हमारे देश में गणतंत्र दिवस और स्वतंत्रता दिवस महत्वपूर्ण राष्ट्रीय त्योहार हैं. ये दिवस पूरे देश में जोश और देशभक्ति के साथ मनाए जाते हैं. 15 अगस्त को स्वतंत्रता दिवस और 26 जनवरी को गणतंत्र दिवस मनाया जाता है. इस साल 75वां गणतंत्र दिवस मनाया जाएगा. आइए आज जानते हैं आखिर इसी दिन गणतंत्र दिवस क्यों मनाया जाता है, कब पहली बार रिपब्लिक डे परेड हुई थी और तिरंगा फहराने के नियम क्या हैं?
इसलिए इसी दिन मनाया जाता है गणतंत्र दिवस
हमारे संविधान को बनाने में 2 साल, 11 महीने और 18 दिन लगे थे. आजादी के बाद 26 नवंबर 1949 को संविधान सभा ने इसे अपनाया था. हालांकि आधिकारिक तौर पर 26 जनवरी 1950 को इसे लागू किया गया. भारतीय राष्ट्रीय कांग्रेस ने 26 जनवरी, 1930 के दिन देश को पूर्ण स्वराज घोषित किया था.
ऐसे में इस दिन को यादगार बनाने के लिए इसके ठीक 20 साल बाद 26 जनवरी 1950 के दिन संविधान को लागू किया गया. उस दिन से हम हर साल 26 जनवरी को गणतंत्र दिवस मनाते हैं. भारतीय संविधान की कॉपी आज भी संसद भवन की लाइब्रेरी में सुरक्षित रखी गई है. भारतीय संविधान को दुनिया का सबसे बड़ा हाथ से लिखा गया संविधान कहा जाता है.
गणतंत्र दिवस पर क्यों राष्ट्रपति फहराते हैं तिरंगा
जब हमारे देश को 15 अगस्त 1947 आजादी मिली थी तो उस समय प्रधानमंत्री ही देश के मुखिया थे. इसी वजह से आजादी मिलने पर स्वतंत्रता दिवस के मौके पर प्रधानमंत्री जवाहर लाल नेहरू ने लाल किले से ध्वजारोहण किया था. आजादी के बाद जब 26 जनवरी 1950 को देश का संविधान लागू किया गया, तो राष्ट्रपति की शपथ ले चुके डॉ. राजेंद्र प्रसाद देश के संवैधानिक प्रमुख थे.
ऐसे में उन्होंने गणतंत्र दिवस के मौके पर झंडा फहराया था. डॉ. राजेंद्र प्रसाद ने 21 तोपों की सलामी के साथ झंडा फहराया और भारत को पूर्ण गणतंत्र घोषित किया था. तब से लेकर आज तक यह परंपरा चली आ रही है. स्वतंत्रता दिवस पर प्रधानमंत्री ध्वजारोहण करते हैं और गणतंत्र दिवस पर राष्ट्रपति झंडा फहराते हैं. हर साल विदेशों से गणतंत्र दिवस पर विशेष मेहमानों को बुलाया जाता है.
पहली बार इरविन एम्फीथिएटर में हुई थी परेड
पहली गणतंत्र दिवस परेड 1950 में आयोजित की गई थी. जिसका आयोजन इरविन एम्फीथिएटर में हुआ था, जिसे अब मेजर ध्यानचंद स्टेडियम कहा जाता है. शुरुआती चार वर्षों के दौरान परेड का आयोजन इरविन स्टेडियम, लाल किला और रामलीला मैदान में होता था. राजपथ पर पहली परेड 1955 में आयोजित की गई थी. तब राजपथ को किंग्सवे के नाम से जाना जाता था.
उसी समय से हर साल 26 जनवरी का आयोजन यहीं पर होने लगा. पीएम मोदी ने 8 सितंबर, 2022 को कर्तव्य पथ का उद्घाटन किया था. इंडिया गेट से लेकर राष्ट्रपति भवन को सेंट्रल विस्टा एवेन्यू कहते हैं. इसे राजपथ भा कहा जाता था. इसका अब नाम बदलकर कर्तव्य पथ हो गया है. कर्तव्य पथ की कुल लंबाई तीन किमी से ज्यादा है. अब यहीं पर गणतंत्र दिवस परेड का आयोजन किया जाता है.
ध्वजारोहण और झंडा फहराने में अंतर
हमारा राष्ट्रीय ध्वज तीन रंगों का है. इसे तिरंगा कहते हैं. तिरंगे में सबसे ऊपर केसरिया, बीच में श्वेत और सबसे नीचे हरा रंग होता है. श्वेत रंग पर नीले रंग का अशोक चक्र का चिह्न होता है. अशोक चक्र में 24 तीलियां होती हैं. राष्ट्रीय ध्वज तिरंगे के निर्माता पिंगली वेंकैया थे. 15 अगस्त को ध्वजारोहण किया जाता है और 26 जनवरी को तिरंगा फहराया जाता है.
