Weather of North and South India: दक्षिण भारत में क्यों वसंत ऋतु में पड़ती है गर्मी, जानिए यहां का मौसम कैसे लाता है नॉर्थ इंडिया में उमस और बरसात

उत्तर भारत में पहाड़ों पर अभी भी बर्फबारी जारी है. मैदानी इलाकों में कई जगहों पर बारिश होने के अनुमान हैं. वहीं दक्षिण भारत में मौसम की स्थिति इसके एकदम अलग है. वहां पर अभी से गर्मी शुरू हो गई है. आइए जानते हैं क्यों नॉर्थ इंडिया और दक्षिण भारत में अलग-अलग मौसम है?

Snowfall in Lahaul and Spiti
gnttv.com
  • नई दिल्ली,
  • 02 मार्च 2024,
  • अपडेटेड 1:47 PM IST
  • दक्कन के पठार पर मेन लैंड का गर्म होना दक्षिणी भारत में गर्मी के जल्दी आगमन का है एक कारण
  • अरब सागर का प्रतिचक्रवात बना रहता है तीन महीने तक

उत्तर भारत में कई जगहों पर अभी ठंड पड़ रही है. पहाड़ों पर बर्फबारी जारी है, वहीं दक्षिण भारत में वसंत ऋतु में ही गर्मी पड़ने लगती है. आइए जानते हैं कैसे साउथ इंडिया का मौसम में उत्तर भारत में गर्मी और बरसात लाता है? हर साल कुछ समय के लिए उत्तर और दक्षिण भारत में एकदम उलट मौसम की स्थिति बनती है. ऐसा भौगोलिक स्थितियों के साथ ही प्राकृतिक संरचनाओं के कारण भी होता है. दक्षिणी प्रायद्वीपीय भूमध्य रेखा के करीब कम अक्षांश पर स्थित है. इसी के चलते यहां देश के किसी भी अन्य हिस्से की तुलना में बहुत पहले गर्मी महसूस होने लगती है. 

निम्न ताप का होता है निर्माण 
वसंत ऋतु में जहां उत्तर भारत में मौसम सुहाना बना हुआ है. कई जगहों पर हल्की ठंड पड़ रही है तो वहीं साउथ इंडिया में गर्मी पड़ रही  है. इसका मुख्य कारण दक्कन के पठार, मुख्य रूप से आंध्र प्रदेश, रायलसीमा और निकटवर्ती उत्तरी आंतरिक कर्नाटक में जमीन का गर्म होना है. इस गर्मी के कारण इस इलाके में निम्न ताप का निर्माण होता है, जो रायलसीमा के आसपास प्रमुखता से देखा जाता है. यह दक्षिण तमिलनाडु से प्रायद्वीप के आंतरिक भागों से होते हुए मध्य प्रदेश/छत्तीसगढ़ तक चलने वाली एक थर्मल उत्तर-दक्षिण ट्रफ का भी कारण बनता है, जो धरती के गर्म होने के बाद महत्वपूर्ण हो जाती है.

गरज के साथ होने लगती है बारिश
मार्च और अप्रैल के महीने में प्रायद्वीपीय भारत के दोनों ओर निचले क्षोभमंडल में दो एंटीसाइक्लोन की उपस्थिति होती है.अरब सागर का एंटी साइक्लोन गर्म, महाद्वीपीय शुष्क हवा को पश्चिम-उत्तर-पश्चिम भारत से होते हुए उत्तर भारत में धकेलता है. जबकि इसके विपरीत, बंगाल की खाड़ी का एंटी साइक्लोन बंगाल की खाड़ी से अपेक्षाकृत ठंडी और नम हवा लाता है. इन दो प्रकार की वायुराशियों के बीच लगातार मेल से हवा की नमी बनती है. जब भी वायुमंडलीय परिस्थितियां अनुकूल होती हैं तो इस संपर्क बिंदु पर बादल या गरज के साथ बौछारें पड़ने लगती हैं.

मॉनसून की शुरुआत के लिए तैयार होता है मंच 
अरब सागर का प्रतिचक्रवात लगभग तीन महीने तक बना रहता है. मई के अंत या जून की शुरुआत में मॉनसून की शुरुआत के बाद ही गायब हो जाता है. बंगाल की खाड़ी का प्रतिचक्रवात खाड़ी से ठंडी हवाएं लाता है, जिससे पूर्वी तट पर तापमान बना रहता है. हालांकि यह प्रतिचक्रवात बहुत पहले अप्रैल के अंत या मई की शुरुआत में गायब हो जाता है. इससे मॉनसून की शुरुआत के लिए मंच तैयार होता है.

ये अंतर मौसमी भूमध्यरेखीय तरंग मॉड्यूलेशन के साथ मिलकर, प्रायद्वीपीय क्षेत्र की मौसमी गतिशीलता को उजागर करते हैं. बंगाल की खाड़ी के प्रतिचक्रवात का गायब होना चरम गर्मी की शुरुआत का प्रतीक है, क्योंकि अरब सागर का प्रतिचक्रवात पूर्व की ओर बढ़ता है. इससे शुष्क उत्तर-पश्चिमी हवाएं गति पकड़ती हैं. उत्तर और दक्षिण के साथ ही यह भी दिलचस्प है कि पश्चिम भारत में रेगिस्तान के कारण गर्मी और सर्दी दोनों ही तेज होती हैं और बारिश बहुत कम. जबकि पूर्व भारत में दुनिया की सबसे ज्यादा बारिश वाले इलाके हैं.

(कुमार कुणाल की रिपोर्ट)

 

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