Vijay Kumar Sinha: कौन हैं विजय कुमार सिन्हा? जिन्होंने फ्लोर टेस्ट से कुछ मिनट पहले स्पीकर पद से दिया इस्तीफा

राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ के एक समर्पित कार्यकर्ता, सिन्हा ने 2010 से लगातार तीन बार निर्वाचन क्षेत्र जीतकर लखीसराय से विधायक के रूप में कार्य किया है. उन्होंने नीतीश कुमार के फ्लोर टेस्ट से कुछ देर पहले स्पीकर पद से इस्तीफा दे दिया.

Vijay kumar Sinha
gnttv.com
  • नई दिल्ली,
  • 24 अगस्त 2022,
  • अपडेटेड 1:52 PM IST
  • स्पीकर पद से दिया इस्तीफा
  • अध्यक्ष के तौर पर नियुक्त होने वाले पहले बीजेपी नेता

बिहार विधानसभा में फ्लोर टेस्ट से कुछ मिनट पहले स्पीकर विजय कुमार सिन्हा ने अपने पद से इस्तीफा दे दिया. बिहार के मुख्यमंत्री नीतीश कुमार, जिन्होंने राष्ट्रीय जनता दल (राजद) के साथ गठबंधन करने के लिए बीजेपी से नाता तोड़ लिया, 24 अगस्त को राज्य विधानसभा में विश्वास मत का सामना करने के लिए तैयार हैं. 'महागठबंधन' में बिहार के मुख्यमंत्री की जद (यू) के अलावा राजद, कांग्रेस, सीपीआई (एमएल), सीपीआई और सीपीआई (एम) शामिल है. बिहार विधानसभा की 243 सीटों में महागठबंधन के पास 160 से ज्यादा का आंकड़ा है. 

विधानसभा अध्यक्ष ने अपने खिलाफ अविश्वास प्रस्ताव पर विधानसभा को संबोधित करते हुए आश्चर्यजनक कदम उठाया और इस्तीफा दे दिया. स्पीकर ने सदन को दोपहर दो बजे तक के लिए स्थगित कर दिया था.

अपने खिलाफ अविश्वास प्रस्ताव पर बोलते हुए स्पीकर विजय कुमार सिन्हा ने सदन में कहा, "कुर्सी पंच परमेश्वर है. आप कुर्सी पर शक करके क्या संदेश देना चाहते हैं? लोग फैसला करेंगे." उन्होंने कहा, "मैं आपको बताना चाहता हूं कि आपका अविश्वास प्रस्ताव (अध्यक्ष के खिलाफ) स्पष्ट नहीं है. नौ लोगों के जो पत्र मिले, उनमें से आठ नियम के मुताबिक नहीं थे." डिप्टी स्पीकर महेश्वर हजारी ने स्पीकर का कार्यभार संभाला. रिपोर्ट्स के मुताबिक, सत्र को एक दिन के लिए बढ़ाया जाएगा.

कौन है विजय कुमार सिन्हा?
राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ के एक समर्पित कार्यकर्ता, सिन्हा ने 2010 से लगातार तीन बार निर्वाचन क्षेत्र जीतकर लखीसराय से विधायक के रूप में कार्य किया है. उन्होंने बिहार के बेगुसराय के सरकारी पॉलिटिकल कॉलेज से सिविल इंजीनियरिंग की पढ़ाई की है. राज्य विधानसभा के अध्यक्ष के तौर पर नियुक्त होने वाले बीजेपी के पहले नेता भी हैं. 

उनकी नियु्क्ति पर कई लोगों ने आश्चर्य जताया और कहा कि उच्च जाति का होने की वजह से उन्हें प्राथमिकता दी गई. जब 2015 में आरजेडी और जेडीयू ने मिलकर चुनाव लड़ा था तब महागठबंधन का जबरदस्त दबदबा था लेकिन विजय कुमार ने जेडीयू के उम्मीदवार अमरेश कुमार को 10 हजार वोटों से मात दी थी और लखीसराय की सीट बीजेपी के नाम की थी. इस तरह से जातीय समीकरण को साधने में उनका बड़ा महत्व है. विजय कुमार भूमिहार नेता हैं और बिहार में भूमिहार का अच्छा-खासा वर्चस्व है. ऐसे में एक भूमिहार विधायक को स्पीकर की कुर्सी देकर बीजेपी ने भूमिहारों को अपने बेडे में करने की कोशिश की. इससे पहले जो दो उप-मुख्यमंत्री चुने गए थे उसमें अति पिछड़े वर्ग को ज्यादा तरजीह दी गई थी. लेकिन स्पीकर की कुर्सी में नए चेहरे को शामिल किया गया.

नीतीश से हमेशा रहा टकराव

नीतीश कुमार और विजय सिन्हा का भी हमेशा टकराव रहा. नीतीश ने बिहार विधान सभा के वर्षगांठ समारोह के लिए भेजे गए निमंत्रणों में उनका नाम छोड़ दिया था. इसी साल मार्च में, नीतीश ने अपनी नाराजगी तब जाहिर की जब सिन्हा ने मंत्री बिजेंद्र यादव से दो बार सदन को उनके विधानसभा क्षेत्र लखीसराय में पुलिस कार्रवाई से जुड़ी एक घटना में उठाए गए कदमों के बारे में सूचित करने के लिए कहा.

 

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