क्या है Havana Syndrome, इसको लेकर क्या सोचता है अमेरिका, भारत में इसको लेकर क्या है जानकारी

कर्नाटक हाईकोर्ट में केंद्र सरकार ने भारत में हवाना सिंड्रोम को लेकर विचार करने को कहा है. हवाना सिंड्रोम का पहला मामला साल 2016 में क्यूबा के हवाना में अमेरिकी दूतावास के अधिकारियों ने दर्ज कराया था. भारत में ऐसा पहला मामला साल 2021 में सामने आया. हालांकि दुनियाभर में अमेरिकी दूतावासों में इस तरह से मामले सामने आए हैं.

हवाना सिंड्रोम का पहला मामला साल 2016 में हवाना में सामने आया था (Photo/Wikipedia)
gnttv.com
  • नई दिल्ली,
  • 08 अगस्त 2023,
  • अपडेटेड 4:15 PM IST

भारत में हवाना सिंड्रोम के मामले को लेकर केंद्र सरकार विचार करेगी. सरकार ने कर्नाटक हाईकोर्ट में कहा कि वह भारत में हवाना सिंड्रोम के मामले पर गौर करेगा. आपको बता दें कि इसको लेकर बेंगलुरु के एक शख्स ने कोर्ट का दरवाजा खटखटाया था. जिसमें रहस्यमयी बीमारी और भारत में हाई फ्रीक्वेंसी वाले माइक्रोवेव ट्रांसमिशन की रोकथाम की जांच की मांग की गई थी. हाईकोर्ट ने 3 महीने के भीतर सरकार से इसकी जांच करने को कहा है.

2021 में भारत में आया था पहला मामला-
साल 2021 में भारत में इस तरह का पहला मामला सामने आया. उस वक्त सीआईए निदेशक विलियम बर्न्स दिल्ली के दौरे पर थे, उसी दौरान उनके साथ दौरे पर आए अमेरिकी खुफिया एजेंसी के एक अधिकारी ने हवाना सिंड्रोम के अनुभवों की बात बताई.

क्या है हवाना सिंड्रोम-
हवाना सिंड्रोम चक्कर आना, नाक से खून आना, मितली आना, मिचली आना, एक आंख में अंधापन जैसी बीमारियों का एक समहू है. इसके बारे में कहा जाता है कि इसे दुनियाभर के देशों में अमेरिकी दूतावास के अधिकारी अनुभव कर रहे हैं. पहली बार साल 2016 में क्यूबा की राजधानी हवाना में अमेरिकी दूतावास में तैनात अधिकारियों ने इसका अनुभव किया. उन्होंने बताया कि उनको होटल के कमरों या घरों में अजीब आवाज सुनाई देती है और बॉडी में अजीब सी सेंसेशन महसूस होती है. इस बीमारी को हवाना सिंड्रोम नाम दिया गया. शुरू में इस तरह से मामले सीआईए अधिकारियों में मिले थे, लेकिन धीरे-धीरे ये फैलने लगी.

कई देशों में सामने आए मामले-
हवाना सिंड्रोम सिर्फ क्यूबा में ही नहीं महसूस किया गया. साल 2018 में चीन में अमेरिकी राजनयिकों ने भी इसी तरह से आरोप लगाए. इस तरह की पहली रिपोर्ट अप्रैल 2018 में गुआंगजो कॉन्सुलेट में रिपोर्ट की गई. इससे पहले साल 2017 में उज्बेकिस्तान के ताशकंद में अमेरिकी दूतावास में एक यूएसएआईडी कर्मचारी ने भी ऐसी रिपोर्ट दर्ज कराई थी. साल 2019    और 2020 में वॉशिंगटन डीसी में ऐसी घटनाएं सामने आई. एक घटना व्हाइट हाउस से सटे लॉन द एलिप्से में भी दर्ज की गई. इंडियन एक्सप्रेस की रिपोर्ट के मुताबिक रूस, जॉर्जिया, ताइवान, कोलंबिया, किर्गिस्तान और ऑस्ट्रिया समेत 130 देशों में ऐसे अनुभव हुए हैं.

