प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी को 1 अगस्त को पुणे में लोकमान्य तिलक राष्ट्रीय पुरस्कार से सम्मानित किया जाएगा. आयोजकों ने कहा कि यह पुरस्कार उनके सर्वोच्च नेतृत्व को मान्यता देता है जिसके तहत भारत प्रगति की सीढ़ियां चढ़ गया है.
क्या है लोकमान्य तिलक राष्ट्रीय पुरस्कार
1. 1 अगस्त को लोकमान्य तिलक की 103वीं पुण्य तिथि पर, तिलक स्मारक मंदिर ट्रस्ट (हिंद स्वराज संघ) प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी को प्रतिष्ठित लोकमान्य तिलक राष्ट्रीय पुरस्कार से सम्मानित करेगा.
2. इस प्रतिष्ठित पुरस्कार को ट्रस्ट हर साल लोकमान्य तिलक की पुण्य तिथि के अवसर पर प्रदान किया जाता है. लोकमान्य तिलक 20वीं सदी की शुरुआत में भारत के स्वतंत्रता संग्राम में एक प्रमुख व्यक्ति थे.
3. बाल गंगाधर तिलक भारतीय स्वशासन (स्वराज्य) के प्रबल समर्थक थे और उन्होंने जनता को संगठित करने में महत्वपूर्ण भूमिका निभाई थी.
4. ट्रस्ट का कहना है कि प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी को उनके असाधारण नेतृत्व और नागरिकों के बीच देशभक्ति की भावना को बढ़ावा देने के उनके प्रयासों की मान्यता में इस पुरस्कार के 41वें प्राप्तकर्ता के रूप में चुना गया है, जिसमें एक स्मृति चिन्ह और प्रशस्ति पत्र शामिल है.
5. पिछले साल लोकमान्य तिलक राष्ट्रीय पुरस्कार भारत की "मिसाइल महिला" के नाम से मशहूर वरिष्ठ वैज्ञानिक टेसी थॉमस को प्रदान किया गया था. उन्होंने अग्नि-4 और अग्नि-5 मिसाइल प्रणालियों के लिए परियोजना निदेशक के रूप में कार्य किया और देश की रक्षा क्षमताओं में महत्वपूर्ण योगदान दिया.
किन लोगों को मिल चुका है अवॉर्ड
लोकमान्य तिलक राष्ट्रीय पुरस्कार 1983 में शुरू किया गया था. इंदिरा गांधी, अटल बिहारी वाजपेई, शरद पवार, राहुल बजाज, साइरस पूनावाला और मनमोहन सिंह को इस पुरस्कार ने नवाजा जा चुका है. देश के विकास में उनके निस्वार्थ योगदान के लिए उन्हें पिछले वर्षों में लोकनायक पुरस्कार मिला है. यह वर्ष पुरस्कार का 41वां वर्ष है.आयोजकों के अनुसार, प्रधानमंत्री के सम्मान में आयोजित कार्यक्रम में महाराष्ट्र के राज्यपाल रमेश बैस, मुख्यमंत्री एकनाथ शिंदे, दोनों उपमुख्यमंत्रियों देवेन्द्र फड़णवीस और नवनियुक्त अजित पवार समेत कई प्रमुख नेता मुख्य अतिथि और एनसीपी नेता शरद पवार के साथ मंच साझा करेंगे. पुरस्कार समारोह में कांग्रेस नेता शुशील कुमार शिंदे, जो ट्रस्ट के ट्रस्टी भी हैं इस पुरस्कार समारोह में उपस्थित रहेंगे.
इन नेताओं को ऐसे समय पर आमंत्रण गया है जब अपने चाचा शरद पवार से बगावत कर अजित पवार ने महाराष्ट्र सरकार से हाथ मिला लिया है. उनके उपमुख्यमंत्री पद की शपथ लेने और एनसीपी पर दावा करने के बाद से ही महाराष्ट्र में राजनीतिक उठापटक जारी है.