भारत (India) ने एक बार फिर कनाडा (Canada) पर बड़ी कार्रवाई की है. कनाडा के 6 राजनयिकों को देश से निष्कासित कर दिया है. इसके साथ ही मोदी सरकार (Modi Government) ने कनाडा में मौजूद अपने हाई कमिश्नर संजय कुमार वर्मा सहित अन्य राजनयिकों को वापस बुला लिया है. अब आप सोच रहे होंगे कि आखिर भारत ने ऐसा सख्त कदम क्यों उठाया है तो चलिए हम आपको बताते हैं.
दरअसल, भारत ने यह बड़ी कार्रवाई खालिस्तानी आतंकवादी हरदीप सिंह निज्जर (Hardeep Singh Nijjar) हत्याकांड में कनाडा की ओर से बिना किसी सबूत के बार-बार लगाए जा रहे आरोपों पर प्रतिक्रिया के रूप में किया है. करीब एक साल पहले भी निज्जर की मौत के मामले पर दोनों देश आमने-सामने आ गए थे. उस वक्त राजनयिकों को निकालने से लेकर वीजा आवेदन बंद करने तक जैसे निर्णय लिए गए थे.
आइए जानते हैं अभी क्या हुआ है
हरदीप सिंह निज्जर हत्याकांड के कुछ महीनों बाद भारत और कनाडा में रिश्ते बहुत हद तक सुधर गए थे. अब फिर दोनों देशों के रिश्ते तल्ख हो गए हैं तो इसकी भी वजह निज्जर हत्याकांड ही है. दरअसल, कनाडा की जस्टिन ट्रूडो सरकार ने रविवार को एक चिट्ठी भेजी थी. इसमें भारतीय हाई कमिश्नर और कुछ दूसरे डिप्लोमैट्स को निज्जर की हत्या में संदिग्ध बताया है.
भारतीय उच्चायुक्त संजय कुमार वर्मा का नाम बतौर पर्सन ऑफ इंटरेस्ट शामिल किया है. इसका मतलब यह है कि किसी व्यक्ति के बारे में पुलिस को लगता है कि वह किसी अपराध में शामिल हो सकता है लेकिन उस पर औपचारिक आरोप नहीं लगाए जा सकते और न ही गिरफ्तार किया जा सकता. हालांकि उसकी गतिविधियों, संपर्कों और अन्य जानकारी को जांच के दायरे में रखा जाता है. इसी पर भारत ने 14 अक्टूबर 2024 को कड़ा ऐतराज जताते हुए कनाडा के 6 राजनयिकों को 19 अक्टूबर रात 11:59 बजे तक या उससे पहले भारत छोड़ने का आदेश दिया है.
कौन था हरदीप सिंह निज्जर
हरदीप सिंह निज्जर मूल रूप से पंजाब के जालंधर जिले के शाहकोट के नजदीकी गांव भारसिंहपुर का रहने वाला था. वह खालिस्तान टाइगर फोर्स का चीफ था. वह 1996 में कनाडा चला गया था, जहां उसने कथित तौर पर प्लंबर का काम भी किया. हालांकि, बाद में चरमपंथी संगठन सिख फॉर जस्टिस (एसएफजे) से जुड़े निज्जर ने गुरपतवंत सिंह पन्नुन के बाद नंबर-2 का पद संभाला. इसके बाद हरदीप सिंह निज्जर की धीरे-धीरे पहचान कनाडा के सिख समुदाय में एक नेता के तौर पर होने लगी. इसके बाद उसे ब्रिटिश कोलंबिया के सरे शहर में गुरुनानक गुरुद्वारा का निर्विरोध प्रमुख चुन लिया गया. इसी के बाद से वह कनाडा में एक बड़े सिख नेता के तौर पर प्रसिद्ध हो गया.
भारत विरोधी गतिविधियों को देता था अंजाम
पाकिस्तानी खुफिया एजेंसी आईएसआई के इशारे पर निज्जर कनाडा में भारत विरोधी गतिविधियों को अंजाम देने लगा. उसने कनाडा में कई हिंदू मंदिरों पर भी हमले की साजिश रची थी. हरदीप सिंह निज्जर पंजाब में टारगेट किलिंग करवाता था. वह अमेरिका, ब्रिटेन, जर्मनी और कनाडा में भारतीय मिशनों के बाहर भारत विरोधी प्रदर्शनों का आयोजन करता था. आतंकवाद में निज्जर की भागीदारी जगतार सिंह तारा के नेतृत्व वाले बब्बर खालसा इंटरनेशनल में उसकी सदस्यता के साथ शुरू हुई.
इसके बाद, उसने अपना समूह, खालिस्तान टाइगर फोर्स (केटीएफ) की स्थापना की. भारतीय आतंकवाद विरोधी एजेंसी ने पंजाब के जालंधर में एक हिंदू पुजारी की हत्या के मामले में निज्जर पर 10 लाख रुपए का नकद इनाम घोषित किया था. एनआईए ने निज्जर को भगोड़ा घोषित किया था. निज्जर पर 2007 में पंजाब के एक सिनेमाघर में हुए बम विस्फोट का भी आरोप था. नवंबर 2020 में निज्जर ने साथी गैंगस्टर अर्श दल्ला के साथ साझेदारी की, जो विदेश में रह रहा था. दोनों ने मिलकर डेरा सच्चा सौदा के अनुयायी मनोहर लाल की हत्या की थी.
