Powerful Passport: दुनिया में पहले से ज्यादा ताकतवर हुआ भारत का पासपोर्ट, जानिए पासपोर्ट का पूरा इतिहास

इस बार की रैकिंग में भारत के पासपोर्ट 7 अंकों की उछाल भरी है और 83वें स्थान पर पहुंचा है. हालांकि साल 2020 में भारत के पासपोर्ट की रैंकिंग 84 थी, जो बाद में घटकर 90 पर पहुंच गई थी. वहीं साल 2016 में भारत का स्थान माली और उज्बेकिस्तान के साथ 85वें नंबर पर था.

भारत के पासपोर्ट का 83वां स्थान
नाज़िया नाज़
  • नई दिल्ली,
  • 13 जनवरी 2022,
  • अपडेटेड 7:10 PM IST
  • भारत के पासपोर्ट ने वर्ल्ड रैंकिंग में 7 अंकों की उछाल भरी है.
  • वह अब 83वें स्थान पर पहुंच गया है.

दुनिया में अपने देश की प्रतिष्ठा की जानकारी के अलग-अलग पैमाने हैं, लेकिन एक पैमाना पासपोर्ट भी है. मतलब ये कि अगर आप अपने देश का पासपोर्ट दिखाकर दुनिया के ज्यादा से ज्यादा हिस्से में बिना वीजा के घूम सकें, उसे सर्वाधिक शक्तिशाली माना जाता है. अब हेनले पासपोर्ट इंडेक्स (Henley Passport Index) ने अपनी नई रिपोर्ट जारी की है. इस रिपोर्ट के मुताबिक भारतीय पासपोर्ट की रैंकिंग 199 देशों की सूची में 90वें स्थान से प्रमोट होकर 83वें स्थान तक पहुंच गया है. यानी कि भारत के पासपोर्ट की ताकत पहले से ज्यादा बढ़ गई है. अब आप भारतीय पासपोर्ट दिखाकर बिना वीजा के 60 देशों की यात्रा कर सकते हैं. 

7 अंकों की भरी उछाल
इस बार की रैकिंग में भारत के पासपोर्ट 7 अंकों की उछाल भरी है और 83वें स्थान पर पहुंचा है. हालांकि साल 2020 में भारत के पासपोर्ट की रैंकिंग 84 थी, जो बाद में घटकर 90 पर पहुंच गई थी. वहीं साल 2016 में भारत का स्थान माली और उज्बेकिस्तान के साथ 85वें नंबर पर था. 

कैसे तय होती है रैंकिंग!

हेनले पासपोर्ट इंडेक्स (Henley Passport Index) में रैंकिंग इंटरनेशनल एयर ट्रांसपोर्ट एसोसिएशन (IATA) के आंकड़ों के आधार पर तय की जाती है. तमाम देशों की इमिग्रेशन पॉलिसी की स्टडी करके IATA बताती है कि किस देश के पासपोर्ट  को कितने देशों में बिना वीजा के इजाजत दी गई. इसके बाद पासपोर्ट की रैंकिंग तय करने का काम किया जाता है.

जापान और सिंगापुर रहे टॉप पर

हेनले की इस लिस्ट में सबसे ताकतवर पासपोर्ट (Most Powerful Passport in World) सिंगापुर और जापान को माना गया है.  इनमें से किसी भी एक देश का पासपोर्ट दिखाकर आप दुनिया के 192 देशों में बिना वीजा के घूम सकते हैं. इस रैंकिंग में दूसरे नंबर पर जर्मनी और दक्षिण कोरिया को रखा गया है. इन देशों का पासपोर्ट रखने वाले लोग 190 देशों में बिना वीजा के जा सकते हैं. 

वहीं फिनलैंड, इटली, लक्जमबर्ग और स्पेन इंडेक्स में तीसरे स्थान पर आए हैं. जबकि यूएस और यूके छठे स्थान पर आए हैं. पासपोर्ट इंडेक्स की इस सूची में सबसे निचला स्थान अफगानिस्तान का आया है. 

पासपोर्ट का इतिहास क्या है

हिब्रू साहित्य के मुताबिक फारस के राजा नेहेमियाह ने अपने एक अधिकारी को जूडिया भेजा था, तब हवाई जहाज तो होते नहीं थे. इस वजह से लोगों को अलग-अलग देशों से होकर गुजरना पड़ता था. हर देश की सीमा पर पहरेदार भी होते थे, नतीजतन फारस के राजा ने अपने अधिकारी को एक रसीद दी जिसमें उनका पैगाम लिखा था कि उनका अधिकारी किस काम से जुड़ा रहा है, कृपया यात्रा पूरी करने में उसकी मदद की जाए. इसे ही पासपोर्ट की शुरुआती कहानी माना जाता है. जबकि मध्य युग में इस्लामी खिलाफत के दौरान केवल उन्हें ही यात्रा की इजाजत दी जाती थी जिनके पास जका या जिज्वा की रसीद होती थी. उस समय इसे ही पासपोर्ट माना गया था. 

हेनरी जार्ज पंचम हैं आधुनिक युग के पासपोर्ट निर्माता

आधुनिक युग में पासपोर्ट की आधिकारिक शुरुआत करने का श्रेय इंग्लैंड के हेनरी जार्ज पंचम को है. 1414 के संसदीय अधिनियम में भी पासपोर्ट का जिक्र है. 19वीं सदी में भी जब यूरोप में रेलमार्ग का विस्तार हुआ तो यात्राएं बढ़ी. ऐसे में एक देश के यात्री को दूसरे देश में सफर करने के दौरान अपनी पहचान बताने के लिए कोई दस्तावेज नहीं थे. तब पासपोर्ट को ही आधिकारिक रूप से यात्रियों का पहचान बताने वाला दस्तावेज माना गया. साल 1914 में जब पहला विश्वयुद्ध हुआ तो राष्ट्रीय सुरक्षा के लिए भी पासपोर्ट को जरूरी माना गया.

 

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