दिल्ली नगर निगम चुनाव कब होंगे और कैसे होंगे इसे लेकर सभी सोच विचार कर रहे हैं. बता दें, दिल्ली के तीनों नगर निगम अब एक हो गए हैं. केंद्र सरकार ने इसका बिल शुक्रवार को संसद में पेश किया है. संसद में बिल पेश होने के बाद आखिर दिल्ली में नगर निगम के चुनाव कब होंगे इस पर दिल्ली के पूर्व मुख्य सचिव और फाइनेंस सेक्रेटरी उमेश सिंगल ने बताया की एकीकरण (Unification) एक बड़ा प्रोसेस है. उसके बाद परिसीम (Delimitation) एक लंबी और बड़ी प्रक्रिया है. जिसको 10 दिन या एक या दो महीने में पूरा नहीं किया जा सकता है, इसमें लगभग 1 साल या उससे भी ज्यादा का वक्त लग सकता है.
कब तक होगा परिसीमन?
उमेश सिंगल के मुताबिक, पिछली बार जब दिल्ली में परिसीमन हुआ था, उसमें भी लगभग 15 महीने का वक्त लगा था. ऐसे में जाहिर-सी बात है कि परिसीमन जब तक नहीं होता तब तक चुनाव भी संभव नहीं है.
बता दें, परिसीमन जनसंख्या के आधार पर होता है. हर विधानसभा की जनसंख्या पर ही ये निर्भर करेगा. इसके साथ ही महिला आरक्षित सीटों के साथ अनुसूचित जाति/ जनजाति वाली सीट्स को भी चुनाव आयोग को ध्यान में रख करके ही परिसीमन करना होगा. इसके बाद चुनाव आयोग इसकी रिपोर्ट केंद्र को भेजेगा और अगर इस बीच किसी पार्टी को या किसी वार्ड के लोगों को कोई ऑब्जेक्शन है तो वह कोर्ट का दरवाजा भी खटखटा सकता है, ऐसे में जब तक यह प्रक्रिया पूरी नहीं होती तब तक चुनाव संभव नहीं है.
केंद्र के अधिकारी संभालेंगे निगम को
उमेश सिंगल के मुताबिक जब तक निगम के चुनाव नहीं हो जाते तब तक केंद्र सरकार के बड़े अधिकारी निगम को पूरी तरह से संभालेंगे. हालांकि अभी जितने भी कमिश्नर या अधिकारी हैं वह पहले की तरह ही काम करेंगे, लेकिन केंद्र की तरफ से जो अधिकारी होंगे उनके पास दिल्ली के मेयर, कमिश्नर, स्टैंडिंग कमेटी चेयरमैन से भी ज्यादा शक्तियां होंगी.
उमेश सिंगल ने आगे बताया कि अधिकारी नियुक्त होने के बाद दिल्ली की जनता के जो भी रोजमर्रा के काम होंगे वे नहीं रुकेंगे.
निगम एक होने से नहीं होगी फंड की कमी
उमेश सिंगल के मुताबिक निगम को एक करना एक महत्वपूर्ण कदम है हालांकि दिल्ली सरकार अगर चाहे तो थर्ड पे (3rd pay) या फिफ्थ पे (5th pay) कमीशन अगर वे लागू कर भी देते हैं तो भी दिल्ली के निगमों को फंड की कोई कमी नहीं होगी. इसके अलावा निगम एक होने के चलते साउथ दिल्ली का रेवेन्यू अब पूर्वी दिल्ली और उत्तरी दिल्ली में भी लग सकेगा. इसके अलावा, निगम को पहले जब बड़े प्रोजेक्ट के लिए लोन लेना होता है तो उसको दिल्ली सरकार से इजाजत लेनी होती है, लेकिन अब निगम डायरेक्ट केंद्र सरकार के जरिए फंड और लोन ले सकेगा.
(सुशान्त मेहरा की रिपोर्ट)