कैसे शुरू हुआ था भारत-कनाडा के बीच विवाद
भारत ने खालिस्तानी आतंकवादी हरदीप सिंह निज्जर को आतंकवादी घोषित कर रखा था. 18 जून 2023 को कनाडा के ब्रिटिश कोलंबिया के सरी स्थित गुरुनानक सिख गुरुद्वारा के बाहर दो अज्ञात बंदूकधारियों ने हरदीप सिंह निज्जर की गोली मारकर हत्या कर दी था. 18 सितंबर 2023 को कनाडा के प्रधानमंत्री जस्टिन ट्रूडो ने निज्जर की हत्या में भारतीय एजेंट्स की संलिप्तता के आरोप लगाए. ट्रूडो ने कहा कि कनाडाई सुरक्षा एजेंसियों के पास यह मानने के कारण है कि भारत सरकार के एजेंटों ने ही निज्जर की हत्या की. ट्रूडो ने कहा कि कनाडा की धरती पर कनाडाई नागरिक की हत्या में किसी भी प्रकार की संलिप्तता अस्वीकार्य है. भारत ने ट्रूडो के आरोपों को बेतुका और प्रेरित बताकर खारिज कर दिया था.
भारत ने कहा था कि इस तरह के आरोप सिर्फ उन खालिस्तानी आतंकी और कट्टरपंथियों से ध्यान हटाने के लिए जिन्हें लंबे समय से कनाडा में शरण दी जा रही है और जो भारत की क्षेत्रीय एकता और अखंडता के लिए लगातार खतरा बने हुए हैं. यहीं से भारत और कनाडा के संबंधों में तनाव आ गया. विवाद के बीच ही भारत ने कनाडा में भारतीय वीजा सेवाएं तत्काल प्रभाव से निलंबित कर दी थीं. 21 सितंबर 2023 को कनाडा में भारत के लिए वीजा सेवाएं मुहैया कराने वाली एजेंसी ने परिचालन कारणों से कुछ समय के लिए इस सुविधा को निलंबित कर दिया था. इसके बाद भारत ने कनाडा के कुछ राजनयिकों को वापस भेजने का फैसला किया था. विदेश मंत्रालय के प्रवक्ता ने उस वक्त कहा था कि कनाडा के राजनयिक ज्यादा संख्या में भारत में है, जबकि भारत के राजनयिक उतनी संख्या में कनाडा में नहीं हैं. हालांकि अक्टूबर 2023 में भारत द्वारा वीजा प्रक्रिया दोबारा शुरू करने के बाद दोनों देशों के बीच ठंडे पड़े संबंधों में थोड़ी नरमी आई थी. लेकिन कनाडा के नए कदम ने दोनों देशों को फिर आमने-सामने ला दिया है.
भारत-कनाडा विवाद टाइमलाइन
18 जून 2023
-खालिस्तानी आतंकी हरदीप सिंह निज्जर की कनाडा में हत्या
-निज्जर को कनाडा के ब्रिटिश कोलंबिया में गोली मार दी गई थी.
सितंबर 2023
-कनाडा का भारत पर निज्जर की हत्या में संलिप्त होने का आरोप, भारत ने नकारा
-भारत ने कनाडा के लिए वीजा सेवाएं रोकीं, कनाडाई राजनयिकों को वापस भेजा
अक्टूबर 2023
-भारत ने बंद वीजा सेवाएं बहाल कीं, इससे दोनों देशों के बीच संबंधों में थोड़ी नरमी आई.
अक्टूबर 2024
-13 अक्टूबर 2024 को कनाडा ने भारतीय उच्चायुक्त को पर्सन ऑफ इंटरेस्ट के रूप में नामित किया
-इसके बाद भारत ने 14 अक्टूबर 2024 को अपने राजनयिकों को कनाडा से वापस बुलाने का निर्णय लिया.
- कनाडा के छह राजनयिकों को देश छोड़ने का आदेश
भारत ने कनाडा के बेतुके आरोपों को सिरे से किया खारिज
भारत कनाडा के बेतुके आरोपों को सिरे से खारिज किया है. भारत का कहना है कि कनाडा सरकार ने कई बार कहने के बावजूद भारत सरकार के साथ एक भी सबूत साझा नहीं किया है. यह नया आरोप भी ऐसे ही लगाया गया है. भारत का कहना है कि इसके पीछे ट्रूडो सरकार का पॉलिटिकल एजेंडा है, जो कि वोट बैंक से प्रेरित है. कनाडा लंबे समय से ऐसा करते आ रहा है. उनकी कैबिनेट में ऐसे व्यक्ति शामिल हैं जो भारत के खिलाफ चरमपंथी और अलगाववादी एजेंडे से जुड़े हुए हैं.
कनाडा के पीएम ट्रूडो के लिए निज्जर का मुद्दा अहम क्यों
आपको मालूम हो कि कनाडा में अक्टूबर 2025 में संसदीय चुनाव होने हैं. कनाडाई पीएम जस्टिन ट्रूडो की लिबरल पार्टी का बड़ा वोट बैंक खालिस्तान समर्थकों को माना जाता है. पिछले महीने ही ट्रूडो सरकार में शामिल खालिस्तान समर्थक जगमीत सिंह की NDP पार्टी ने अपना समर्थन वापस ले लिया था. इसके बाद ट्रूडो सरकार अल्पमत में आ गई थी. हालांकि 1 अक्टूबर 2024 को बहुमत परीक्षण में ट्रूडो एक दूसरी पार्टी के समर्थन से अपनी सरकार बचाने में सफल हो गए थे. हालांकि वह साल 2025 में होने वाले चुनाव को देखते हुए सिख समुदाय को नाराज नहीं करना चाह रहे हैं. इस समुदाय की अच्छी संख्या कनाडा में है, जो हर चुनाव में मुख्य रोल अदा करती है. इन्हीं कारण से पीएम ट्रूडो के लिए निज्जर का मुद्दा अहम हो गया है.