क्यों और किन मामलों में Supreme Court लोअर कोर्ट्स से खुद ले लेता है कोई Case... क्या कोई क्राइटेरिया होता है?

सुप्रीम कोर्ट जब निचली अदालत से किसी मामले को अपने पास लेता है, तो उसके कई प्रभाव पड़ते हैं. विशेष रूप से हाई-प्रोफाइल या विवादास्पद मामलों में. इससे जनता का विश्वास न्यायपालिका में बढ़ता है. इसके अलावा, सुप्रीम कोर्ट का निर्णय देश के सभी दूसरे कोर्ट्स पर काफी असर डालता है.

Suprem court and powers (Representative Image)
gnttv.com
  • नई दिल्ली,
  • 04 अक्टूबर 2024,
  • अपडेटेड 2:46 PM IST
  • सुप्रीम कोर्ट के पास हैं कई शक्तियां 
  • सुप्रीम कोर्ट को कई मामले ट्रांसफर हुए हैं

भारत का सुप्रीम कोर्ट देश की सर्वोच्च अदालत है. सभी को न्याय मिल सके, इसके लिए कई बार SC खुद निचली अदालतों में चल रहे मामलों में हस्तक्षेप करता है. इतना ही नहीं कई बार सुप्रीम कोर्ट खुद उस केस को लोअर कोर्ट से ले लेता है. ठीक ऐसा ही गुरुवार को हुआ है. ईशा फाउंडेशन और आध्यात्मिक गुरु सद्गुरु जग्गी वासुदेव से जुड़ा मामला सुप्रीम कोर्ट ने मद्रास हाई कोर्ट से अपने पास ट्रांसफर कर लिया है. हालांकि, ये पहली बार नहीं है जब सुप्रीम कोर्ट ने केस खुद को ट्रांसफर किया है. 

सुप्रीम कोर्ट के पास हैं कई शक्तियां 
सुप्रीम कोर्ट के पास ये शक्ति है कि वह निचली अदालतों से अपने पास केस ट्रांसफर कर ले. इसे लेकर कुछ प्रावधान भी हैं:

1. संविधान का अनुच्छेद 139ए: यह अनुच्छेद सुप्रीम कोर्ट को किसी हाई कोर्ट से ऐसे मामले को अपने पास ट्रांसफर करने की अनुमति देता है जो आमजन से जुड़ा कोई बड़ा सवाल हो. 

2. अनुच्छेद 136: अनुच्छेद 136 के तहत सुप्रीम कोर्ट को किसी भी कोर्ट या ट्रिब्यूनल (मिलिट्री कोर्ट को छोड़कर) के किसी भी फैसले, डिक्री या आदेश के खिलाफ विशेष अनुमति देने की शक्ति है. इसका मतलब है कि सुप्रीम कोर्ट उस मामले की सुनवाई कर सकता है अगर उसे लगता है कि इसमें न्याय नहीं दिया गया है. 

इसके अलावा, सुप्रीम कोर्ट को आपराधिक मामलों या अपीलों को एक हाई कोर्ट से दूसरे हाई कोर्ट या अपने पास ट्रांसफर करने की शक्ति है.

किन मामलों को अपने पास लेता है सुप्रीम कोर्ट?
सुप्रीम कोर्ट किसी मामले को लोअर कोर्ट से अपने पास ट्रांसफर करेगा या नहीं, यह कई बातों पर निर्भर करता है:

1. सुप्रीम कोर्ट उन मामलों को निचली अदालतों से अपने पास लेता है जिनमें राष्ट्रीय महत्व से जुड़ा कोई बड़ा सवाल हो. 

2. ऐसे मामलों में जहां अलग-अलग हाई कोर्ट में कई याचिकाएं रुकी हुई हों, और न्याय मिलना जरूरी हो, ऐसे में सुप्रीम कोर्ट फैसला ले सकता है.

3. जब इस बात की आशंका होती है कि निचली अदालत में निष्पक्ष सुनवाई नहीं हो पाएगी - चाहे वह लोगों का दबाव, राजनीतिक प्रभाव, या पक्षपात के कारण हो - सुप्रीम कोर्ट मामले को अपने पास ले सकता है.

