Gaurav Glide Bomb: दुश्मन की सीमा में घुसे बिना कर सकेंगे दुश्मन का खातमा... भारत ने टेस्ट किया नया ग्लाइड बम गौरव, जानिए क्या है इसकी खासियत

भारत ने ग्लाइड बम के जरिए वह ताकत हासिल कर ली है कि बिना दुश्मन के इलाके में गए या सरहद लांघे उनके ठिकानों पर बम बरसाए जा सकते हैं. ग्लाइड बम का सबसे बड़ा फायदा यह है कि इसे दुश्मन के इलाके के बाहर से आसानी से दागा जा सकता है. इससे फाइटर जेट को दुश्मन से खतरा कम हो जाता है.

सुखोई से ‘गौरव’ लॉन्ग-रेंज ग्लाइड बम का सफल परीक्षण (फोटो क्रेडिट - पीआईबी)
gnttv.com
  • नई दिल्ली,
  • 27 अप्रैल 2025,
  • अपडेटेड 4:07 PM IST

भारतीय वायुसेना ने हाल ही में ग्लाइड बम 'गौरव' का सफल परीक्षण किया है. यह बम 100 किलोमीटर दूर तक सटीक निशाना साध सकता है. डीआरडीओ के वैज्ञानिकों ने इस बम को डिजाइन किया है. इस बम की खास बात यह है कि इससे हमला करने के लिए भारतीय वायुसेना को दुश्मन की सीमा में घुसने की ज़रूरत भी नहीं है. आइए जानते हैं क्या है ग्लाइड बम और क्या है भारत के नए हथियार की खासियत.

क्या है ग्लाइड बम?
ग्लाइड बम एक ऐसा हथियार है जो बिना किसी ईंधन या ऊर्जा के लंबी दूरी तक का सफर तय करता है. यह जीपीएस और इनर्शियल नेविगेशन सिस्टम (INS) या लेज़र गाइडेंस के ज़रिए अपने शिकार को पहचानता है. लेकिन यह उस तक सफर करता है हवा में तैरते हुए. यानी एक खास दूरी से लॉन्च होता है और हवा में तैरते हुए निशाने पर सटीक जाकर लगता है.

भारत का ग्लाइड बम 'गौरव'
भारत ने ग्लाइड बम के जरिए वह ताकत हासिल कर ली है कि बिना दुश्मन के इलाके में गए या सरहद लांघे उनके ठिकानों पर बम बरसाए जा सकते हैं. भारतीय वायुसेना का बैकबोन कहे जाने वाले सुखोई 30 एमकेआई से लॉन्ग रेंज ग्लाइड बम गौरव का सफल परीक्षण इस बात का सबूत पेश करता है की अब दुश्मन चाहे कितने भी मजबूत से मजबूत बंकर में छिप कर क्यों न बैठा हो, उसका बचपना नामुमकिन है. 

ग्लाइड बम का सबसे बड़ा फायदा यह है कि इसे दुश्मन के इलाके के बाहर से आसानी से दागा जा सकता है. इससे फाइटर जेट को दुश्मन से खतरा कम हो जाता है. क्योंकि फाइटर जेट दुश्मन के एयर डिफेंस सिस्टम की रेंज से दूर होता है. लड़ाकू विमान से दागे जाने वाले बम कई तरह के होते हैं. 
 

इनमें सामान्य बम जिन्हें लड़ाकू विमान के विंग या वैली में लगाकर ड्रॉप किया जाता है. इन बमों की रेंज पांच से 10 किलोमीटर तक की होती है, लेकिन इन्हें टारगेट के बहुत करीब जाकर हमला करना होता है, जिससे खतरा और ज्यादा बढ़ जाता है. ग्लाइड बम की रेंज सामान्य बम की रेंज से 10 गुना से भी ज्यादा हो सकती है. जितनी ऊंचाई से इसे रिलीज़ किया जाएगा, उतनी दूर तक वह निशाना साध सकता है. 

डीआरडीओ ने बनाए हैं दो ग्लाइड बम
भारतीय वायुसेना को एक ऐसे स्मार्ट बम की जरूरत थी जो खुद नेविगेट और ग्लाइड करते हुए दुश्मन को बर्बाद कर दे. इस काम में भारतीय रक्षा अनुसंधान एवं विकास संगठन (DRDO) ने मदद की है. डीआरडीओ के वैज्ञानिक ने दो तरह के बॉम्ब का डिज़ाइन बनाया. पहला विंग के जरिए ग्लाइड करने वाला 'गौरव' और दूसरा बिना विंग वाला गौतम लॉन्ग रेंज बम. 

दोनों ही प्रिसीज़न गाइडेड हथियार हैं. गौरव 1000 किलोग्राम का ग्लाइड बम है, जबकि गौतम 550 किलोग्राम का बम है. इनका इस्तेमाल आमतौर पर एंटी एयरक्रॉफ्ट डिफेंस में रेंज से बाहर मौजूद टारगेट्स को ध्वस्त करने के लिए किया जाएगा. गौरव और गौतम दोनों ही बमों में सीएल 20 यानी फ्रेग्मेंटेशन और क्लस्टर म्यूनिशन लगते हैं यानी ये टारगेट से कॉन्टैक्ट करते ही ब्लास्ट हो जाता है. 

कैसे हुआ परीक्षण?
गौरव के सफल परीक्षण में इसे 100 किलोमीटर दूर तक के टारगेट पर सफलतापूर्वक दागा गया और उसे तबाह कर दिया गया. गौरव दरअसल 1000 किलोग्राम कैटेगरी का एक ग्लाइड बम है जो करीब 100 किलोमीटर तक सटीक निशाना साध सकता है. डिफेंस एक्सपर्ट ब्रिगेडियर शारदेंदू (रिटायर्ड) ने जीएनटी के साथ खास बातचीत में इस बम के बारे में चर्चा की. 

उन्होंने कहा, "गौरव एक ग्लाइड बम है. जब उसको सुखोई के साथ इस्तेमाल किया जाता है, कोई ऐसा टारगेट नहीं है जिसको वह भेद न सके. एक सुखोई की स्पीड, दूसरा ग्लाइड बम. यह कॉम्बिनेशन बड़ा लेथल कॉम्बिनेशन है. मेरा मानना है अगर इसको युद्धभूमि में इस्तेमाल किया जाता है तो इसके बहुत घातक नतीजे निकलेंगे." 
 

 

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