Tawang face-off: तवांग पर क्यों कब्जा जमाना चाहता है चीन, भारत के लिए कितनी अहम है 17 हजार फीट की ऊंचाई पर स्थित ये जगह, जानें

9 दिसंबर को तवांग सेक्टर में चीन के 300 सैनिकों ने घुसपैठ की कोशिश की थी, लेकिन भारतीय सैनिक ऐसी हरकत से निपटने के लिए पहले से ही तैयार थे. चीनी सैनिक भारतीय पोस्ट को तोड़ना चाहते थे. लेकिन भारतीय सैनिकों ने ड्रैगन के मंसूबे पर पानी फेर दिया. 

तवांग
gnttv.com
  • नई दिल्ली,
  • 13 दिसंबर 2022,
  • अपडेटेड 1:25 PM IST
  • भारत के लिए क्यों खास है तवांग
  • तवांग करीब 17 हजार फीट की ऊंचाई पर स्थित है

अरुणाचल प्रदेश में वास्तविक नियंत्रण रेखा (LAC) पर भारत-चीनी सैनिकों के बीच झड़प हो गई है. इसमें दोनों देशाें के कुछ सैनिक घायल हुए हैं. दरअसल 9 दिसंबर को तवांग सेक्टर में चीन के 300 सैनिकों ने घुसपैठ की कोशिश की थी, लेकिन भारतीय सैनिक ऐसी हरकत से निपटने के लिए पहले से ही तैयार थे. चीनी सैनिक भारतीय पोस्ट को तोड़ना चाहते थे. लेकिन भारतीय सैनिकों ने ड्रैगन के मंसूबे पर पानी फेर दिया. चीनी सैनिकों को भी जरा सा अंदाजा नहीं था कि भारतीय सैनिक भी 17 हजार फीट की ऊंचाई पर तैयारी के साथ मुस्तैदी से डटे हैं. 

चीन तवांग को इतनी अहमियत क्यों देता है?

एलएसी पर कुछ इलाकों को लेकर विवाद है. चीन इन हिस्सों पर कब्जा करने की कोशिश करता है. लेकिन चीन तवांग को खास अहमियत देता है. चीन की मंशा रही है कि वह इस पोस्ट पर काबिज होने के बाद तिब्बत के साथ-साथ एलएसी की निगरानी भी करे. अगर चीन तवांग पर कब्जा कर लेता है तो अरुणाचल प्रदेश पर कभी भी अपना दावा ठोक सकता है. क्योंकि तवांग चीन-भूटान जंक्शन पर मौजूद है. दलाई लामा अरुणाचल प्रदेश और तवांग को भारत का हिस्‍सा करार देते हैं. ये वही जगह है जहां पर तिब्‍बती धर्म गुरु दलाई लामा सबसे पहले पहुंचे थे. इसी वजह से चीन दलाई लामा को एक अलगाववादी नेता मानता है. चीन को डर है कि दलाई लामा तवांग में अपने उत्तराधिकारी को नियुक्त कर सकते हैं. चीन तवांग पर कब्जा जमाकर तिब्बती बौद्ध केंद्र तवांग को नष्ट करना चाहता है. चीन अगर तवांग पर नियंत्रण कर लेता है तो उसकी तिब्बत पर पकड़ और मजबूत हो जाएगी.

भारत के लिए क्यों अहम है तवांग?

भारत और चीन, 3,488 किलोमीटर लंबी सीमा साझा करता है. ये सीमा जम्मू-कश्मीर, हिमाचल प्रदेश, उत्तराखंड, सिक्किम और अरुणाचल प्रदेश से होकर गुजरती है. अरुणाचल प्रदेश का उत्तर-पश्चिमी जिला तवांग करीब 17 हजार फीट की ऊंचाई पर स्थित है. ये पश्चिम में भूटान और उत्तर में तिब्बत की सीमा साझा करता है. ये जगह 1962 के भारत-चीन युद्ध से जुड़ी हुई है. मैकमोहन समझौते के बाद तवांग को भारत का हिस्सा माना गया. समझौते के बाद चीन ने इसे खाली कर दिया था क्योंकि यह मैकमोहन लाइन के अंदर पड़ता है. लेकिन बाद में चीन ने मैकमोहन रेखा को मानने से इनकार कर दिया. चीन का कहना है कि उसे अंधेरे में रखकर तिब्बत के प्रतिनिधि लोनचेन शातरा और हेनरी मैकमहोन के बीच हुई गुप्त बातचीत के आधार पर मैकमोहन रेखा खींच दी गई. चीन अरुणाचल प्रदेश को दक्षिणी तिब्बत का हिस्सा बताते हुए अपना दावा करता है. ये वही जगह है जहां भारत का सबसे विशाल बौद्ध मठ है.

 

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