Farmers Delhi Chalo Protest: अपनी मांगों की पूर्ति के लिए सैकड़ों किसान राष्ट्रीय राजधानी दिल्ली की ओर कूच कर रहे हैं. दिल्ली चलो मार्च (Delhi Chalo Protest) में कई किसान संगठन शामिल हैं. किसानों के विरोध प्रदर्शन को देखते हुए दिल्ली पुलिस (Delhi Police) ने एहतियातन कई कदम उठाए हैं. दिल्ली में धारा-144 लागू है. यहाँ रैली, धरना-प्रदर्शन पर रोक है.
इससे पहले भी किसान दिल्ली कर चुके हैं कूच
इससे पहले भी किसान अपनी मांगों के लेकर दिल्ली (Delhi) कूच कर चुके हैं. 2020-21 में संयुक्त किसान मोर्चा और भारतीय किसान यूनियन ने किसानों के आंदोलन का नेतृत्व किया था. उस समय राकेश टिकैत (Rakesh Tikait) और गुरनाम सिंह चढूनी किसानों के प्रमुख नेता के रूप में उभरे थे. इस बार के आंदोलन से ये दोनों गायब हैं. इस बार किसान नेता सरवन सिंह पंढेर (Sarwan Singh Pandher) का नाम सबसे आगे चल रहा है. उनके कहने पर ही दिल्ली चलो मार्च में अन्नदाता हिस्सा ले रहे हैं.
टिकैत दिल्ली चलो मार्च से दूर हैं लेकिन उन्होंने कहा कि हमने 16 फरवरी 2024 को भारत बंद का आह्वान किया है. कई किसान संगठनों ने इस आह्वान का समर्थन किया है. गुरनाम सिंह चढूनी ने कहा कि मुझसे इस आंदोलन के लोकर कोई सुझाव नहीं लिया गया. कुछ संगठनों ने अपने स्तर पर यह फैसला लिया है.
मजीठिया के खास रह चुके हैं सरवन सिंह
45 वर्षीय किसान नेता सरवन सिंह पंजाब में अमृतसर जिले के पंढेर गांव के रहने वाले हैं. सरवन ने 10वीं कक्षा तक पढ़ाई की है. वह अपनी बातों को मजबूती से रखने के लिए जाने जाते हैं. वह अकाली नेता बिक्रम सिंह मजीठिया के खास रह चुके हैं.
किसान नेता सतनाम सिंह पन्नू ने किसान संघर्ष कमेटी से अलग होकर 2007 में किसान मजदूर संघर्ष कमेटी का गठन किया था. पंढेर इसी संगठन से जुड़े हुए हैं. वह इस संगठन के महासचिव हैं. यह संगठन वैसे तो अमृतसर के किसानों के लिए काम करता है लेकिन पंजाब के 7-8 और जिलों के किसान और मजदूर इस संगठन से जुड़े हैं.
किसानों के अन्य संगठनों की तरह किसान मजदूर संघर्ष कमेटी भी अन्नदाताओं के हक के लिए काम करती है लेकिन इस संगठन की कोशिश अन्य संगठनों से अलग चलने की होती है.
क्या बोले सरवन सिंह पंढेर
सरवन सिंह पंढेर ने मंगलवार को कहा कि हमारा यह विरोध किसी राजनीति से प्रेरित नहीं है. हमें किसी भी दल का समर्थन प्राप्त नहीं है. हम देश के किसानों की दयनीय स्थिति के लिए जितना कांग्रेस को दोषी मानते हैं, उतना ही बीजेपी को. हम वामपंथियों का भी समर्थन नहीं करते हैं क्योंकि पश्चिम बंगाल में इतने सालों तक सत्ता में रहने के बावजूद वहां पर किसानों की आर्थिक स्थिति नहीं सुधरी. सरवन सिंह ने कहा कि किसानों की जायज मांगों को केंद्र सरकार को मान लेनी चाहिए.
दिल्ली बॉर्डर पर पुलिस मुस्तैद
किसानों के दिल्ली चलो मार्च को रोकने के लिए केंद्रीय मंत्रियों और किसान नेताओं के बीच सोमवार देर रात को मैराथन बैठक हुई लेकिन इसमें बात नहीं बन पाई. किसान न्यूनतम समर्थन मूल्य (एमएसपी) सहित कई मांगों पर अड़े रहे. उसके बाद किसान नेताओं ने आर-पार की जंग का ऐलान कर दिया. पंजाब से सैकड़ों किसान दिल्ली की ओर कूच कर रहे हैं.
इसके देखते हुए गाजीपुर, सिंघु, शंभू, टिकरी समेत सभी बॉर्डर को छावनी में तब्दील कर दिया गया है. पुलिस ने चेतावनी दी है कि यदि किसानों की आड़ में उपद्रवियों ने कानून व्यवस्था में खलल डालने की कोशिश की तो उनके खिलाफ सख्त कार्रवाई की जाएगी. हरियाणा के Shambhu Border पर हालात बेकाबू होते देख पुलिस को ड्रोन के जरिए आंसू गैस के गोले दागने पड़े.