ध्वजारोहण और झंडा फहराने के बीच एक बड़ा अंतर है. जब तिरंगे को नीचे से रस्सी के माध्यम से खींचकर फहराया जाता है, तो इसे ध्वजारोहण कहते हैं. 26 जनवरी में तिरंगा ऊपर ही बंधा होता है, जिसे पूरा खोलकर फहराया जाता है. इसे झंडा फहराना कहते हैं.
यहां नहीं फहरा सकते तिरंगा
नागरिकों को घर पर तिरंगा फहराकर या हाथ में लेकर अपने राष्ट्रवादी उत्साह का प्रदर्शन करने की अनुमति है. लेकिन निजी वाहनों पर गलत तरीके से तिरंगा फहराना अपराध है. भारत ध्वज संहिता का उल्लंघन राष्ट्रीय सम्मान अधिनियम, 1971 के अपमान की रोकथाम के तहत दंडनीय है. धारा 3.23 राष्ट्रीय ध्वज प्रदर्शन का कैसे दुरुपयोग हो जाता है उसके बारे में बताता है, इसमें कहा गया है कि झंडे को वाहन, ट्रेन या नाव के ऊपर, किनारे और पीछे नहीं लपेटा जाएगा.
तिरंगा फहराने के नियम
1. तिरंगा फहराते समय यह ध्यान रखें कि केसरियां रंग हमेशा ऊपर, सफेद रंग बीच में और हरा रंग हमेशा सबसे नीचे की पट्टी में होनी चाहिए. झंड़ा कटा-फटा नहीं होना चाहिए.
2. पहले केवल हाथ से बने कपास, पालिएस्टर, ऊन, खादी इत्यादि से बने झंडे को बनाने की अनुमति थे लेकिन अब मशीन से भी बने झंडे को फहराने की अनुमति मिल चुकी है.
3. पहले केवल दिन के वक्त ही झंडा फहराने की अनुमति थी लेकिन सरकार ने नियम को बदल दिया है. इसे दिन या रात 24 घंटे फहराया जा सकता है.
4. झंडे का आकार आयताकार होना चाहिए. इसकी लंबाई चौड़ाई का अनुपात 32 होना चाहिए. अशोक चक्र में 24 तीलियां होनी चाहिए और यह सफेद पट्टी के बीच में होना चाहिए.
5. किसी भी स्थिति में तिरंगा जमीन को नहीं छूना चाहिए. राष्ट्रीय ध्वज से ऊंचा कोई और ध्वज नहीं लगाया जा सकता है.
6. झंडे के किसी भी भाग को जलाने, नुकसान पहुंचाने, मौखिक या शाब्दिक तौर पर इसका अपमान करने पर तीन साल की जेल के साथ जुर्माना या फिर दोनों हो सकते हैं.
7. झंडे पर कुछ लिखा नहीं जा सकता है. तिरंगे को अपने पास पूरे सम्मान के साथ तह लगाकर रखना है. फेंकना और क्षति पहुंचाने की मनाही है.
8. एक मोटर कार पर झंडा अकेला प्रदर्शित किया जाता है, तो उसे एक डंडे (स्टाफ) से फहराया जाना चाहिए, जिसे या तो बोनट के सामने बीचो-बीच पर या कार के सामने दाहिनी ओर मजबूती से लगा हुआ होना चाहिए.
इस बार गणतंत्र दिवस की परेड की टाइमिंग क्या है
26 जनवरी को परेड सुबह 10.30 बजे विजय चौक से शुरू होकर कर्तव्य पथ से होकर नेशनल स्टेडियम में समाप्त होगी. परेड की कमान दिल्ली एरिया कमांडर लेफ्टिनेंट जनरल भवनीश कुमार संभालेंगे. इस बार गणतंत्र दिवस परेड में पहली बार भारत की नारी शक्ति पूरे कर्तव्य पथ पर छाई रहेगी. परेड में 80 फीसदी महिलाएं होंगी. इस साल गणतंत्र दिवस परेड की थीम 'भारत-लोकतंत्र की जननी और विकसित भारत' है.
कैसे खरीद सकते हैं गणतंत्र दिवस परेड का टिकट
आप परेड देखना चाहते हैं तो ऑनलाइन और ऑफलाइन दोनों ही माध्यम से टिकट खरीद सकते हैं. ऑनलाइन टिकट खरीदना चाहते हैं तो www.aamantran.mod.gov.in पर जाकर टिकट खरीद सकते हैं. वहां पर टिकट की शुरुआत 20 रुपए से होती है. ऑफलाइन टिकट भारत सरकार पर्यटन कार्यालय और डीटीडीसी काउंटर से खरीद सकते हैं. यहां से आप सुबह 10 से शाम 5.30 बजे के बीच में टिकट खरीद सकते हैं.