिला से कैसे की 35 लाख की ठगी
दिल्ली पुलिस स्पेशल सेल की इंटेलिजेंस फ्यूजन एंड स्ट्रैटेजिक ऑपरेशंस (IFSO) यूनिट ने बुजुर्ग महिला से डिजिटल फ्रॉड करने वाले गिरोह का पर्दाफाश किया है. डीसीपी आईएफएसओ हेमंत तिवारी के मुताबिक, आरोपियों ने पहले वॉइस कॉल के जरिए 65 साल की महिला को कॉल किया. इसके बाद उनको बताया कि आपने एक ऑनलाइन पार्सल भेजा है, जिसके अंदर कुछ पासपोर्ट, ड्रग्स और कपड़े मौजूद हैं. आरोपी ने यह कहा कि ड्रग्स और फर्जी पासपोर्ट मामले में आपको जेल हो सकती है. आप अरेस्ट हो सकती हैं. इस बात से बुजुर्ग महिला घबरा गई.

ऐसे महिला को दिलाया यकीन
शुरुआत में बुजुर्ग महिला को आरोपियों पर शक हुआ कि उनके साथ फ्रॉड किया जा रहा है. इसके बाद आरोपियों ने विश्वास दिलवाने के लिए स्काइप के जरिए वीडियो कॉल की. वीडियो कॉल में दिखाया कि सीबीआई के दफ्तर से आपको कॉल की गई है. जहां पर दो से तीन लोग मौजूद थे. पीछे सीबीआई का लोगो लगा था. इस तस्वीर को देखकर बुजुर्ग महिला को यकीन हुआ कि वाकई में एनफोर्समेंट एजेंसी की तरफ से कॉल की गई है.

पैसा एक अकाउंट में डालने को कहा
फिर वीडियो कॉल पर आरोपी ने महिला को डराया कि आपको डिजिटल अरेस्ट किया जा चुका है. इसके बाद महिला काफी ज्यादा घबरा गई और रोने लगी. आरोपी ने फिर दूसरी चाल चली और कहा कि आप सही हैं. आपके दस्तावेजों को इस्तेमाल करके आपको फंसाया गया है. आपके सारे अकाउंट को वेरीफाई करना होगा. इसीलिए सभी अकाउंट का पैसा एक अकाउंट में डाल दें . इसके बाद बुजुर्ग महिला इनकी बातों में आकर सारा पैसा एक सैपरेट अकाउंट में ट्रांसफर कर दिया. इसके बाद एक-एक करके 35 लाख रुपए उनके अकाउंट से डेबिट हो गए. आरोपी को यह जानकारी थी कि बुजुर्ग महिला के पास अभी और भी फंड मौजूद है. कुछ शेयर मार्केट के पैसा भी लगा हुआ है. इसके बाद महिला ने अपने रिश्तेदारो में यह जानकारी दी.

नंबर को किया ट्रैक
रिश्तेदार को शक हुआ कि उनके साथ लाखों रुपए का फ्रॉड हो चुका है, जिसके बाद पीड़ित परिवार आईएफएसओ के पास शिकायत लेकर पहुंचा. इस मामले में तुरंत एफआईआर दर्ज कर मामले की जांच शुरू कर दी गई. पुलिस ने टेक्निकल सर्विलेंस के जरिए कई नंबर को ट्रैक किया. इसके बाद पुलिस ने एक शख्स को पहले गिरफ्तार किया. उससे पूछताछ के बाद तीन और लोगों को गिरफ्तार किया जो की पति-पत्नी और बेटे हैं. 


 

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