आम आदमी पार्टी (AAP) के विधायक और दिल्ली सरकार में मंत्री सौरभ भारद्वाज (Saurabh Bharadwaj) ने बताया है कि उनके साथी और राज्यसभा सांसद राघव चड्ढा (Raghav Chadha) आंखों की सर्जरी के लिए ब्रिटेन गए हैं. बीते कुछ समय से चड्ढा राजनीति से दूर हैं. प्रेस कांफ्रेंस से लेकर विरोध प्रदर्शनों और चुनावी रैलियों तक चड्ढा गायब रहे.
अब भारद्वाज ने उनकी गैर-मौजूदगी का कारण बताते हुए घोषणा की है कि चड्ढा विक्रेक्टोमी (Vitrectomy) नाम की सर्जरी के लिए ब्रिटेन गए हैं. उन्होंने यह भी कहा है कि चड्ढा की हालत गंभीर थी और वह आंखों की रोशनी खो भी सकते थे.
न्यूज एजेंसी पीटीआई की एक खबर के अनुसार चड्ढा को 'विट्रेक्टोमी' नाम की सर्जरी करवानी थी. तो आखिर यह विट्रेक्टोमी क्या है, जिसके अभाव में चड्ढा अपनी देखने की क्षमता खो सकते थे?
क्या है विट्रेक्टोमी
द इंडियन एक्सप्रेस की एक खबर के अनुसार, शार्प साइट आई हॉस्पिटल्स के सीनियर रेटिना कंसल्टेंट डॉ सिद्धार्थ सैन बताते हैं कि विट्रेक्टोमी एक सर्जिकल प्रक्रिया है जिससे आंख का 'विट्रियस ह्यूमर' निकाला जाता है. विट्रियस ह्यूमर (vitreous humour) एक तरह का जेल होता है जो आपकी आंख में लेंस और रेटिना के बीच मौजूद होता है. विट्रियस ह्यूमर यूं तो आंख के लिए बेहद जरूरी होता है लेकिन आंख की कई कंडीशन्स के उपचार इसे हटाए बिना नहीं किए जा सकते.
डॉ सैन कहते हैं, “विट्रेक्टोमी के दौरान सर्जन आंख के सफेद हिस्से में छोटे चीरे लगाता है, जिससे खास उपकरणों को डालने की जगह बन पाती है. ये उपकरण विट्रियस ह्यूमर को काट सकते हैं और चूसकर बाहर निकाल सकते हैं. इसके बाद सर्जन किसी भी रेटिनल समस्या तक पहुंचकर उसे ठीक कर सकता है."
क्यों होती है विट्रेक्टोमी?
दूसरा सवाल यह उठता है कि यह सर्जरी कोई क्यों करवाता है. डॉ सैन बताते हैं कि आंखों की कई गंभीर स्थितियों के लिए विट्रोक्टोमी सर्जरी की सलाह दी जाती है. खासकर वे स्थितियां जिनसे आंखों की रोशनी प्रभावित होती है या रेटिना की सेहत पर असर पड़ता है. इस सर्जरी के सबसे आम कारणों में से एक रेटिना डिटेचमेंट (Retina Detachment) है.
इस स्थिति में रेटिना आंख के पीछे से अलग हो जाता है. अगर फौरन इलाज न किया जाए तो अंधेपन की संभावना भी होती है. कुछ मामलों में यह सर्जरी आंख में पहुंच गए छोटे तिनकों को हटाने के लिए भी की जा सकती है. मिसाल के तौर पर, किसी एक्सिडेंट में या पिछली सर्जरी में आंख में पड़ गई किसी चीज को हटाने के लिए.
सर्जरी से जुड़ी समस्याएं क्या हैं?
डॉ. सैन का कहना है कि विट्रोक्टोमी के साथ इन्फेक्शन से लेकर मोतियाबिंद जैसी समस्याएं जुड़ी हुई हैं. विट्रोक्टोमी से जुड़ी कुछ समस्याएं ये हैं:
इन्फेक्शन (endophthalmitis) : इसकी संभावनाएं कम हैं लेकिन यह स्थिति गंभीर है. इसपर तत्काल ध्यान देने की जरूरत होती है.
मोतियाबिंद बनना : इसकी संभावना बूढ़े रोगियों में ज्यादा होती है. अतिरिक्त सर्जरी की जरूरत पड़ सकती है.
रेटिनल डिटेचमेंट : विट्रोक्टोमी कई बार रेटिनल डिटेचमेंट के इलाज के लिए ही की जाती है लेकिन कई बार इससे समस्या ज्यादा बढ़ सकती है. अगर नहीं है तो रेटिनल डिटेचमेंट हो भी सकता है.
बढ़ा हुआ इंट्राओकुलर दबाव : यह ग्लूकोमा का कारण बन सकता है, जिसके लिए आगे उपचार की जरूरत होती है.
आंख के भीतर रक्तस्राव, घाव या सूजन : ऐसा होने पर भी दोबारा उपचार की जरूरत पड़ सकती है.
कैसे होती है रिकवरी?
विट्रोक्टोमी से रिकवरी इंसान के स्वास्थ्य और सर्जरी की जटिलता के आधार पर अलग-अलग हो सकती है. मरीज धीरे-धीरे दैनिक गतिविधियों में लौट सकते हैं क्योंकि उनकी आंखें ठीक हो जाती हैं और दृष्टि साफ हो जाती है. इसमें हफ्तों से लेकर महीनों तक का समय लग सकता है. रिकवरी के दौरान आपको इन बातों का ध्यान रखने की जरूरत है:-
. शुरुआत में धुंधला दिखाई देगा (गैस/तेल के प्रयोग के कारण).
. सूजन, संक्रमण और परेशानी के लिए आई ड्रॉप लेना होगा.
. ज्यादा वजन उठाने या ताकत का काम करने से बचना होगा.
. गैस बबल्स की वजह से सिर को खास पोजीशन में रखने की जरूरत हो सकती है.
. डॉक्टर के साथ समय-समय पर अपॉइंटमेंट लेते रहें.
2022 में राज्यसभा गए थे चड्ढा
राघव चड्ढा उन चुनिंदा नेताओं में से हैं जो आम आदमी पार्टी के अस्तित्व में आने से लेकर अब तक पार्टी में बने हुए हैं. उन्होंने 2012 में दिल्ली लोकपाल बिल ड्राफ्ट किया था. साथ ही वह 2013 में आम आदमी पार्टी का पहला मैनिफेस्टो बनाने वाली टीम का भी हिस्सा रहे थे. AAP ने उन्हें 2022 में राज्य सभा भेजने के लिए चुना था. वह इसी के साथ देश से सबसे युवा राज्यसभा सांसद बन गए थे.