जानिए कौन हैं आईएमएफ की पहली महिला अध्यक्ष हर्षवंती बिष्ट, पर्वतारोहण को देना चाहती हैं नया मुकाम

हर्षवंती इंडियन माउनटेनियरिंग फाउंडेशन की अध्यक्ष बनने वाली इतिहास की पहली महिला बन गई हैं. एक बच्ची के तौर पर पहाड़ों ने हर्षवंती को हमेशा से आकर्षित किया.

Harshwanti Bisht
gnttv.com
  • नई दिल्ली,
  • 28 नवंबर 2021,
  • अपडेटेड 3:53 PM IST
  • गंगोत्री बचाओ परियोजना की स्थापना की
  • IMF की अध्यक्ष बनने वाली पहली महिला 

एक छोटी बच्ची के तौर पर पहाड़ों ने हर्षवंती बिष्ट को हमेशा से आकर्षित किया. उन्होंने कुछ सबसे कठिन चोटी नंदा देवी और माउंट एवरेस्ट को फतह करने में बड़े उपलब्धि हासिल की. अब इस 62 वर्षीय महिला ने एक और मुकाम हासिल कर लिया है. हर्षवंती इंडियन माउनटेनियरिंग फाउंडेशन की अध्यक्ष बनने वाली इतिहास की पहली महिला बन गई हैं.

IMF की अध्यक्ष बनने वाली पहली महिला 

उत्तराखंड के पौड़ी गढ़वाल जिले के बीरोंखाल ब्लाक स्थित सुकई गांव निवासी हर्षवंती बिष्ट पीजी कॉलेज से सेवानिवृत हुई हैं. पुरस्कार विजेता पर्वतारोही, शिक्षाविद् और पर्यावरणविद को शीर्ष पद हासिल करने के लिए 60 वर्षीय संगठन के चुनावों में 107 में से 70 वोट मिले. आईएमएफ देश में पर्वतारोहण और संबद्ध खेल गतिविधियों के लिए शीर्ष निकाय है.

लड़कियों को प्रोत्साहित करना चाहती हैं हर्षवंती

बिष्ट ने कहा, "आईएमएफ अध्यक्ष के रूप में मेरी प्राथमिकता अधिक लड़कियों को चढ़ाई के लिए प्रोत्साहित करना होगी." हर्षवंती ने कहा, “हम  हाल ही में ओलंपिक कार्यक्रम में शामिल की गई कुछ गतिविधियां जैसे स्पोर्ट क्लाइमबिंग आदि को बढ़ावा देना चाहते हैं. साथ ही हम पर्वतारोहण नीतियों, आपदा प्रबंधन और अन्य प्रशिक्षण संस्थानों के साथ समन्वय पर भी जोर देंगे.
अर्थशास्त्र में बीए और एमए करने के बाद हर्षवंती ने 1975 में उत्तरकाशी के नेहरू इंस्टीट्यूट ऑफ माउनटेनियरिंग में दाखिला लिया जहां से उन्होंने क्लाइमबिंग में कोर्स किया. नंदा देवी की मुख्य चोटी पर चढ़ाई करने वाली तीन महिलाओं में से वो एक थीं. इसी साल उन्हें पर्वतारोहण के लिए अर्जुना अवार्ड मिला था.

गंगोत्री बचाओ परियोजना की स्थापना की

तीन साल बाद, 1984 में उन्होंने एवरेस्ट फतह किया. इस अभियान के दौरान उन्हें पहाड़ों के संरक्षण में एडमंड हिलेरी के काम का पता चला और वह उस रास्ते पर चलना चाहती थीं. इसके बाद उन्होंने गंगा की उत्पत्ति के आसपास के क्षेत्र की सुरक्षा के लिए 'गंगोत्री बचाओ परियोजना' की स्थापना की. साल 1991 में उन्होंने भोजपत्र के पेड़ों को संरक्षित करने के लिए एक अभियान शुरू किया. उन्होंने गंगोत्री राष्ट्रीय उद्यान क्षेत्र में सैकड़ों पौधे लगाए. इसके लिए उन्हें 2013 में एडमंड हिलेरी माउंटेन लिगेसी मेडल से नवाजा गया था.

 

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