4. जनहित से जुड़े मामलों में अक्सर सुप्रीम कोर्ट हस्तक्षेप करता है. इनमें मौलिक अधिकार, सार्वजनिक स्वास्थ्य, राष्ट्रीय सुरक्षा या ऐसे दूसरे मुद्दे शामिल होते हैं जो समाज पर बड़ा प्रभाव डालते हैं.

निचली अदालतों से सुप्रीम कोर्ट को ट्रांसफर हुए मामले
ऐसे कई मामले हैं जो सुप्रीम कोर्ट ने निचली अदालतों से अपने पास लिए हैं: 

1. बाबरी-रामजन्मभूमि मामला
बाबरी-रामजन्मभूमि मामला, जो उत्तर प्रदेश के अयोध्या में विवादित जगह से जुड़ा था, सुप्रीम कोर्ट द्वारा लिए गए सबसे प्रमुख मामलों में से एक है. देशभर में इसके प्रभाव को देखते हुए, सुप्रीम कोर्ट ने इस मामले को अपने पास लिया था. 

2. 2जी स्पेक्ट्रम घोटाला मामला
2जी स्पेक्ट्रम घोटाले में टेलीकॉम लाइसेंसों को बांटने में भ्रष्टाचार के आरोप शामिल थे, जिससे सार्वजनिक खजाने को भारी नुकसान हुआ था. इस हाई-प्रोफाइल मामले में राजनीतिक नेता, नौकरशाह और कॉर्पोरेट संस्थाएं, सभी शामिल थीं. घोटाले की गंभीरता और जनता के विश्वास पर इसके प्रभाव को देखते हुए सुप्रीम कोर्ट ने इस मामले को अपने पास लिया था. अदालत ने 122 टेलीकॉम लाइसेंस रद्द कर दिए थे. 

3. नीट मामला
नेशनल एलिजिबिलिटी कम एंट्रेंस टेस्ट (NEET) का मामला एक और उदाहरण है, जहां सुप्रीम कोर्ट ने ये केस अपने पास ले लिया था. नीट की संवैधानिकता को चुनौती देने वाली कई याचिकाएं अलग-अलग हाई कोर्ट में डाली गई थीं. 

4. तीन तलाक मामला
मुस्लिम समुदाय में तीन तलाक (तुरंत तलाक) की प्रथा को चुनौती देने वाला मामला सुप्रीम कोर्ट ने अपने पास लिया था, ताकि मौलिक अधिकारों को देखते हुए एक जैसा कानून बनाया जा सके. तीन तलाक को कई हाई कोर्ट में चुनौती दी गई थी, और इस मुद्दे में लैंगिक समानता और धार्मिक स्वतंत्रता जैसे मौलिक अधिकार शामिल थे. 

5. अडानी-हिंडनबर्ग मामला
अडानी-हिंडनबर्ग मामले में हिंडनबर्ग रिसर्च की एक रिपोर्ट के बाद अडानी समूह पर धोखाधड़ी के आरोप लगाए गए थे. सुप्रीम कोर्ट ने निष्पक्ष जांच हो इसके लिए, इस मामले को अपने पास ले लिया था. 

सुप्रीम कोर्ट जब निचली अदालत से किसी मामले को अपने पास लेता है, तो उसके कई प्रभाव पड़ते हैं. विशेष रूप से हाई-प्रोफाइल या विवादास्पद मामलों में. इससे जनता का विश्वास न्यायपालिका में बढ़ता है. इसके अलावा, सुप्रीम कोर्ट का निर्णय देश के सभी दूसरे कोर्ट्स पर काफी असर डालता है. सुप्रीम कोर्ट यह सुनिश्चित करता है कि उसका निर्णय भविष्य के समान मामलों के लिए एक मिसाल बने, जिससे लंबे समय तक चलने वाले मुकदमे और अपीलों की संभावना कम हो जाए.


 

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