Uttarkashi Tunnel Collapse: क्या है ट्रेंचलेस तकनीक, जिसकी मदद से उत्तरकाशी टनल में फंसे लोगों को निकाला जाएगा

बचावकर्मियों ने पारंपरिक विधि को छोड़ दिया है और खुदाई की एक नई "ट्रेंचलेस" तकनीक शुरू की है. इसमें फंसे हुए श्रमिकों के लिए हल्के स्टील पाइपों का 900-मिमी (3-फुट) चौड़ा स्थिर मार्ग बनाने के लिए 'बरमा' मशीन का उपयोग किया जाएगा.

Uttarkashi Tunnel Collapse
gnttv.com
  • नई दिल्ली,
  • 16 नवंबर 2023,
  • अपडेटेड 12:38 PM IST
  • ट्रेंचलेस तकनीक का होगा इस्तेमाल 
  • बचाया जाएगा श्रमिकों को

उत्तराखंड के उत्तरकाशी जिले में यमुनोत्री हाईवे पर निर्माणाधीन सुरंग ढहने के 72 घंटे से ज्यादा हो गए हैं. बचावकर्मियों ने अंदर फंसे 40 श्रमिकों तक पहुंचने के लिए एक नया तरीका आजमाया है. इस तरीके में सतह पर ढीली चट्टान और मलबे को छुए बगैर हॉरिजॉन्टल (क्षैतिज) रूप से जमीन को खोदा जाएगा. 

दरअसल, बड़ी खुदाई और अर्थ-मूविंग उपकरणों का उपयोग करके मलबे के ढेर को तोड़ने के प्रयास सफल नहीं हुए हैं. ढीली, भुरभुरी चट्टान लगातार गिर रही है, जिससे ताजा मलबे के साथ रास्ता ब्लॉक हो जा रहा है. श्रमिकों के लिए रास्ता साफ किया जा रहा है. सोमवार रात तक, भारी उत्खनन मशीनों ने लगभग 21 मीटर ढीला मलबा हटा दिया था, लेकिन नए मलबे की बारिश ने एक तिहाई काम को रद्द कर दिया, जिससे प्रगति केवल 14 मीटर तक सीमित ही हो पाई है.

ट्रेंचलेस तकनीक का होगा इस्तेमाल 

बुधवार को, बचावकर्मियों ने पारंपरिक विधि को छोड़ दिया है और खुदाई की एक नई "ट्रेंचलेस" तकनीक शुरू की है. इसमें फंसे हुए श्रमिकों के लिए हल्के स्टील पाइपों का 900-मिमी (3-फुट) चौड़ा स्थिर मार्ग बनाने के लिए 'बरमा' मशीन का उपयोग किया जा रहा है. हालांकि इस पर पहला प्रयास विफल हो गया क्योंकि बरमा मशीन मलबे को ड्रिल करने में असमर्थ थी. अब एक बड़ी, अमेरिकी निर्मित मशीन इस काम को करने के लिए दिल्ली से मंगवाई गई है. 

उत्तराखंड सचिव (आपदा प्रबंधन) रंजीत सिन्हा ने इंडियन एक्सप्रेस को बताया कि यह पहली बार होगा कि भारत में बचाव अभियान के तहत “सुरंग के अंदर सुरंग” बनाई जाएगी. उन्होंने विश्वास जताया कि '90 प्रतिशत से अधिक संभावना है कि प्लान काम करेगा.

ट्रेंचलेस तकनीक और हल्के स्टील पाइप

ट्रेंचलेस तकनीक में खुदाई या खुली खाइयों की आवश्यकता के बिना भूमिगत बुनियादी ढांचे को स्थापित किया जाता है. ये पर्यावरणीय प्रभाव को कम करता है, और अक्सर पारंपरिक खुदाई विधियों की तुलना में जल्दी और अधिक लागत प्रभावी ढंग से परिणाम देता है.

ट्रेंचलेस तकनीकों का उपयोग बड़े पैमाने पर सीवेज सिस्टम में किया जाता है. यह तकनीक सुरंग ढहने के बचाव कार्यों में भी प्रभावी साबित हो सकती है. इसकी मदद से सुरंग ढहने या अधिक नुकसान पहुंचाए बिना फंसे हुए लोगों तक पहुंचा जा सकेगा और उन्हें बचाया जा सकेगा.

कैसे बचाया जाएगा श्रमिकों को?

इस मामले में, ट्रेंचलेस विधि का उपयोग हॉरिजॉन्टल ड्रिलिंग के लिए किया जाएगा. यानि इसमें सतह को छेड़े बगैर एक बरमा मशीन का उपयोग करके क्षैतिज रूप से भूमिगत सुरंग को ड्रिल किया जाएगा. फिर एक रास्ता बनाने के लिए हल्के स्टील (एमएस) पाइप, जिन्हें कार्बन स्टील पाइप भी कहा जाता है, लगाए जाएंगे. बता दें, एमएस पाइप एक प्रकार के स्टील से बने होते हैं जिनमें कार्बन का प्रतिशत कम होता है, आमतौर पर 0.25 प्रतिशत से कम. यही वजह है कि इस तकनीक से उम्मीद लगाई जा रही है कि श्रमिकों को आसानी से निकाला जा सके. 
 

 

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