कारगिल विजय दिवस के मौके पर पीएम नरेंद्र मोदी ने द्रास में कारगिल युद्ध स्मारक के दौरे के दौरान शिंकुन ला सुरंग परियोजना का पहला विस्फोट किया. शिंकुन ला सुरंग परियोजना में 4.1 किलोमीटर लंबी ट्विन-ट्यूब सुरंग शामिल है, जिसका निर्माण निम्मू-पदुम-दारचा रोड पर लगभग 15,800 फीट की ऊंचाई पर किया जाएगा. प्रधान मंत्री कार्यालय के अनुसार, पूरा होने पर यह दुनिया की सबसे ऊंची सुरंग होगी. प्रधानमंत्री मोदी ने शिंकुन ला टनल प्रोजेक्ट का पहला विस्फोट भी वर्चुअली किया.
शिंकुन ला सुरंग परियोजना
इस टनल प्रोजेक्ट के तहत 4.1 किलोमीटर लंबी ट्विन-ट्यूब सुरंग बनाई जाएगा. इस सुरंग को लगभग 15,800 फीट की ऊंचाई पर बनाया जा रहा है और इसका निर्माण निम्मू-पदुम-दारचा रोड पर किया जाएगा. द टाइम्स ऑफ इंडिया के अनुसार, सुरंग का निर्माण सीमा सड़क संगठन (BRO) 1,681 करोड़ रुपये की लागत से कर रहा है. इस प्रोजेक्ट को पिछले साल फरवरी में सुरक्षा पर पीएम की अगुवाई वाली कैबिनेट समिति ने मंजूरी दे दी थी.
इस सुरंग में अग्निशमन (फायरफाइटिंग), मैकेनिकल वेंटिलेशन, कम्यूनिकेशन, और सुपरवाइजरी कंट्रोल और डेटा अधिग्रहण (SCADA) सिस्टम्स हैं. पीएमओ ने कहा कि यह परियोजना हर मौसम में वैकल्पिक कनेक्टिविटी और लद्दाख में सैनिकों की तेज आवाजाही के लिए रणनीतिक रूप से महत्वपूर्ण है. इस टनल में हर 500 मीटर पर क्रॉस-पैसेज होंगे और इसे पूरा होने में कम से कम दो साल लगेंगे.
दुनिया की सबसे ऊंची सुरंग
पीटीआई के मुताबिक, काम पूरा होने पर यह दुनिया की सबसे ऊंची सुरंग होगी. एक अधिकारी ने टीओआई को बताया कि सुरंग "15,590 फीट की ऊंचाई पर चीन में एमआई ला सुरंग को बायपास करेगी." शिंकु ला सुरंग न केवल आर्म्ड फॉर्सेज और उपकरणों की तेज और कुशल आवाजाही सुनिश्चित करेगी बल्कि लद्दाख में आर्थिक और सामाजिक विकास को भी बढ़ावा देगी. यह सुरंग एक महत्वपूर्ण कड़ी होगी जो लद्दाख में ज़ांस्कर घाटी को हिमाचल प्रदेश में लाहौल घाटी से जोड़ती है.
विशेष रूप से, लेह तक दो मार्ग जाते हैं: मनाली-अटल सुरंग-सरचू-लेह और श्रीनगर-ज़ोजिला-कारगिल-लेह. इन अक्षों पर ऊंचाई वाले दर्रे बर्फ से ढके होते हैं और साल में केवल चार से पांच महीने के लिए ही खुले रहते हैं. हालांकि, अटल सुरंग के पूरा होने के कारण मनाली से दारचा तक का मार्ग अब साल भर सुलभ है.
बॉर्डर सिक्योरिटी
खराब मौसम और टोपोग्राफी के बावजूद, पूर्वी लद्दाख में चल रहे सैन्य टकराव के मद्देनजर चीन के साथ उत्तरी सीमाओं पर सुरंग निर्माण अभी भी एक प्रमुख प्राथमिकता है. अरुणाचल प्रदेश में बालीपारा-चारिद्वार-तवांग रोड पर 13,000 फीट से ज्यादा की ऊंचाई पर बनाई गई सेला सुरंग को मार्च में खोला गया था. गोला-बारूद, मिसाइलें, ईंधन और दूसरी आपूर्तियां, सुरंगों के जरिए अंडरग्राउंड स्टोर की जा सकती हैं. बताया जा रहा है कि कई और सुरंगें निर्माणाधीन हैं या योजना चरण में हैं.