National Medical Devices Policy: क्या है नेशनल मेडिकल डिवाइस पॉलिसी, भारत को ग्लोबल लीडर बनाने के लिए क्या है प्लान

नेशनल मेडिकल डिवाइस पॉलिसी 2023 की मदद से भारत में मेडिकल डिवाइस सेक्टर को आगे बढ़ाने की उम्मीद है. अगले 25 सालों में इस सेक्टर में ग्लोबल मार्केट में भारत की हिस्सेदारी 10-12 फीसदी करने का लक्ष्य है.

नेशनल मेडिकल डिवाइस पॉलिसी 2023 को मोदी कैबिनेट से मंजूरी मिली
gnttv.com
  • नई दिल्ली,
  • 27 अप्रैल 2023,
  • अपडेटेड 12:51 PM IST

मोदी कैबिनेट ने नेशनल मेडिकल डिवाइस पॉलिसी 2023 को मंजूरी दे दी है. मेडिकल डिवाइस सेक्टर इंडियन हेल्थ केयर सेक्टर का जरूरी और अभिन्न हिस्सा है. ये सेक्टर उस समय और भी अधिक महत्वपूर्ण हो गया, जब भारत ने वेंटिलेटर, रैपिड एंटीजन टेस्ट किट, आरटी-पीसीआर किट, आईआर थर्मामीटर, पीपीई किट और एन 95 मास्क जैसे मेडिकल उपकरणों का बड़े पैमाने पर उत्पादन किया और कोरोना के खिलाफ लड़ाई में दुनिया का साथ दिया.

PLI स्कीम के तहत 37 सामानों का घरेलू उत्पादन-
भारत में मेडिकल डिवाइस सेक्टर तेजी से उभर रहा है. भारत में इसका मार्केट साइज 90 हजार करोड़ रुपए होने का अनुमान है. इंडियन मेडिकल सेक्टर तेजी से ग्रोथ कर रहा है और इसमें आत्मनिर्भर बनने की पूरी संभावना है. पहले ही भारत सरकार पीएलआई स्कीम के तहत हिमाचल प्रदेश, मध्य प्रदेश, तमिलनाडु और यूपी में 4 मेडिकल डिवाइसेस पार्क की स्थापाना के लिए मदद कर रही है. इस स्कीम के तहत 26 परियोजनाओं को मंजूरी दी जा चुकी है. जबकि 14 परियोजनाओं को चालू किया गया है, जिसमें घरेलू लेवल पर 37 उत्पादों को तैयार किया जा रहा है. इसमें लाइनर एक्सिलरेटर, एमआरआई स्कैन, सीटी-स्कैन, मैमोग्राम, सी-आर्म, एमआरआई कॉइल, अत्याधुनिक एक्स-रे ट्यूब आदि शामिल हैं. जल्द ही इसमें 12 और भी उत्पादों का तैयार किया जाएगा.
मेडिकल डिवाइस सेक्टर को और भी तेजी से विकसित करने के लिए एक पॉलिसी की जरूरत है. इस पॉलिसी का मकसद फोकस क्षेत्रों में विकास के लिए एक व्यापक प्लान तैयार करना है. केंद्र और राज्य लेवल पर इससे संबंधित सभी विभागों को एक योजना के तहत साथ लाने की जरूरत है, ताकि इसका ज्यादा से ज्यादा इस्तेमाल हो सके. नेशनल मेडिकल डिवाइस पॉलिसी 2023 से उम्मीद है कि पब्लिक हेल्थ के उदेश्यों को पूरा करने के लिए मेडिकल डिवाइस सेक्टर का व्यवस्थित विकास की सुविधा प्रदान करेगा.

पॉलिसी में क्या है खास-
नेशनल मेडिकल डिवाइस पॉलिसी की मदद से सरकार मेडिकल डिवाइस सेक्टर को अग्रणी बनाने के लिए काम करेगी. भारत को मेडिकल डिवाइस के मैन्युफैक्चरिंग और इनोवेशन में ग्लोबल लीडर बनाने का टारगेट है. अगले 25 सालों में ग्लोबल मार्केट में भारत की हिस्सेदारी 10-12 फीसदी करने का लक्ष्य है. इस पॉलिसी से साल 2030 तक मेडिकल डिवाइस सेक्टर को 11 बिलियन अमेरिकी डॉलर से बढ़ाकर 50 बिलियन डॉलर करने में मदद मिलेगी.
इस पॉलिसी में मेडिकल डिवाइस सेक्टर के लिए एक रोडमैप तैयार किया गया है, ताकि गुणवत्ता, रिसर्च, इनोवेशन और स्किल्ड मैनपावर को और भी बेहतर बनाया जा सकता है.