हवाना सिंड्रोम का क्या कारण है-
जब क्यूबा में ये मामला सामने आया तो इसका संदेश क्यूबा की खुफिया एजेंसी पर गया या ऐसे लोगों पर संदेह किया गया, जो अमेरिका-क्यूबा संबंध को सामान्य नहीं होने देना चाहते थे. उस समय माना गया कि यह एक Sonic Attack है.
लेकिन जब अमेरिकी वैज्ञानिकों ने इसकी स्टडी की और पीड़ितों की जांच की तो पाया कि वे लोग हाई फ्रीक्वेंसी वाले माइक्रोवेब के संपर्क में आए होंगे. जिसकी वजह से नर्व सिस्टम डैमेज या प्रभावित हुआ होगा. ऐसा बताया जाता है कि इससे दिमाग के अंदर प्रेशर बनता है, जिससे आवाज सुनाई देने का अहसास होता था. हाई-पॉवर्ड माइक्रोवेव से संपर्क में आने से बॉडी संतुलन बिगड़ता है, इसके साथ ही याददाश्त पर भी असर पड़ता है.
यह संदेश जताया गया था कि इसे हाई-पावर्ड माइक्रोवेव की किरणों को स्पेशल गैजेट के जरिए भेजा गया हो. उस समय अमेरिकियों ने इसे माइक्रोवेव हथियार कहा था.
इंडियन एक्सप्रेस की रिपोर्ट के मुताबिक खुफिया इंटेलिजेंस को काउंटर करने के लिए माइक्रोवेव का इस्तेमाल शीत युद्ध के समय से हो रहा है. रूस और अमेरिका दोनों ने इसे हथियार बनाने की कोशिश की. 1970 के दशक में अमेरिकी दूतावास के अधिकारियों ने मेंटल हेल्थ समस्याओं का अनुभव किया और इसके लिए संदिग्ध माइक्रोवेव के इस्तेमाल का आरोप लगाया.

अब क्या है अमेरिका का स्टैंड-
हवाना सिंड्रोम को लेकर अमेरिका ने कई सालों तक डाटा संग्रह किया. पीड़ितों की मेडिकल जांच और एक्सपेरिमेंट के बाद भी अमेरिका अब तक इसके सबूत नहीं दे पाया है कि ये एक माइक्रोवेव हथियार है. किसी को इसका अंदाजा तक नहीं है कि इस हथियार की मैकेनिज्म क्या है और ये काम कैसे करता है. इसको लेकर एक सवाल ये भी है कि कैसे ये व्यक्ति विशेष को टारगेट कर सकता है.

भारत में इसके बारे में क्या जानते हैं-
अब तक भारत में हवाना सिंड्रोम की सिर्फ एक रिपोर्ट दर्ज की गई है. ये रिपोर्ट साल 2021 में दर्ज की गई थी. भारतीय सुरक्षा प्रतिष्ठान के सूत्रों ने साल 2021 में कहा कि हमें इस क्षमता वाले किसी भी हथियार के भारतीय एजेंसी के कब्जे में होने की जानकारी नहीं है. अगर ऐसी कोई चीज होगी भी तो इसकी संभावना नहीं थी कि सरकार खुफिया काम के इस बात को स्वीकार करेगी. 2021 में इंडियन एक्सप्रेस को एक खुफिया अधिकारी ने कहा था कि भारतीय एजेंसी अमेरिका को निशाना क्यों बनाएगी? आज की भू-राजनीति को देखते हुए वे हमारे सबसे करीबी दोस्त हैं. एक दूसरे खुफिया अधिकारी का मानना था कि भले ही हम मान लें कि रूसी या चीनी हमारी जानकारी के बिना ऐसा उपकरण  लाने में सक्षम हैं, लेकिन एक बार ऐसी बात सामने आने के बाद हमारे देश और उनके बीच संबंध खराब हो सकते हैं. जब वो हमें चोट नहीं पहुंचाना चाहते हैं तो वो ऐसा जोखिम क्यों उठाएंगे. रिपोर्ट के मुताबिक एक पूर्व रॉ अधिकारी ने कहा कि अगर कोई विदेशी ताकत ऐसा कर रही है तो वो सिर्फ अमेरिका का क्यों निशाना बनाएंगे? दूसरे देश ऐसी रिपोर्ट क्यों नहीं कर रहे हैं? हवाना में कनाडा के दूतावास को छोड़कर दुनिया में कहीं भई किसी दूसरे देश के अधिकारियों की तरफ से ऐसी कोई रिपोर्ट नहीं आई है. इसका मतलब यह नहीं है कि अमेरिकी दावे सच नहीं हो सकते. लेकिन यह एक विचित्र मामला है.

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