World Biofuel Day: ग्रीन एनर्जी की तरफ बढ़ रहा है भारत, जानिए अब तक के सफर के बारे में

World Biofuel Day: हर साल दुनियाभर में 10 अगस्त को वर्ल्ड बायोफ्यूल डे मनाया जाता है. इस दिन को मनाने का उद्देश्य जैव ईंधन के महत्व और जरूरत के बारे में लोगों को जागरूक करना है.

World Biofuel Day
gnttv.com
  • नई दिल्ली ,
  • 10 अगस्त 2023,
  • अपडेटेड 1:33 PM IST
  • यह दिन रुडोल्फ डीजल की याद में मनाया जाता है
  • भारत दुनिया में बायोफ्यूल के टॉप प्रोड्यूसर्स में से एक है

पारंपरिक जीवाश्म ईंधन (Fossils Fuel) के विकल्प के रूप में गैर-जीवाश्म ईंधन (Non-Fossils Fuel) के महत्व के बारे में जागरूकता पैदा करने और जैव ईंधन क्षेत्र (Biofuel Sector) में सरकार के प्रयासों को उजागर करने के लिए हर साल 10 अगस्त को विश्व जैव ईंधन दिवस (World Biofuel Day) मनाया जाता है. यह दिन रुडोल्फ डीजल की याद में मनाया जाता है, जिन्होंने डीजल इंजन बनाया था. साल 2015 से पेट्रोलियम और प्राकृतिक गैस मंत्रालय इस दिन को सेलिब्रेट करते हैं. 

क्या है बायोफ्यूल 
पौधों, फसलों और जानवरों के अपशिष्ट जैसे जैविक स्रोतों से मिलने वाला जैव ईंधन या बायोफ्यूल, पारंपरिक जीवाश्म ईंधन का एक बेहतर विकल्प है. कोई भी ईंधन जो बायोमास से मिलता है, जैसे पौधे, कृषि अपशिष्ट, फसलें, शैवाल आदि, बायोफ्यूल के रूप में जाना जाता है. पर्यावरण के प्रति बढ़ती चिंता के साथ, यह रिन्यूएबल फ्यूल कार्बन उत्सर्जन को 90% तक कम करने में महत्वपूर्ण भूमिका निभाता है. जिस कारण एक ग्रीनर वर्ल्ड के लिए बायोफ्यूल का बहुत ज्यादा महत्व है.  

बायोफ्यूल के मामले में भारत की क्षमता
भारत दुनिया में बायोफ्यूल के टॉप प्रोड्यूसर्स में से एक है. इथेनॉल आपूर्ति वर्ष 2021-22 (1 दिसंबर से 30 नवंबर तक) के दौरान, सार्वजनिक क्षेत्र की ऑइल मार्केटिंग कंपनियों (OMCs) ने घरेलू उत्पादकों से 433.6 करोड़ लीटर इथेनॉल खरीदा था और पेट्रोल के साथ इसे मिलाया था. यह स्वच्छ ऊर्जा की दिशा में एक महत्वपूर्ण प्रगति दर्शाता है. इसके अलावा, इथेनॉल की आपूर्ति 2013-14 में 38 करोड़ लीटर से बढ़कर 2020-21 में 322 करोड़ लीटर (अनुबंधित) हो गई है. इसके अतिरिक्त, वित्तीय वर्ष 2022-23 के दौरान, डीजल के साथ मिश्रण के लिए 5.83 करोड़ लीटर बायो-डीजल खरीदा गया, जिससे कार्बन उत्सर्जन को कम करने में भारत को मदद मिली. 

बायोफ्यूल पर राष्ट्रीय नीति - 2018
इस नीति को पेट्रोलियम और प्राकृतिक गैस मंत्रालय ने 04 जून 2018 को अधिसूचित किया था. इस नीति का उद्देश्य, साल 2030 तक 20% इथेनॉल-ब्लेंडिंग और  5% बायोडीजल-ब्लेंडिंग तक पहुंचना है. बायोफ्यूल के क्षेत्र में प्रगति के कारण, साल 2018 नीति में संशोधन किए गए हैं. 2022 में प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी की अध्यक्षता में केंद्रीय मंत्रिमंडल ने संशोधनों को मंजूरी दी. ये हैं मुख्य संशोधन हैं जिन्हें मंजूरी दी गई:

  • बायोफ्यूल के उत्पादन के लिए ज्यादा फीडस्टॉक की अनुमति देना,
  • पेट्रोल में इथेनॉल के 20% मिश्रण के इथेनॉल मिश्रण लक्ष्य को 2030 से इथेनॉल सप्लाई ईयर 2025-26 तक आगे बढ़ाना,
  • मेक इन इंडिया कार्यक्रम के तहत विशेष आर्थिक क्षेत्रों (SEZ)/निर्यात उन्मुख इकाइयों (EOUs) में स्थित यूनिट्स द्वारा देश में जैव ईंधन के उत्पादन को बढ़ावा देना.

यह संशोधन प्रस्ताव मेक इन इंडिया अभियान को आगे बढ़ाएगा जिससे पेट्रोलियम उत्पादों के आयात में कमी आएगी. जैसे-जैसे बायोफ्यूल के उत्पादन के लिए ज्यादा फीडस्टॉक की अनुमति दी जा रही है, आत्मनिर्भर भारत को बढ़ावा दिया जाएगा. इससे 2047 तक भारत के 'ऊर्जा स्वतंत्र' (Energy Independent) बनने के दृष्टिकोण को बढ़ावा मिलेगा. 

भारत का विजन और G20 लीडरशिप
बायोफ्यूल के लिए भारत का प्लान इसकी "जैव ईंधन पर राष्ट्रीय नीति - 2018" में स्पष्ट होता है. इस रणनीतिक फ्रेमवर्क में जैव ईंधन उत्पादन बढ़ाने की रूपरेखा तैयार की गई है, जिससे आयातित पेट्रोलियम उत्पादों पर देश की निर्भरता कम हो जाएगी. भारत अपनी G20 की अध्यक्षता के दौरान ऊर्जा सुरक्षा और जैव ईंधन और हाइड्रोजन जैसे उभरते ईंधन के विस्तार के लिए अंतर्राष्ट्रीय सहयोग पर जोर दे रहा है. 

सरकार ने 2जी इथेनॉल बायो रिफाइनरीज की स्थापना के लिए आर्थिक मदद देकर देश में पेट्रोकेमिकल रूट सहित सेल्यूलोसिक और लिग्नोसेल्यूलोसिक बायोमास से सेकंड जनरेशन (2जी) इथेनॉल उत्पादन को बढ़ावा देने के लिए प्रधान मंत्री जी-वन (जैव इंधन - वातावरण अनुकूल फसल अवशेष निवारण) योजना भी अधिसूचित की है. कार्बन उत्सर्जन में चिंताजनक वृद्धि के कारण अब जैव ईंधन को अपनाना बहुत महत्वपूर्ण है.  

 

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