Pattina Pravesham क्या है? जिसपर बैन हटाने को मजबूर हुई स्टालिन सरकार

इस परंपरा में शैव मठ के महंत को पालकी में बिठाकर कंधों पर ले जाया जाता है. यह परंपरा 500 साल से तमिलनाडु की सभ्यता और संस्कृति का हिस्सा है.

Pattina Pravesam
अपूर्वा राय
  • नई दिल्ली,
  • 09 मई 2022,
  • अपडेटेड 10:30 AM IST
  • ‘पट्टिना प्रवेशम’ चर्चा में बना हुआ है
  • यह 500 साल पुरानी परंपरा है.

तमिलनाडु में DMK सरकार ने धर्मपुरम अधीनम के 'पट्टिना प्रवेशम' (Pattina Pravesham) अनुष्ठान पर प्रतिबंध लगाने के आदेश को रद्द कर दिया है. सरकार की ओर से लगाए गए इस बैन का संत जमकर विरोध कर रहे थे. हालात को देखते हुए आखिरकार स्टालिन सरकार को बैकफुट पर आना पड़ा. इसके बाद से ही ‘पट्टिना प्रवेशम’ चर्चा में बना हुआ है... 

क्या है पट्टिना प्रवेशम?

‘पट्टिना प्रवेशम’ का अर्थ है शहर में प्रवेश करना.‘पट्टिना प्रवेशम’शैव संप्रदाय की एक परंपरा है, जिसमें श्रद्धालु धरमापुरम अधीनम के महंत को सजाई गई पालकी में बिठाकर एक जगह से दूसरी जगह ले जाते हैं. यह 500 साल पुरानी परंपरा है. इसमें श्रद्धालु स्वेच्छा से गुरु को अपने कंधों पर लेकर चलते हैं. यह शहर में प्रवेश करने वाले संत को सम्मानित करने का एक तरीका है. धरमापुरम अधीनम दक्षिण भारत में शैवों का सबसे प्राचीन मठ है. ये मठ तमिलनाडु के मदुरै में मीनाक्षी अम्मन मंदिर के पास स्थित है.

 

22 मई को होगा इसका आयोजन

इस साल 27 अप्रैल को इस प्रथा को मानव अधिकारों का उल्लंघन बताते हुए बैन कर दिया गया था. हालांकि भारी विरोध के बाद 'पट्टिना प्रवेशम' अनुष्ठान पर से बैन हटा दिया गया है. इसका आयोजन 22 मई को किया जाएगा.

 

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