भावी जीवन के सपने संजोये और परिवार की माली हालत सुधारने के लिए बिहार का एक युवक मालदीव पहुंचा. वहां पहुंचते ही उसके सपने रेत के महल के समान ढह गए. इंजीनियर किए युवक को वहां लेबर की नौकरी दी गई. इतना ही नहीं उसका पासपोर्ट भी कंपनी ने छिन लिया. दो महीने काम करने के बावजूद मजदूरी नहीं दी गई. मालदीव से बिहार घर पहुंचे युवक ने अपनी आपबीती बताई.
कंपनी ने पासपोर्ट नहीं दिया
बेतिया के नरकटियागंज स्थित चमुआ गांव का युवक शेख मेराज ने बताया कोलकता के दलालों ने बतौर इंजीनियर मालदीव में नौकरी के लिए भेजा, लेकिन वहां जाने के बाद उसको लेबर का काम मिला. दो महीने काम करने के बाद पैसे भी नहीं मिले. वह लगातार काम करने से बीमार हो गया. डॉक्टरों ने बताया कि वह डेंगू की चपेट में आ गया है. मेराज जब घर वापस आने के लिए वीजा लेने गया तो उसका पासपोर्ट कंपनी ने नहीं दिया.
मजबूरी में लेबर का काम करना पड़ा
मेराज के पिता ने बताया उनका बेटा मालदीव के मेल सिटी बलोना में इंजीनियर के रूप काम करने गया था. लेकिन वहां जाने के बाद उसे चीनी कंपनी में बतौर मजदूर काम करने के लिए भेज दिया गया. उसने कंपनी को इंजीनियरिंग करने की जानकारी भी दी. लेकिन उसकी एक न सुनी गई. भरण पोषण के लिए मजबूरी में उनके यहां लेबर का काम करना पड़ा.
इलाज के लिए नहीं थे पैसे
मेराज का वीजा भी समाप्त हो गया था. दो महीने काम करने के बाद कंपनी न तो सैलरी और न हीं पासपोर्ट दे रही थी. डेंगू से पीड़ित मेराज के पास इलाज के पैसे भी नहीं थे. वीडियो कॉलिंग के जरिए उसने घर और सांसद से गुहार लगाई लेकिन जब सांसद काम नहीं आए तो ऐसे में एक उम्मीद की किरण बने समाजसेवी दिनेश अग्रवाल. जिनके प्रयास से पीएमओ और विदेश मंत्रालय का पूरा सहयोग मिला.
किसी भी बिचौलिया या दलाल का सहयोग नहीं लें
मेराज अपने घर नरकटियागंज के चमुआ गांव वापस आ गया है. मेराज के पिता ने समाज सेवी दिनेश अग्रवाल के सहयोग की सराहना करते हुए बताया कि जब सभी जगह से निराशा मिल रही थी तो दिनेश के सहयोग से आज बेटा हमारे साथ है. दिनेश अग्रवाल ने बताया कि कोई भी आदमी विदेश जाने से पहले सौ बार सोचे और पूरी तरह आश्वस्त होने के बाद ही जाए, किसी भी बिचौलिया या दलाल का साथ नहीं लें. मेराज ने बताया कि मेरे लिए यह जिंदगी का काफी महत्वपूर्ण पल है. समाजसेवी अग्रवाल को जितना भी धन्यवाद दूं, कम है.