कौन है IPS संजय पांडे जिन्हें अवैध फोन टैपिंग के मामले में ED ने किया गिरफ्तार

मुंबई पुलिस के पूर्व कमिश्नर संजय पांडे को ईडी ने लंबी पूछताछ के बाद गिरफ्तार कर लिया. बताया जा रहा है कि ये पूछताछ लगभग आठ घंटे तक चली. उन्हें मनी लॉन्ड्रिंग एक्ट के तहत कस्टडी में लिया गया है. उन्हें 20 जुलाई को अदालत में पेश किया जाएगा.

Sanjay Panday
gnttv.com
  • नई दिल्ली,
  • 20 जुलाई 2022,
  • अपडेटेड 5:46 PM IST
  • महाराष्ट्र के डीजीपी भी रहे
  • खोली खुद की कंपनी 

मुंबई पुलिस के पूर्व कमिश्नर संजय पांडे को ईडी ने लंबी पूछताछ के बाद गिरफ्तार कर लिया है. पांडे से नेशनल स्टॉक एक्सचेंज (NSE)के कर्मचारियों की कथित फोन टैपिंग से जुड़ें मनी लॉन्ड्रिंग के मामले में लंबी पूछताछ चली. उन्हें बुधवार को दिल्ली की विशेष अदालत के समक्ष पेश किया जाएगा.

संजय पांडे पर क्या है आरोप?
संजय पांडे पर आरोप है कि उनकी कंपनी आई सिक्योरिटी को साल 2010 से साल 2015 तक नेशनल स्टॉक एक्सचेंज की सिक्योरिटी ऑडिट करने का काम सौंपा गया था. इसी दौरान नेशनल स्टॉक एक्सचेंज में को लोकेशन घोटाला हुआ था. जांच एजेंसियों ने इस मामले में नेशनल स्टॉक एक्सचेंज की तत्कालीन सीएमडी चित्रा रामाकष्णन और उनके सहयोगियों को गिरफ्तार किया था.

बाद में इस मामले में संजय पांडे की कंपनी को नेशनल स्टॉक एक्सचेंज द्वारा सुरक्षा ऑडिट करने के बदले करोड़ों रुपये की रकम लेने के भी आरोप लगे. इसकी आड़ में नेशनल स्टॉक एक्सचेंज के कर्मचारियों की फोन टैपिंग की गई थी.

कौन है संजय पांडे?
संजय पांडे 1986 बैच के आईपीएस अधिकारी हैं, जिन्हें एनएसई स्नूपिंग मामले में प्रवर्तन निदेशालय (ईडी) ने गिरफ्तार किया है. पांडे इसी साल 30 जून को सेवा से सेवानिवृत्त हुए हैं. आईआईटी कानपुर से स्नातक पांडे ने मुंबई और पूरे महाराष्ट्र में आईपीएस अधिकारी के रूप में विभिन्न पदों पर कार्य किया. साल 1992-93 के बाद के सांप्रदायिक दंगों के बाद पांडे, जो मुंबई पुलिस कमिश्नरी जोन 8 के पुलिस उपायुक्त थे, संवेदनशील धारावी क्षेत्र को संभाल रहे थे. वहां अपने कार्यकाल के दौरान उन्होंने झुग्गी-झोपड़ियों में कानून-व्यवस्था की स्थिति बनाए रखी थी.

धारावी में इस कार्यकाल के दौरान, पांडे ने भाजपा नेता गोपीनाथ मुंडे को धारावी थाने में पुलिस के खिलाफ विरोध प्रदर्शन करने के आरोप में गिरफ्तार किया था. पांडे बाद में डीसीपी ईओडब्ल्यू थे और वहां तैनात रहते हुए उन्होंने करोड़ों के मोची घोटाले की जांच की. बाद में पांडे को जालना स्थानांतरित कर दिया गया और फिर गोपीनाथ मुंडे गृह मंत्री थे. पांडे को तब केंद्र में प्रतिनियुक्ति भी मिली और वह प्रधानमंत्री सुरक्षा का हिस्सा थे.

खोली खुद की कंपनी 
2001 में, पांडे ने सेवा से इस्तीफा दे दिया और टेक दिग्गज के लिए काम कर रहे थे. साथ ही कंपनी ISEC Security Pvt Ltd को निदेशक के रूप में स्थापित किया था. साल 2006 में, पांडे ने फिर से कैट (केंद्रीय प्रशासनिक न्यायाधिकरण) से बहाली के लिए संपर्क किया क्योंकि उनका इस्तीफा सरकार द्वारा स्वीकार नहीं किया गया था. उनके पक्ष में कैट के आदेश के बावजूद उन्हें 2011 तक कोई पोस्टिंग नहीं दी गई थी. 2011 में उन्होंने बॉम्बे हाईकोर्ट का दरवाजा खटखटाया और अदालतों के हस्तक्षेप के बाद पांडे को प्रभार दिया गया.

महाराष्ट्र के डीजीपी भी रहे
अप्रैल 2021 में पांडे को महाराष्ट्र के कार्यवाहक DGP के रूप में कार्यभार दिया गया और 18 फरवरी 2022 तक कार्यवाहक DGP के रूप में बने रहे. DGP महाराष्ट्र के रूप में उनकी नियुक्ति को लेकर बॉम्बे उच्च न्यायालय में याचिकाएं दायर की गई थीं. महाराष्ट्र के कार्यवाहक डीजीपी के रूप में उनके कार्यकाल के दौरान मुंबई और ठाणे में परमबीर सिंह के खिलाफ पांच प्राथमिकी दर्ज की गईं. IPS रश्मि शुक्ला के खिलाफ भी फोन टैपिंग का केस दर्ज किया गया था. केंद्रीय मंत्री नारायण राणे को रत्नागिरी में तत्कालीन सीएम उद्धव ठाकरे के खिलाफ बयान देने के आरोप में गिरफ्तार किया गया था. राणे के बेटे नितेश के खिलाफ भी उनके कार्यकाल में मामला दर्ज किया गया था. कई पुलिस अधिकारियों का मुंबई से तबादला कर दिया गया. क्रूज ड्रग मामले में एनसीबी अधिकारियों के खिलाफ जबरन वसूली के आरोपों की जांच के लिए एसआईटी का गठन किया गया था.

 ईडी ने संजय पांडे से सात घंटे से अधिक समय तक पूछताछ की. इस दौरान वो गोलमोल जवाब दे रहे थे, जिसके बाद उन्हें गिरफ्तार कर लिया गया. इससे पहले पिछले हफ्ते ही एजेंसी ने इस मामले में एनएसई की पूर्व मुख्य कार्यकारी अधिकारी (सीईओ) चित्रा रामकृष्ण को गिरफ्तार किया था.

 

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