Waqf Amendment Bill: क्या होता है वक्फ और वक्फ बोर्ड, कितनी है संपत्ति, वक्फ अधिनियम में क्या संशोधन करना चाहती है सरकार

वक्फ (संशोधन) बिल 2024 को लेकर देशभर में माहौल गर्म है. सरकार का दावा है कि यह बिल वक्फ बोर्ड के कामकाज में ज्यादा जवाबदेही और पारदर्शिता लाएगा. साथ ही, इसके लागू होने के बाद वक्फ बोर्ड में महिलाओं को शामिल करना अनिवार्य हो जाएगा.

Waqf Board
gnttv.com
  • नई दिल्ली ,
  • 25 नवंबर 2024,
  • अपडेटेड 2:08 PM IST

देशभर में वक्फ (संशोधन) विधेयक, 2024 को लेकर चर्चा तेज है. कोई इसके पक्ष में है तो बहुत लोग इसका विरोध कर रहे हैं. आपको बता दें कि वक्फ (संशोधन) बिल 2024, वक्फ अधिनियम, 1995 में संशोधन करने के लिए लाया गया है. सरकार का दावा है कि यह बिल वक्फ बोर्ड के कामकाज में ज्यादा जवाबदेही और पारदर्शिता लाएगा. साथ ही, इसके लागू होने के बाद वक्फ बोर्ड में महिलाओं को शामिल करना अनिवार्य हो जाएगा. 

विपक्षी दल लगातार इस बिल का विरोध कर रहे हैं. हालांकि सरकार को लोकसभा में टीडीपी और जेडी (यू) का समर्थन मिलने के बाद इस बिल को जांच के लिए संयुक्त संसदीय समिति (JPC) के पास भेजा गया है. आज हम आपको बता रहे हैं कि वक्फ बोर्ड के पास कितनी संपत्ति है, बोर्ड की जमीन और संपत्तियों से जुड़े क्या मुकदमे और विवाद हैं और भारत के मुस्लिम समुदाय के विकास में वक्फ बोर्ड की भूमिका क्या है. 

वक्फ क्या है?
वक्फ का शाब्दिक अर्थ होता है किसी चीज को रोक देना. वक्फ बोर्ड को यह नाम इसलिए दिया गया है क्योंकि जब मुस्लिम समाज कोई संपत्ति वक्फ बोर्ड को डोनेट करता है, तो वह उस संपत्ति को 'अल्लाह के नाम पर' रोक रहा होता है. यानी यह संपत्ति मुस्लिम समाज के कल्याण के लिए होती है. कानूनी नजरिए से देखा जाए तो वक्फ अधिनियम की धारा 3 के मुताबिक, "वक्फ का मतलब मुस्लिम कानून द्वारा पवित्र, धार्मिक या धर्मार्थ के रूप में मान्यता प्राप्त किसी भी उद्देश्य के लिए किसी भी व्यक्ति द्वारा किसी भी चल या अचल संपत्ति का स्थायी समर्पण है." 

कोई संपत्ति किसी विलेख या दस्तावेज़ के जरिए वक्फ बन सकती है. या किसी संपत्ति को तब वक्फ माना जा सकता है अगर इसका इस्तेमाल लंबे समय तक धार्मिक या धर्मार्थ उद्देश्यों के लिए किया गया हो. इससे मिलने वाली आय का इस्तेमाल आम तौर पर शैक्षणिक संस्थानों, कब्रिस्तानों, मस्जिदों और आश्रय घरों को चलाने के लिए किया जाता है. 

विशेष रूप से शरिया कानून के अनुसार, एक बार जब वक्फ स्थापित हो जाता है, और संपत्ति वक्फ को समर्पित कर दी जाती है, तो यह हमेशा के लिए वक्फ संपत्ति के रूप में बनी रहती है. 

वक्फ अधिनियम, 1995
वक्फ अधिनियम, 1954 अपनी तरह का पहला था. यह देश के पहले प्रधानमंत्री जवाहरलाल नेहरू के कार्यकाल में पास किया गया. इस अधिनियम ने केंद्रीय वक्फ परिषद की शुरुआत की, लेकिन अधिनियम में कई संशोधन (1959, 1964, 1969, 1984) हुए क्योंकि इसमें कई परेशानियां थीं. आखिर में, वक्फ अधिनियम, 1995 अधिनियमित किया गया और 22 नवंबर, 1995 को लागू किया गया. 

इस अधिनियम ने केंद्रीय वक्फ परिषद और राज्य वक्फ बोर्ड की स्थापना की. वर्तमान में, प्रत्येक राज्य में एक वक्फ बोर्ड होता है, जिसका अध्यक्ष एक चेयरपर्सन होता है. इसके अलावा, राज्य सरकार के एक या दो नामांकित व्यक्ति, मुस्लिम विधायक और सांसद, राज्य बार काउंसिल के मुस्लिम सदस्य और इस्लामी विद्वान होते हैं. यह वक्फ एक कानूनी इकाई है जो संपत्ति का अधिग्रहण, धारण और हस्तांतरण कर सकता है. वक्फ संपत्तियों को स्थायी रूप से बेचा या पट्टे पर नहीं दिया जा सकता है.