मेडिकल डिवाइस सेक्टर को बढ़ाने की रणनीति-
मेडिकल डिवाइस सेक्टर को प्रमोट करने के लिए रणनीति बनाई गई है. जिसके जरिए इस सेक्टर को सुविधा और मार्गदर्शन प्रदान किया जाएगा, ताकि पॉलिसी इंटरवेंशन के 6 बड़े एरिया को कवर करेगा.

रेगुलेटरी तालमेल-
इस पॉलिसी के तहत इस सेक्टर के रेगुलेशन के लिए सिंगल विंडो क्लीयरेंस सिस्टम का निर्माण किया जाएगा, ताकि इससे जुड़े विभागों को एक जगह लाया जा सके और लाइसेंस के लिए किसी तरह की कोई दिक्कत ना हो.

सक्षम बुनियादी ढांचा-
इस पॉलिसी के तहत एक सक्षम बुनियादी ढांचा बनाने पर जोर दिया जाएगा. नेशनल लॉजिस्टिक पॉलिसी 2021 के दायरे में विश्वस्तरीय सुविधाओं से लैस बड़े चिकित्सा उपकरण पार्क बनाने पर फोकस होगा. मेडिकल डिवाइस इंडस्ट्री को बढ़ाने के लिए राज्य सरकारों और उद्योग जगत के साथ मिलकर काम किया जाएगा.

रिसर्च एंड डेवलपमेंट को सुगम बनाना-
नेशनल मेडिकल डिवाइस पॉलिसी में रिसर्च एंड डेवलपमेंट और इनोवेशन को प्रमोट किया जाएगा. इसका मकसद एकेडमिक एंड रिसर्च संस्थान, इनोवेशन केंद्र, प्लग एंड प्ले इन्फ्रास्ट्रक्चर बनाना और स्टार्टअप की मदद करना है.

मेडिकल डिवाइस सेक्टर में इन्वेस्टमेंट लाना-
मेडिकल डिवाइस सेक्टर में निवेश लाना भी मकसद है. मेक इन इंडिया, आयुष्मान भारत योजना, हील इन इंडिया, स्टार्टअप मिशन जैसी योजनाओं के साथ प्राइवेट इन्वेस्टमेंट के लिए भी प्रोत्साहित किया जाएगा. इसमें पूंजूपतियों से फंडिग और पीपीपी भागीदारी को भी प्रोत्साहित किया जाएगा.

मानव संसाधन विकास- 
मानव संसाधन के विकास पर भी काम किया जाएगा. इसमें वैज्ञानिक, रेगुलेटर्स, हेल्थ एक्सपर्ट्स, मैनेजर, टेक्निशियन में स्किल्ड वर्क फोर्स की आपूर्ति के लिए पॉलिसी की परिकल्पना की गई है. मेडिकल डिवाइस सेक्टर में स्कीलिंग, रीस्किलिंग और स्किल्स को बढ़ाने के लिए स्किल डेवलपमेंट एंड एंटरप्रेन्योरशिप मंत्रालय के संसाधनों का फायदा उठाया जा सकता है.

ब्रांड पोजिशनिंग और जागरुकता लाना-
इस पॉलिसी के तहत एक एक्सपोर्ट प्रमोशन काउंसिल बनाने की बात कही गई है. जो मार्केट से संबंधित सभी समस्याओं को निपटाने में सक्षम होगी. ग्लोबल लेवल पर मैन्युफैक्चरिंग एंड स्किलिंग सिस्टम को सीखने के लिए प्रोजेक्ट पर काम करना भी इसमें शामिल है. इससे ये पता लगाया जा सकता है कि ग्लोबल लेवल पर जो मॉडल अच्छ से काम कर रहे हैं, उनकी भारत में कितनी संभावना है.

ये भी पढ़ें:

Read more!

RECOMMENDED