DSR method: पैसा और समय की होगी बचत, डीएसआर विधि से करें धान की बुआई

Paddy Farming: डीएसआर विधि से धान की बुआई से किसानों को कई तरह से फायदे होते हैं. सबसे पहले इस विधि में मजदूरों के साथ पानी की भी कम जरूरत पड़ती है. इस विधि से खेती करने से कम पैसा खर्च करना पड़ता है. इस विधि में धान की सीधी बुआई होती है.

Paddy Farming (Photo: File PTI)
gnttv.com
  • बांदा, उत्तर प्रदेश,
  • 18 जून 2024,
  • अपडेटेड 9:56 AM IST

उत्तर प्रदेश के बांदा में कृषि विभाग ने किसानों को एक नई तकनीकी से फसल की बुआई करने की अपील की है. कृषि अधिकारी का कहना है कि इस विधि से बुआई करने पर कम खर्च और कम पानी में अच्छी पैदावार की जा सकती है. चलिए आपको इस पूरे प्रोसेस को बताते हैं. जिला कृषि अधिकारी बांदा डॉक्टर प्रमोद कुमार ने बताया है कि इन दिनों खरीफ की बुआई का समय चल रहा है, जिसको लेकर बुन्देलखण्ड क्षेत्र में किसान धान की खेती सीधी बुवाई विधि (डीएसआर) से करनी चाहिए. इन दिनों खेती करने के लिए मजदूरों के साथ साथ पानी की भी बहुत जरूरत होती है. ट्रैक्टर या अन्य मशीनरी में डीजल की भी बड़ी खपत होती है और हमारा वातावरण भी प्रभावित हो सकता है. तो ऐसे में DSR विधि को अपनाए, जिसमें कम खर्च में ज्यादा फायदा, कम पानी में ज्यादा उपज कर सकते हैं.

क्या है डीएसआर विधि-
DSP का फुल फॉर्म डायरेक्ट सीडेड राइस है, यानी धान की सीधी बुआई विधि. इस विधि में परंपरागत विधि स बुआई की बजाय किसान सीड ड्रिल से सीधी बुआई करते हैं, परंपरागत विधि में पहले बेड बोते हैं, फिर 25 दिन बाद नर्सरी तैयार होने के बाद मजदूर धान की फसल को उखाड़कर दोबारा खेतों में लगाते हैं. इसमें सीधे बुआई कर फसल उगाते हैं. परंपरागत विधि में इस विधि की अपेक्षा दो गुना खर्च होता है. क्योंकि उसमें पहले खेतो में धान की फसल लगाने के लिए खेत को बराबर करना, लगातार पानी लगाना, पलेवा करना, फिर धान की बुआई. इसमें केवल नमी यानी पानी की कम मात्रा में भी फसल का अच्छा उत्पादन कर सकते हैं.

कैसे करें DSR विधि से खेती-
इस विधि में सबसे पहले हम बीज की व्यवस्था करते हैं, बीज भी ऐसा चयन करें, जिसमे धान की बुआई के बाद 100 से 110 दिन में धान पक जाए. इसमें प्रति हेक्टयर 40 से 50 किलोग्राम धान लगता है. सीड्रिल के माध्यम से जून के अंत सप्ताह में जुलाई के पहले सप्ताह तक हम इसकी सीधी बुआई कर सकते हैं. इस विधि में ध्यान रखना बहुत जरूरी है कि बुआई के समय 25cm की दूरी पर लाइनों में बुआई करना चाहिए. गैर कृषि क्षेत्रों में पानी की खपत दिन-प्रतिदिन बढ़ती जा रही है, इसलिए इस विधि का उपयोग करके अच्छी फसल पैदा कर सकते हैं.

किसानों को क्या होगा फायदा-
डायरेक्ट सीडेड राइस (DSR) विधि से खेती करने से कम पैसे में ज्यादा उपज मिल सकती है. चलिए आपको बताते हैं कि इससे किसानों को क्या-क्या फायदा होगा.

  • इस विधि से खेती करने से मेहनत की बचत होती है.
  • धान की फसल बुवाई कम समय में की जा सकती है.
  • फसल 7 से 10 दिन पहले पक जाती है, जिससे अगली फसल की बुवाई समय से की जा सकती है.
  • इस विधि से खेती में जल की खपत कम होती हैं. ऐसे में जल की बचत होती है.
  • जुताई बुवाई का खर्च कम आता है, जिससे ईंधन की भी बचत होती है.
  • पंक्ति में बुवाई करने से यांत्रिक विधि से खरपतवार नियंत्रण करने में सुविधा होती है.
  • पौध की देखभाल भी अच्छे से किया जा सकता है.
  • धान की फसल से निकलने वाली मीथेन गैस जो ज्यादा निकलती है, वातावरण के लिए फायदा होता है.

(बांदा से सिद्धार्थ गुप्ता की रिपोर्ट)

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