Hardeep Singh Nijjar कौन था, जिसकी हत्या के बाद India और Canada के बीच हो गया है मनमुटाव, जानें पूरा मामला 

हरदीप सिंह निज्जर खालिस्तान टाइगर फोर्स का चीफ था. वह पंजाब में टारगेट किलिंग करवाता था. एनआईए ने निज्जर को भगोड़ा घोषित किया था. 18 जून 2023 को कनाडा में एक गुरुद्वारे के बाहर अज्ञात हमलावरों ने गोली मारकर हरदीप निज्जर की हत्या कर दी थी.

आतंकी हरदीप सिंह निज्जर की हत्या को लेकर कनाडा सरकार के बयान पर भारत ने जताई है कड़ी प्रतिक्रिया (फाइल फोटो)
gnttv.com
  • नई दिल्ली,
  • 19 सितंबर 2023,
  • अपडेटेड 10:42 PM IST
  • कनाडा सरकार खालिस्तानियों पर नकेल कसने में विफल
  • हरदीप सिंह निज्जर पर भारत ने रखा था इनाम 

खालिस्तानी आतंकी हरदीप सिंह निज्जर की हत्या के बाद भारत और कनाडा के बीच मनमुटाव बढ़ गया है. कनाडा के प्रधानमंत्री जस्टिन ट्रूडो ने भारतीय एजेंसियों पर बड़े आरोप लगाए हैं कि उनका हरदीप सिंह निज्जर की हत्या में हाथ है. ये आरोप लगाते हुए कनाडा ने भारतीय राजनयिक को निष्‍कासित कर दिया है. इसके बाद भारत ने मंगलवार को कड़ा एक्शन लेते हुए कनाडाई उच्चायुक्त कैमरून मैके को नई दिल्ली के साउथ ब्लॉक स्थित विदेश मंत्रालय मुख्यालय में बुलाया और उन्‍हें पांच दिन के भीतर देश छोड़कर जाने के लिए कहा है. आइए जानते हैं कौन था हरदीप सिंह निज्जर और इस विवाद की वजह क्या है? 

कौन था हरदीप सिंह निज्जर
हरदीप सिंह निज्जर खालिस्तान टाइगर फोर्स का चीफ था. वह मूल रूप से पंजाब के जालंधर जिले के शाहकोट के नजदीकी गांव भारसिंहपुर का रहने वाला था. वह 1996 में कनाडा चला गया था, जहां उसने कथित तौर पर प्लंबर का काम भी किया. हालांकि, बाद में चरमपंथी संगठन सिख फॉर जस्टिस (एसएफजे) से जुड़े निज्जर ने गुरपतवंत सिंह पन्नुन के बाद नंबर-2 का पद संभाला. 

पंजाब में करवाता था टारगेट किलिंग 
हरदीप सिंह निज्जर की धीरे-धीरे पहचान कनाडा के सिख समुदाय में एक नेता के तौर पर होने लगी. इसके बाद उसे ब्रिटिश कोलंबिया के सरे शहर में गुरुनानक गुरुद्वारा का निर्विरोध प्रमुख चुन लिया गया. इसी के बाद से वह कनाडा में एक बड़े सिख नेता के तौर पर प्रसिद्ध हो गया. पाकिस्तानी खुफिया एजेंसी आईएसआई के इशारे पर वह कनाडा में भारत विरोधी गतिविधियों को अंजाम देने लगा. उसने कनाडा में कई हिंदू मंदिरों पर भी हमले की साजिश रची थी. हरदीप सिंह निज्जर पंजाब में टारगेट किलिंग करवाता था. 

भारत विरोधी प्रदर्शनों का करता था आयोजन 
हरदीप सिंह निज्जर अमेरिका, ब्रिटेन, जर्मनी और कनाडा में भारतीय मिशनों के बाहर भारत विरोधी प्रदर्शनों का आयोजन करता था. आतंकवाद में निज्जर की भागीदारी जगतार सिंह तारा के नेतृत्व वाले बब्बर खालसा इंटरनेशनल में उसकी सदस्यता के साथ शुरू हुई. इसके बाद, उसने अपना समूह, खालिस्तान टाइगर फोर्स (केटीएफ) की स्थापना की. 

पिछले साल जुलाई में भारतीय आतंकवाद विरोधी एजेंसी ने पंजाब के जालंधर में एक हिंदू पुजारी की हत्या के मामले में निज्जर पर 10 लाख रुपए का नकद इनाम घोषित किया था. एनआईए ने निज्जर को भगोड़ा घोषित किया था. निज्जर पर 2007 में पंजाब के एक सिनेमाघर में हुए बम विस्फोट का भी आरोप था. नवंबर 2020 में, निज्जर ने साथी गैंगस्टर अर्श दल्ला के साथ साझेदारी की, जो विदेश में रह रहा था. दोनों ने मिलकर डेरा सच्चा सौदा के अनुयायी मनोहर लाल की हत्या की थी.

