World Environment Day 2022: गोमती नदी तट पर चला सफाई अभियान, विश्व पर्यावरण दिवस को लेकर दिया ये संदेश

World Environment Day 2022: विश्व पर्यावरण दिवस के मौके पर आज गोमती नदी के तट पर सफाई अभियान चलाया गया. इस मौके पर CIPL फाउंडेशन के मैनेजर ब्रजेश शुक्ला ने कहा कि मानसून आने वाला है ऐसे में जितनी जल्दी हो सके हम सबको अपने नदी, तालाबों की सफाई कर लेनी चाहिए.

World Environment Day 2022
gnttv.com
  • शाहजहांपुर,
  • 04 जून 2022,
  • अपडेटेड 10:12 PM IST
  • नदी के सोतकुंड धीरे-धीरे या तो बंद हो रहे हैं या छोटे होते जा रहे हैं
  •  बरसात से पहले नदी-तालाब की सफाई है जरूरी

विश्व पर्यावरण दिवस के मौके पर शाहजहांपुर के बंडा इलाके में गोमती नदी के तट पर आज सफाई अभियान चलाया गया. ये अभियान नदी सफाई अभियान के तहत  CIPL फाउंडेशन की मदद से चलाया गया. जिसमें सैंकड़ों ग्रामवासी एवं युवकों ने हिस्सा लिया. बंडा क्षेत्र में गोमती नदी की साफ-सफाई एवं नदी की धारा को निर्मल बनाने के लिए CIPL फाउंडेशन ने अभियान चलाकर स्वच्छता मिशन की शुरुआत की है.

प्राकृतिक वातावरण को सुरक्षित व संरक्षित रखने का है लक्ष्य
 
इस अभियान का नारा अपने जल को एवं अपने कल को सुरक्षित करना है. क्योंकि, जल ही जीवन है और यह ऐसे ही नहीं कहा गया बल्कि पूरी पृथ्वी पर 70 प्रतिशत पानी है और हमारे शरीर में भी 70 प्रतिशत पानी है. इस अभियान की शुरुआत करने वाले योग गुरु एवं CIPL फाउंडेशन के मैनेजर ब्रजेश शुक्ला के मुताबिक प्रकृति के किसी भी तत्व को अगर हम प्रभावित करते हैं, तो हम कुछ नई समस्याओं को उत्पन्न कर देते हैं. इस प्रकृति ने अपने हर एक तत्व (अग्नि, जल, वायु, आकाश ,पृथ्वी ) के लिए कुछ सीमाएं, कुछ स्थान तथा इन्हें कुछ प्रतिशत में बांट रखा है. अगर इन पाचों तत्व में से किसी में भी परिवर्तन होता है तो पूरे प्राकृतिक वातावरण में परिवर्तन आना शुरू हो जाता है. 

 बरसात के मौसम से पहले नदी-तालाब की सफाई है जरूरी

अगर जल की कमी होगी तो किसी अन्य चीज की अधिकता हो जाएगी. अधिकता भी नुकसान देती है और कमी भी नुकसान देती है. इसलिए हमें अपने प्राकृतिक वातावरण को सुरक्षित व संरक्षित रखना है. शहरों की गंदगी, कूड़ा, पॉलिथीन नालों के माध्यम से नदी में आ कर गिरता है. जिसके कारण नदी के अंदर जो सोत कुंड होते हैं, जिनमें हमेशा पानी बहता रहता और जिनके माध्यम से ऊपर की ओर पानी आता रहता है, वो छोटा होता जाता है. फलस्वरुप नदी में सोतकुंड धीरे-धीरे या तो बंद होते जा रहे हैं या छोटे होते जा रहे हैं.

 

 

योग गुरु एवं CIPL फाउंडेशन के मैनेजर ब्रजेश शुक्ला के मुताबिक, मानसून आने वाला है जितनी जल्दी हो सके हम सबको अपने नदी, तालाबों की सफाई कर लेनी चाहिए. नहीं तो बरसात के मौसम में बहुत सारी मिट्टी भी कट कर आएगी और जो नदी-तालाब में अभी तक पॉलिथीन पड़ी हुई है उसके उपर मिट्टी जम जाएगी और ये पानी को जमीन की गहराई तक नहीं पहुंचने देने में अवरोधक है. 

(शाहजहांपुर से नीरज सिंह की रिपोर्ट )

 

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