Bansi Lal Haryana : बीडी शर्मा को बनना था CM, आखिरी वक्त में कैसे पलट गया गेम और बंसीलाल बन गए हरियाणा के नए मुख्यमंत्री

Haryana Siyasi Kisse: साल 1968 में हरियाणा में मध्यावधि चुनाव (Haryana Assembly Election 1968) हुए थे. इस चुनाव में कांग्रेस (Congress) को पूर्ण बहुमत मिला था. मुख्यमंत्री की रेस में बीडी शर्मा (Bhagwat Dayal Sharma Haryana) सबसे आगे थे लेकिन आखिर में बंसी लील (Bansi Lal Haryana CM) पहली बार हरियाणा के मुख्यमंत्री बने.

Bansi Lal Haryana Former CM (Photo Credit: Getty Images)
ऋषभ देव
  • नई दिल्ली,
  • 04 सितंबर 2024,
  • अपडेटेड 5:53 PM IST
  • भगवत दयाल शर्मा हरियाणा के पहले मुख्यमंत्री है
  • मध्यावधि चुनाव में कांग्रेस को पूर्ण बहुमत मिला था

Haryana Siyasi Kisse: दिल्ली शहर और कांग्रेस के दिग्गज नेता का आवास. हरियाणा (Haryana( के नए मुख्यमंत्री के लिए मीटिंग हो रही है. विधायक भगवत दयाल शर्मा (Bhagwat Dayal Sharma Haryana)  को अपना नेता चुनते हैं. बीडी शर्मा को मुख्यमंत्री बनना था लेकिन आखिर में राज्य की बागडोर सौंपी जाती है, बंसी लाल के हाथ में. 

हरियाणा की राजनीति में तीन लाल हुए हैं, देवी लाल, बंसी लाल और भजन लाल. लंबे समय तक हरियाणा की राजनीति (Politics of Haryana) इनके इर्द गिर्द घूमती रही. इनके किस्से काफी मशहूर हैं. बंसी लाल के मुख्यमंत्री बनने का किस्सा भी ऐसा ही है.

पहला विधानसभा चुनाव
साल 1967 में हरियाणा विधानसभा के पहले चुनाव में कांग्रेस के भगवत दयाल शर्मा (Bhagwat Dayal Sharma Haryana CM) राज्य के पहले मुख्यमंत्री बने. बीडी शर्मा की सरकार सिर्फ हफ्ते भर ही चल पाई. कांग्रेस विधायकों के दल बदलने से सरकार गिर गई.

इसके बाद संयुक्त मोर्चा ने अपनी सरकार बनाई. हरियाणा के नए मुख्यमंत्री के रूप में राव बिरेन्द्र (Birendra Haryana CM) ने शपथ ली. राव बिरेन्द्र की सरकार 9 महीने ही चली. हरियाणा विधानसभा को भंग कर दिया गया.

मध्यावधि चुनाव
सरकार गिरने के बाद राज्य में नई सरकार के गठन के लिए चुनाव की घोषणा की गई. हरियाणा में मध्यावधि चुनाव 12 मई और 14 मई 1968 को हुए.

विधानसभा चुनाव में कांग्रेस के अंदर तीन गुट बन गए थे. इन गुटों की अगुवाई भगवत दयाल शर्मा, देवीलाल और रामकृष्ण कर रहे थे. कांग्रेस ने गुटबाजी को रोकने के लिए तीन लोगों को चुनाव में नहीं उतारा.

पहला चुनाव हारे चौटाला
हरियाणा विधानसभा में देवीलाल को तो टिकट नहीं मिला लेकिन उन्होंने अपने बेटे ओमप्रकाश चौटाला (Omprakash Chautala Haryana) को टिकट दिलवा दिया. 1968 का विधानसभा चुनाव ओमप्रकाश चौटाला का पहला विधानसभा चुनाव था.

ओमप्रकाश चौटाला को ऐलनाबाद से पार्टी का टिकट मिला. जब चुनाव के नतीजे आए तो सब हैरान रह गए. राज्य में कांग्रेस को तो पूर्ण बहुमत मिल गया लेकिन देवीलाल के बेटे ओमप्रकाश चौटाला चुनाव हार गए.

ओमप्रकाश चौटाला विशाल हरियाणा पार्टी के लालचंद खेड़ा से चुनाव हारे. चौटाला इसको लेकर सुप्रीम कोर्ट पहुंचे. सुप्रीम कोर्ट ने ऐलनाबाद के चुनाव को खारिज कर दिया. बाद में 1970 में इस सीट पर उपचुनाव हुए. उपचुनाव में ओमप्रकाश चौटाला को जीत मिली.

कौन बनेगा मुख्यमंत्री?
मध्यावधि चुनाव में कांग्रेस को 81 विधानसभी सीटों में 48 सीटों पर जीत मिली. पूर्व मुख्यमंत्री राव बिरेन्द्र की विशाल हरियाणा को 16 सीटें मिलीं. 

जनसंघ ने 7 और स्वतंत्र पार्टी के खाते में 2 सीटें आईं. इसके अलावा आरपीआई, भारतीय क्रांति दल को 1-1 सीट मिली.

अब कांग्रेस नेतृत्व को हरियाणा का नया मुख्यमंत्री तय करना था. सीएम बनने की रेस में राज्य के पहले मुख्यमंत्री बीडी शर्मा का पलड़ा सबसे भारी था. इसके अलावा देवी लाल और बंसी लाल भी रेस में थे. 

तो इसलिए नहीं बन पाए बीडी शर्मा CM
नई दिल्ली में गुलजारी लाल नंदा (Guljari Lal Nanda Congress) के आवास पर विधायकों की बैठक हुई. इस मीटिंग में सिर्फ 32 विधायक ही आए. भगवत दयाल शर्मा को विधायक दल ने अपना नेता चुना. 

सबको लग रहा था कि बीडी शर्मा ही सूबे के मुखिया बनेंगे लेकिन पार्टी हाईकमान भगवत दयाल शर्मा के नाम पर राजी नहीं हुआ. इसके बाद सूबे के मुख्यमंत्री के लिए बंसी लाल और देवी लाल बड़े दावेदार थे. 

सूबे के मुखिया- बंसी लाल
गुलजारी लाल नंदा ने मुख्यमंत्री के लिए बंसी लाल के नाम का सुझाव दिया. ब्रिगेडियर रण सिंह ने बंसी लाल के नाम का प्रस्ताव दिया. बीडी शर्मा ने भी अपना समर्थन दिया. 

अगले दिन कांग्रेस अध्यक्ष निजलिंगप्पा की अध्यक्षता में विधायक दल की बैठक हुई. इस मीटिंग में बंसीलाल को विधायक दल का नेता चुना गया. बंसीलाल ने हरियाणा के तीसरे मुख्यमंत्री के रूप में शपथ ली. इस तरह से बंसी लाल पहली बार हरियाणा के मुख्यमंत्री बने.

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