विंग कमांडर दीपिका मिश्रा (Deepika Mishra) वीरता पुरस्कार (Gallantry Award) पाने वाली भारतीय वायु सेना (Indian Air Force) की पहली महिला अधिकारी बन गई हैं. विंग कमांडर मिश्रा, एक हेलीकॉप्टर पायलट हैं जो राजस्थान की रहने वाली हैं. उन्हें मध्य प्रदेश में बाढ़ राहत अभियान के दौरान प्रदर्शित "अदम्य साहस" के कार्य के लिए वायु सेना पदक (वीरता) से सम्मानित किया गया है. IAF प्रमुख एयर चीफ मार्शल वी आर चौधरी ने सुब्रतो पार्क में वायु सेना सभागार में आयोजित एक Investitute समारोह में कई अधिकारियों और वायु योद्धाओं को युद्ध सेवा पदक और अन्य पुरस्कार प्रदान किए.
अन्य अधिकारियों को भी मिले पुरस्कार
प्रवक्ता ने बताया कि वायुसेना के दो अधिकारियों को युद्ध सेवा पदक, 13 अधिकारियों और वायु योद्धाओं को वायु सेना पदक (शौर्य), 13 अधिकारियों को वायु सेना पदक और 30 विशिष्ट सेवा पदक से सम्मानित किया गया. कुल 58 व्यक्तियों, जिनमें 57 वायुसेना से और एक सेना से हैं ने पुरस्कार प्राप्त किए.
दीपिका मिश्रा भारतीय वायु सेना के इतिहास में वीरता पुरस्कार पाने वाली भारतीय वायु सेना की पहली महिला अधिकारी हैं. सेवा के प्रति समर्पण के लिए, भारतीय वायुसेना की महिलाओं को पहले भी कई पुरस्कार मिले हैं, लेकिन यह पहली बार है कि भारतीय वायुसेना की महिला अधिकारी को वीरता पुरस्कार प्रदान किया गया है.
किस लिए मिला पुरस्कार?
भारतीय वायुसेना द्वारा दी गई जानकारी के अनुसार, विंग कमांडर मिश्रा को अगस्त 2021 में उत्तरी मध्य प्रदेश में अचानक आई बाढ़ के जवाब में मानवीय सहायता और आपदा राहत अभियान चलाने के लिए तैयार किया गया था. बचाव अभियान जिसमें लो होवर पिक-अप और विंचिंग शामिल था, आठ दिनों तक चला और उसने महिलाओं और बच्चों सहित 47 लोगों की जान बचाई. अधिकारियों ने कहा कि उनके बहादुरी और साहस के प्रयासों ने न केवल प्राकृतिक आपदा में कीमती जान बचाई, बल्कि बाढ़ प्रभावित क्षेत्र में आम जनता के बीच सुरक्षा की भावना भी पैदा की.
कब हुई शुरुआत?
बता दें कि आजादी के बाद भारत सरकार की तरफ से 26 जनवरी, 1950 को प्रथम तीन वीरता पुरस्कार यानी परम वीर चक्र, महावीर चक्र और वीर चक्र शुरू किए गए थे, जिन्हें 15 अगस्त, 1947 से प्रभावी माना गया था. इसके बाद भारत सरकार ने 4 जनवरी, 1952 को अन्य तीन वीरता पुरस्कार यानी अशोक चक्र श्रेणी – I, अशोक चक्र श्रेणी-II और अशोक चक्र श्रेणी-III शुरु किए जिन्हें 15 अगस्त, 1947 से प्रभावी माना गया था. इन पुरस्कारों को बाद में अशोक चक्र, कीर्ति चक्र और शौर्य चक्र का नाम दिया गया.
हर बार साल में दो बार ये वीरता पुरस्कार घोषित किए जाते हैं. एक गणतंत्र दिवस के अवसर पर और फिर स्वतंत्रता दिवस के अवसर पर. इन पुरस्कारों का वरीयता क्रम परमवीर चक्र, अशोक चक्र, महावीर चक्र, कीर्ति चक्र, वीर चक्र और शौर्य चक्र है.
कैसा होता है परमवीर चक्र?
परमवीर चक्र भारत का सर्वोच्च शौर्य सैन्य अलंकरण है जो दुश्मनों की उपस्थिति में उच्च कोटि की शूरवीरता एवं त्याग के लिए प्रदान किया जाता है. यह गोलाकार होता है और कांस्य का बना होता है. इसका व्यास 1.38 ईंच होता है. इसके अगले भाग में अग्रभाग पर केंद्र में उभरी हुई राज्य के प्रतीक ( ध्येय सहित ) के साथ 'इन्द्र के वज्र' की चार प्रतिकृतियां होती हैं. इसके पिछले भाग में 'परमवीर चक्र' हिंदी और इंग्लिश दोनों में उकेरा होता है. इस पर हिंदी और इंग्लिश में परमवीर चक्र लिखा होता है जिसके बीच में कमल के दो फूल बने होते हैं. इसका फीता सादा बैंगनी रंग का होता है. अगर कोई पुरस्कार प्राप्त इंसान दोबारा से भविष्य में ऐसा कोई काम करता है जिससे वो फिर से उस सम्मान का हकदार बनता है तो इस स्थिति में उनको एक बार से सम्मानित किया जाता है. बार एक फीते से जुड़ा होता है जिससे चक्र लटकता रहता है. भविष्य में वीरता के ऐसे जितने काम वो करेंगे, उतने बार मिलते जाएंगे.