भारत में कितनी है वक्फ बोर्ड की जमीन 
भारत में 32 वक्फ बोर्ड हैं, जिनमें दो शिया बोर्ड हैं. देशभर में वक्फ की 8.7 लाख संपत्तियां हैं, जिनमें 9.4 लाख एकड़ जमीन को मैनेज करता है. इस जमीन की अनुमानित कीमत ₹1.2 लाख करोड़ है. यह भारतीय रेलवे और सशस्त्र बलों के बाद वक्फ बोर्ड को भारत का तीसरा सबसे बड़ा जमींदार बनाता है.

वक्फ संपत्तियों में मुख्य रूप से कृषि भूमि, भवन, दरगाह/मजार और कब्रिस्तान, ईदगाह, खानकाह, मदरसे, मस्जिद, भूखंड, तालाब, स्कूल, दुकानें और विभिन्न अन्य संस्थान हैं.

वक्फ कानून में संशोधन क्यों हो रहा है 
वक्फ (संशोधन) बिल वक्फ अधिनियम, 1995 में कुछ बदलाव करेगा. जैसे वक्फ बोर्डों को अपनी संपत्तियां जिला कलेक्टरों के साथ रजिस्टर करना अनिवार्य होगा ताकि उनका वास्तविक मुल्यांकन सुनिश्चित किया जा सके. वर्तमान में, वक्फ बोर्ड के ज्यादातर सदस्य निर्वाचित होते हैं, लेकिन नया विधेयक कानून बन जाने के बाद, सभी सदस्यों को सरकार द्वारा नामित किया जाएगा.

ऐसी आशंका है कि यह प्रावधान यह सुनिश्चित करेगा कि सरकार के पास बोर्ड का पूर्ण नियंत्रण हो. नए बिल के मुताबिक, एक नॉन-मुस्लिम भी सीईओ बन सकता है और प्रावधान है कि बोर्ड में कम से कम दो सदस्य नॉन-मुस्लिम होने चाहिए. 

कितनी वक्फ संपत्तियों पर मुकदमा चल रहा है? 
सरकार के अनुसार, वक्फ ट्रिब्यूनल्स के पास 40,951 मामले पेंडिंग हैं. आपको बता दें कि वक्फ ट्रिब्यूनल्स अर्ध-न्यायिक निकाय हैं जो वक्फ या वक्फ संपत्ति से संबंधित विवादों को हल करते हैं: इनमें से 9,942 मामले मुस्लिम समुदाय ने द्वारा वक्फ का प्रबंधन करने वाली संस्थाओं के खिलाफ दायर किए हैं.

वक्फ बोर्ड ट्रिब्यूनल द्वारा दिए गए फैसले को हाई कोर्ट में चुनौती दी जा सकती है. हाई कोर्ट ट्रिब्यूनल के निर्णय की पुष्टि, उलट या संशोधन कर सकता है. 

विभिन्न वक्फ संपत्तियों को कैसे सूचीबद्ध और प्रबंधित किया जाता है?
भारत में वक्फ को वक्फ अधिनियम, 1995 द्वारा विनियमित किया जाता है। एक सर्वेक्षण आयुक्त स्थानीय जांच करके, गवाहों को बुलाकर और सार्वजनिक दस्तावेजों की मांग करके वक्फ के रूप में घोषित सभी संपत्तियों को सूचीबद्ध करता है. वक्फ का प्रबंधन एक मुतवल्ली द्वारा किया जाता है, जो पर्यवेक्षक (सर्वेयर) के रूप में काम करता है. 

क्या वक्फ बोर्ड वक्फ अधिनियम की धारा 40 के तहत अपनी पसंद की किसी भी संपत्ति पर दावा कर सकता है?
वक्फ बोर्ड इस्लाम के अनुयायियों की उन संपत्तियों पर दावा कर सकता है, जो धार्मिक कार्यों के लिए दान की गई हैं. इसमें सीधे तौर पर किसी संपत्ति पर दावा करने का कोई जिक्र नहीं है, न ही इसमें निजी संपत्तियों के बारे में कुछ कहा गया है.

क्या वक्फ बोर्ड किसी संपत्ति को वक्फ संपत्ति घोषित कर सकता है?
नहीं... वक्फ का अर्थ है मुस्लिम कानून द्वारा पवित्र, धार्मिक या धर्मार्थ के रूप में मान्यता प्राप्त किसी भी उद्देश्य के लिए किसी भी चल या अचल संपत्ति का किसी भी व्यक्ति द्वारा स्थायी समर्पण..." इसमें ऐसी संपत्तियां शामिल हो सकती हैं जो धार्मिक या सामाजिक कार्य के लिए दान की गई हैं लेकिन बताए गए उद्देश्य के लिए इस्तेमाल नहीं किया जा रहा है. 

 

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