Hit And Run Law: सरकार और ट्रांसपोर्टर्स में सुलह, AIMTC ने की ट्रक ड्राइवरों से हड़ताल वापस लेने की अपील, जानें क्यों नए कानून को लेकर किया चक्का जाम? 

Protest against hit and run law : नए हिट एंड रन कानून के अनुसार यदि सड़क दुर्घटना में किसी का निधन हो जाता है और गाड़ी का ड्राइवर मौके से भाग जाता है तो उसे 10 साल जेल की सजा हो सकती है. साथ ही 7 लाख जुर्माना भी भरना पड़ेगा. 

Truck Drivers Protest
gnttv.com
  • नई दिल्ली,
  • 02 जनवरी 2024,
  • अपडेटेड 11:42 PM IST
  • नए कानून में 10 साल तक कैद का है प्रावधान 
  • हिट एंड रन मामले में पहले थी दो साल की सजा 

हिट एंड रन केस के लिए नए कानून को लेकर सरकार और ट्रांसपोर्टरों में सुलह हो गई है. ऑल इंडिया मोटर ट्रांसपोर्ट कांग्रेस के प्रतिनिधियों और सरकार के बीच हुई बातचीत सफल हुई है. ट्रांसपोर्ट कांग्रेस ने कहा है कि ट्रक ड्राइवर अपनी हड़ताल वापस लें और काम पर लौट आएं. ट्रांसपोर्ट संगठन ने देशभर के ड्राइवरों से हड़ताल वापस लेने को कहा है. सरकार की तरफ से संगठन को आश्वसान दिया गया है कि फिलहाल कानून को लागू नहीं किया जाएगा और जब भी इसे लागू किया जाएगा तो संगठन से चर्चा की जाएगी. इसके बाद ऑल इंडिया मोटर ट्रांसपोर्ट कांग्रेस ने ड्राइवरों से हड़ताल खत्म करने की अपील की है.

कानून लागू करने से पहले ट्रांसपोर्टर्स से बात की जाएगी
केंद्रीय गृह सचिव अजय भल्ला ने बताया कि ऑल इंडिया मोटर ट्रांसपोर्ट कांग्रेस से 10 साल की सजा वाले कानून पर चर्चा हुई है. ये कानून अभी लागू नहीं हुआ है. हम इसे लागू करने से पहले AIMTC (All India Motor Transport Congress) से चर्चा करेंगे और इसके बाद ये लागू किया जाएगा.

'आप ड्राइवर नहीं, हमारे सैनिक हैं'
ऑल इंडिया मोटर ट्रांसपोर्ट कांग्रेस के अध्यक्ष अमृत लाल मदान ने कहा, आप सिर्फ ड्राइवर नहीं हैं, आप हमारे सैनिक हैं. हम नहीं चाहते कि आपको किसी असुविधा का सामना करना पड़े. केंद्रीय गृह मंत्री अमित शाह ने 10 साल की सजा और जुर्माने कानून को फिलहाल रोक दिया है. ऑल इंडिया मोटर ट्रांसपोर्ट कांग्रेस की अगली बैठक होने तक कोई कानून लागू नहीं किया जाएगा.

पेट्रोल पंपों पर लंबी-लंबी कतारें लग गईं थीं
नए हिट एंड रन कानून के विरोध में बस और ट्रक ड्राइवरों ने बेमियादी हड़ताल शुरू कर दी थी. देशभर में चक्का जाम कर विरोध प्रदर्शन कर रहे थे. मध्य प्रदेश, उत्तर प्रदेश, राजस्थान, महाराष्ट्र, पंजाब, हरियाणा, बिहार समेत कई प्रदेशों में ट्रक ड्राइवरों की हड़ताल के चलते हाहाकार मच गया था. पेट्रोल पंपों पर लंबी-लंबी कतारें लग गईं थीं.  

क्या है हिट एंड रन 
हिट एंड रन के मामले सड़क दुर्घटना से जुड़े होते हैं. हिट एंड रन का मतलब है तेज और लापरवाही से गाड़ी चलाने के चलते किसी व्यक्ति या संपत्ति को नुकसान पहुंचाना और फिर भाग जाना. ऐसे में सबूतों और प्रत्यक्षदर्शियों के अभाव के कारण दोषियों को पकड़ना और सजा देना बहुत मुश्किल हो जाता है.

क्या है नया कानून
जिस नियम को लेकर देशभर में बवाल मचा हुआ है वह हाल ही में संसद से पारित तीन नए कानून का हिस्सा है. दरअसल, आईपीसी की जगह लेने वाली भारतीय न्याय संहिता (बीएनएस) की धारा 104 में हिट एंड रन का जिक्र किया गया है. इसमें ड्राइवर की लापरवाही से किसी नागरिक की मौत होने पर 10 साल की सजा का प्रावधान किया गया है. धारा 104 (1) और धारा 104(2) में हिट एंड रन को परिभाषित किया गया है. 