भारत और कनाडा के बीच विवाद की वजह
प्रतिबंधित खालिस्तान टाइगर फोर्स (केटीएफ) के प्रमुख और भारत के सर्वाधिक वांछित आतंकवादी हरदीप सिंह निज्जर (45) की पश्चिमी कनाडा के ब्रिटिश कोलंबिया प्रांत के सरे में 18 जून 2023 को एक गुरुद्वारे के बाहर दो अज्ञात हमलावरों ने गोली मारकर हत्या कर दी थी. कनाडा के प्रधानमंत्री जस्टिन ट्रूडो ने गत सोमवार को संसद के निचले सदन हाउस ऑफ कॉमंस में अपने संबोधन में कहा, कनाडा के नागरिक हरदीप सिंह निज्जर की हत्या में भारत सरकार के एजेंट की संलिप्तता के पुख्ता आरोपों की कनाडा की सुरक्षा एजेंसियां पूरी सक्रियता से जांच कर रही हैं. 

भारत ने दी कड़ी प्रतिक्रिया
ट्रूडो के आरोपों पर प्रतिक्रिया देते हुए भारत ने मंगलवार को इन्हें बेतुका और बेबुनियाद करार दिया. भारत ने कहा है कि इस तरह के आरोप सिर्फ उन खालिस्तानी आतंकी और कट्टरपंथियों से ध्यान हटाने के लिए जिन्हें लंबे समय से कनाडा में शरण दी जा रही है और जो भारत की क्षेत्रीय एकता और अखंडता के लिए लगातार खतरा बने हुए हैं. भारत ने यह भी कहा कि कनाडा के कई राजनेताओं ने खालिस्तानी आतंकवादियों और चरमपंथियों के प्रति नर्म रवैया अपनाया है, जो एक चिंता का विषय है.

अब नरम पड़े कनाडा के तेवर 
भारत के त्वरित एक्शन के बाद अब कनाडा के तेवर नरम पड़ गए हैं. रॉयटर्स की रिपोर्ट के अनुसार, कनाडा के प्रधानमंत्री जस्टिन ट्रूडो ने मंगलवार को कहा कि कनाडा अपने एजेंटों को एक सिख अलगाववादी नेता की हत्या से जुड़े होने का सुझाव देकर भारत को उकसाने की कोशिश नहीं कर रहा है. लेकिन वे चाहते हैं कि भारत इस मुद्दे को ठीक से संबोधित करे. टूडो ने पत्रकारों से कहा, भारत सरकार को इस मामले को बेहद गंभीरता से लेने की जरूरत है. हम ऐसा कर रहे हैं, हम उकसाने या इसे आगे बढ़ाने के बारे में नहीं सोच रहे हैं.

ट्रूडो को सता रहा कुर्सी जाने का डर
कनाडा के उच्चायुक्त को निष्कासित किए जाने के बाद भारत के एक पूर्व राजनयिक ने कहा, ट्रूडो पिछले कुछ समय से मुश्किल में हैं. उन्हें आशंका है कि वह कनाडा के पीएम पद पर ज्यादा समय तक नहीं टिक पाएंगे. इसलिए, वह अन्य मुद्दों पर घरेलू ध्यान भटकाने की कोशिश कर रहे हैं. नौ साल तक सत्ता में रहने के बाद ट्रूडो को उनकी पार्टी द्वारा बाहर का रास्ता दिखाया जा सकता है. भारत केवल यह आशा कर सकता है कि नया पदाधिकारी, चाहे वह कोई भी हो, कनाडा में खालिस्तानियों पर नकेल कसने और भारत के साथ संबंधों को प्राथमिकता देने के लिए अधिक इच्छुक होगा.

जी-20 सम्मेलन में पीएम मोदी ने दी थी हिदायत
जी-20 सम्‍मेलन के दौरान प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के साथ ट्रूडो की मुलाकात हुई थी. पीएम मोदी ने ट्रूडो से कनाडा में चरमपंथी तत्वों की भारत विरोधी गतिविधियों पर कड़ी चिंता व्यक्त की थी. ये खालिस्‍तानी तत्‍व लगातार अलगाववाद को बढ़ावा दे रहे हैं और भारतीय राजनयिकों के खिलाफ हिंसा भड़का रहे हैं. ट्रूडो को बताया गया कि ये राजनयिक परिसरों को नुकसान पहुंचा रहे हैं और साथ ही कनाडा में मौजूद पूजा स्थलों में भारतीय समुदाय को धमकी दे रहे हैं. पीएम मोदी ने भारत विरोधी गतिविधियों को रोकने की हिदायत दी थी.

खालिस्‍तानियों को खुली छूट दे रखी है कनाडा सरकार
कनाडा में सेवा दे चुके भारतीय राजनयिकों की मानें तो वहां की सरकार खालिस्तानियों पर नकेल कसने में विफल रही है. इसकी वजह है जगमीत सिंह की खालिस्तान समर्थक न्यू डेमोक्रेटिक पार्टी की तरफ से ट्रूडो सरकार को दिया गया राजनीतिक समर्थन. भारत को इस बात पर भी सख्‍त ऐतराज है कि खालिस्‍तान की बात करते ही ट्रूडो यह समझने लगते हैं कि भारत कनाडा के आंतरिक मामलों में हस्तक्षेप कर रहा है. भारत का मानना है कि कनाडा की सरकार खालिस्तानी समूहों से निपटने में उदार रही है.


 

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