Explainer: अरविंद केजरीवाल को सिंगापुर जाने के लिए नहीं मिल रही हरी झंडी, विदेश दौरे के लिए जनप्रतिनिधियों और लोकसेवकों के लिए ये हैं नियम

साल 2019 में भी Arvind Kejriwal को डेनमार्क जाने की मंजूरी नहीं मिली थी. इसके अलावा UPA सरकार में असम के सीएम Tarun Gogoi को अमेरिका और इजरायल की यात्रा के लिए इजाजत नहीं मिली थी.

दिल्ली के सीएम अरविंद केजरीवाल
शशिकांत सिंह
  • नई दिल्ली,
  • 19 जुलाई 2022,
  • अपडेटेड 5:40 PM IST
  • मुख्यमंत्री को विदेश मंत्रालय से मंजूरी जरूरी
  • आर्थिक मामलों के मंत्रालय से भी मंजूरी जरूरी

केंद्र सरकार ने दिल्ली के मुख्यमंत्री अरविंद केजरीवाल को सिंगापुर जाने की इजाजत नहीं मिली. केजरीवाल सरकार को सिंगापुर में वर्ल्ड सिटीज समिट में हिस्सा लेने के लिए बुलाया गया था. इसमें दिल्ली मॉडल को पेश करना था. लेकिन केंद्र सरकार की तरफ से सीएम केजरीवाल को सिंगापुर जाने की इजाजत नहीं मिली. इसको लेकर सियासी बयानबाजी भी हो रही है. चारों तरफ इसकी चर्चा हो रही है. इससे पहले भी दिल्ली के मुख्यमंत्री अरविंद केजरीवाल को विदेश जाने से रोका गया है. सवाल उठता है कि क्या मुख्यमंत्री को विदेश जाने के लिए सरकार की इजाजत की जरूरत होती है. चलिए आपको बताते हैं कि जनप्रतिनिधियों और लोकसेवकों के विदेश जाने को लेकर नियम क्या कहता है.

किसको पड़ती है क्लीयरेंस की जरूरत-
लोकसेवकों को विदेश यात्रा पर जाने के लिए विदेश मंत्रालय से राजनीतिक मंजूरी की जरूरत होती है. बिना पॉलिटिकल क्लीयरेंस के कोई भी जनप्रतिनिधि आधिकारिक विदेश यात्रा नहीं कर सकता है. मुख्यमंत्रियों, राज्य के मंत्रियों और राज्य के दूसरे अधिकारियों को इजाजत की जरूरत पड़ती है.

सीएम, मंत्रियों को कहां से मिलती है मंजूरी-
सभी पब्लिक सर्वेंट को विदेश यात्रा के लिए राजनीतिक मंजूरी की जरूरत होती है. अलग-अलग अधिकारियों के लिए अलग-अलग मंजूरी के नियम हैं. मुख्यमंत्रियों, राज्य के मंत्रियों और दूसरे अधिकारियों को आर्थिक मामलों के विभाग से मंजूरी लेनी पड़ती है. केंद्रीय मंत्रियों के लिए विदेश मंत्रालय से राजनीतिक मंजूरी लेनी होती है. इसके अलावा केंद्रीय मंत्रियों को प्रधानमंत्री से अतिरिक्त मंजूरी भी लेनी पड़ती है. यात्रा चाहे निजी हो या आधिकारिक, मंत्रियों को मंजूरी लेनी ही पड़ती है. केंद्रीय मंत्री बिना मंजूरी के विदेश यात्रा पर नहीं जा सकते हैं.

सांसदों को कैसे मिलती है इजाजत-
लोकसभा सांसदों को लोकसभा के स्पीकर से इजाजत लेनी होती है. जबकि राज्यसभा सांसदों को राज्यसभा के चेयरमैन यानि उपराष्ट्रपति से मंजूरी लेनी होती है. पब्लिक सर्वेंट के लिए इजाजत लेने के नियमों में बदलाव होता रहता है. साल 2016 तक मंत्रालय की तरफ से खोले गए पोर्टल पर राजनीतिक मंजूरी के लिए आवेदन दिया जा सकता था. इसके बाद मंत्रालय की तरफ से मंजूरी को लेकर फैसला लिया जाता था.

अधिकारियों को कैसे मिलती है मंजूरी-
संयुक्त सचिव स्तर के विभिन्न मंत्रालयों के अधिकारियों के लिए भी राजनीति मंजूरी जरूरी है. इसके साथ ही उस मंत्रालय के मंत्री की भी सहमति होनी चाहिए. संयुक्त सचिव स्तर के ऊपर के अधिकारियों को विदेश जाने के लिए सचिवों की एक स्क्रीनिंग कमेटी के इजाजत की जरूरत होती है. कितनी दिनों की यात्रा होगी और प्रतिनिधिमंडल में कितने सदस्य होंगे. इसको लेकर अलग-अलग नियम हैं. 

किसको-किसको जाने से रोका गया-
कई बार मुख्यमंत्री, मंत्री या अधिकारियों को विदेश जाने की राजनीतिक मंजूरी नहीं मिल पाती है. साल 2019 में दिल्ली के सीएम अरविंद केजरीवाल को पर्यावरण के मुद्दे पर बोलने के लिए डेनमार्क जाना था. लेकिन केंद्र सरकार की तरफ से पॉलिटिकल मंजूरी नहीं मिली. केंद्र सरकार का तर्क था कि ये शिखर सम्मेलन मेयर लेवल का है. इसमें सीएम का जाना उचित नहीं है. इसी तरह से एक बार अर्जन मुंडा को थाईलैंड जाने की इजाजत नहीं मिली थी. यूपीए सरकार में एक बार असम के मुख्यमंत्री तरुण गोगोई को अमेरिका और इजरायल जाने से रोक दिया गया था.

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