धारा 104(2) कहती है, जो कोई भी लापरवाही से वाहन चलाकर किसी व्यक्ति की मौत का कारण बनता है और गैर इरादतन हत्या की श्रेणी में आता है. घटना के तुरंत बाद किसी पुलिस अधिकारी या मजिस्ट्रेट को सूचना दिए बिना भाग जाता है तो उसे कि भी अवधि के कारावास से दंडित किया जाएगा, जिसे 10 साल तक बढ़ाया जा सकता है और 7 लाख जुर्माना भी देना होगा. नए नियम दोपहिया, तीन पहिया से लेकर कार, ट्रक, टैंकर, बस समेत सभी वाहनों पर लागू होंगे.

पहले क्या था कानून
हिट एंड रन मामले को आईपीसी की धारा 279 (लापरवाही से वाहन चलाना), 304A (लापरवाही के कारण मौत) और 338 (जान जोखिम में डालना) के तहत केस दर्ज किया जाता है. इसमें दो साल की सजा का प्रावधान है. विशेष केस में आईपीसी की धारा 302 भी जोड़ दी जाती है.

ये भी नियम होते हैं लागू
मोटर वाहन अधिनियम 1988 भी हिट एंड रन के मामलों में भी लागू होता है. इस कानून में धारा 161, 134(ए) और 134(बी) हिट एंड रन के मामलों से संबंधित हैं. धारा 161 में हिट एंड रन के पीड़ितों को मुआवजे का प्रावधान है जो मृत्यु के मामले में 25,000 जबकि गंभीर चोट के मामले में 12,500 है. धारा 134(ए) के अनुसार, दुर्घटना करने वाले ड्राइवर को घायल व्यक्ति को तुरंत चिकित्सा सहायता प्रदान करने की आवश्यकता होती है. वहीं धारा 134(बी) में जिक्र है कि चालक को उस दुर्घटना से संबंधित जानकारी यथाशीघ्र पुलिस अधिकारी को देने की आवश्यकता है अन्यथा चालक को दंडित किया जाएगा.

कौन-कौन कर रहे विरोध
न केवल ट्रक ड्राइवर बल्कि बस, टैक्सी और ऑटो ड्राइवर भी नए कानून का विरोध कर रहे थे. क्योंकि नए कानून निजी वाहन चालकों पर भी समान रूप से लागू होंगे. विरोध करने वालों का मानना है कि ये प्रावधान कुछ ज्यादा ही कड़े हैं, और इन्हें नरम करने की जरूरत है. वाहन चालकों का कहना है कि अगर वो मौके से भाग जाते हैं तो वे सख्त सजा पाएंगे. 

वहीं अगर वह दुर्घटना के बाद रुकते हैं तो उनकी जान को खतरा है. क्योंकि ऐसे में मौके पर मौजूद लोग या भीड़ हिंसक हो सकती है. ऐसे में वाहन चालक को खुद अपनी जान का खतरा है. ऑल इंडिया मोटर ट्रांसपोर्ट कांग्रेस के अध्यक्ष अमृतलाल मदान का दावा है कि संशोधन से पहले जिम्मेदार व्यक्तियों से सुझाव नहीं लिए गए. इसके अलावा मदान ने यह भी कहा कि देश में एक्सीडेंट इन्वेस्टिगेशन प्रोटोकॉल का अभाव है. पुलिस वैज्ञानिक जांच किए बिना ही दोष बड़े वाहन पर मढ़ देती है.

ट्रांसपोर्टरों ने दिए ये तर्क
1. कोई जान-बूझकर हादसे नहीं करता है.
2. कोहरे की वजह से हादसा हो तब भी कड़ी सजा.
3. हादसे के बाद डर की वजह से भाग जाते हैं.
4. स्थानीय लोगों के डर की वजह से भागते हैं.
5. लंबी प्रक्रिया की वजह से कानूनी रास्ते से घबराते हैं.

क्यों पड़ी नए नियम की जरूरत
फिलहाल हिट एंड रन के मामलों में सबसे बड़ा मुद्दा यह है कि अपराध स्थल पर अपराधी के खिलाफ किसी भी प्रत्यक्ष सबूत का अभाव होता है. इस वजह से पुलिस अधिकारियों के लिए जांच को आगे बढ़ाना और अपराधी को ढूंढना बेहद मुश्किल हो जाता है. इनमें से ज्यादातर अपराधी भाग जाते हैं और शायद ही कभी पकड़ा जाते हैं. दूसरी समस्या यह है कि जिन गवाहों पर जांच निर्भर करती है वे भी मदद करने से कतराते हैं क्योंकि वो किसी भी तरह के कानूनी मसले में फंसना नहीं चाहते हैं. इन सब वजहों के चलते नए नियम की जरूरत पड़ी. 

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